सूरजमुखी
सूरजमुखी


इस बार विद्यालय मे प्रथम आने वाला छात्र था लक्ष्य ।सभी उसकी मेहनत से बहुत प्रसन्न थे। क्योंकि पहले वह बहुत आलसी और लापरवाह विधार्थी था । शिक्षक की शिकायत उसके माता पिता तक आना आम बात थी। लक्ष्य को विद्यालय जाना बिल्कुल नही भाता था। गृहकार्य को तो वह छूता भी नहीं था। अतः परिणाम लक्ष्य अपनी पाँचवी कक्षा मे अनु -उत्तीर्ण हो गया।
सभी लोग उस पर असफल होने का धब्बा लगाने लगे। अब उसे एहसास होने लगा कि उसका जीवन मे कितना नुकसान हुआ है। उसके सहपाठी अगली कक्षा मे चले गए । वो उदास बगीचे मे बैठा था, उसकी नजर सुरजमुखी पुष्प पर गई। जाने उस पीले रंग के फूल मे क्या ऊर्जा थी जो उसे प्रेरित कर प्रफ्फुलित कर गई।
उसे सूरजमुखी को निहारते देख माली ने उसे सूरजमुखी की विशेषता समझाई किस प्रकार सूरज की ऊर्जा से यह पीला फूल खिलता है। लक्ष्य
के बाल मन पर इसका गहरा प्रभाव हुआ। वह सूरजमुखी का पौधा लेकर अपने घर आया और आँगन मे रोप दिया ।
अब लक्ष्य प्रतिदिन प्रातः उठ जाता, स्नान करके सूरज की पूजा करता जिससे उसे स्वयं मे असीम ऊर्जा का प्रवाह प्रतीत होता। फिर वह मन लगाकर अध्ययन करता और सूरजमुखी को पानी देकर रोज विद्यालय जाता । सभी उसके इस परिवर्तन से खुश थे।
अंत मे वार्षिक परिणाम घोषित होने का दिन आया। सभी उत्सुक थे अपने बच्चों का प्रगति पत्रक जानने के लिए। जब प्रथम विधार्थी के रूप मे लक्ष्य का नाम घोषित किया गया तो पूरा प्रांगण तालियों की गूँज से गुंज उठा.....
लक्ष्य प्रसन्न चित्त आकर अपने आँगन मे खिले पीले सूरजमुखी को खुशी से चुमकर सूरज को धन्यवाद देने लगा। इस प्रकार पीले रंग का लक्ष्य के जीवन मे विशेष महत्व हो गया.......