नील वितान
नील वितान


साक्षी एक चुलबुली स्वभाव की लड़की थी। पढ़ाई में भी तेज व अन्य गतिविधि में भी अग्रणी रहती थी। उसे नीला आसमान बहुत आनंदित करता था। वो हमेशा अपनी माँ से कहती " देखना, माँ मैं एक दिन नीले आसमां को छू लूँगी ।" उसकी माँ बस मुस्कान के साथ भगवान से दुआ माँगती ।
दिन बीतते गए.....
साक्षी अब तरुणाई में प्रवेश कर चुकी थी। पर बाकी युवा मन की तरह उसे किसी बात का आकर्षण नहीं होता था। उसे बस पढ़ना था, उसे जमीं से उपर उठकर नीले आसमान से बातें करना था ।
वो पढ़ती गई और समय के साथ उसकी मेहनत रंग
लाई । साक्षी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब उसे विदेश की एक अंतरिक्ष अभियान के लिए अपने देश का प्रतिनिधि करने का मौका मिला।
जब साक्षी ने विदेश के लिए उड़ान भरी और माँ को देखकर हाथ हिलाया तो उसकी माँ की आँखों से खुशी के आँसू छलक रहे थे ।
उनके कानों में बस गूँज रही थी एक ही अपनी बेटी की आवाज " माँ, मुझे पता है, विस्तृत नभ का कोई कोना, मेरा न कभी अपना होना। पर ये नीला वितान मुझे बुलाता है.... और मैं इसे छूकर रहूँगी, यही रंग मेरी जिंदगी की ऊर्जा है.... "