स्लेटी आशीर्वाद
स्लेटी आशीर्वाद


समर्थ एक अच्छे विदेशी फर्म मे निम्न श्रेणी का कर्मचारी था . वो गाँव से स्नातक की डिग्री लेकर आया था. इसलिए वो फर्राटे दार अँग्रेजी नही बोल पाता था. पर कागजी सारे काम वो बहुत अच्छे से करता था. उसकी अँग्रेजी का सब लोग मजाक उड़ाया करते थे. पर उसके जो उच्च अधिकारी थे वो उसे बहुत मानते थे और अन्य कर्मचारी की बातों पर ध्यान ना देने की सलाह देते थे. इसके ही परिणामस्वरूप वह अपने कार्य मे निपुण होता गया और अँग्रेजी बोलने का कोर्स पूरा करके वो उच्च पद पर आसीन हो गया.
एक बार उसके कंपनी मे विदेशी अफसर आने वाले थे. अब उनकी पूरी जिम्मेदारी समर्थ को दी गई. अपनी कंपनी का प्रगति आलेख का अँग्रेजी में प्रस्तुति करण समर्थ को ही करना था. ऐसे तो समर्थ अब अपने आपको बहुत बदल चुका था, फिर भी उसे घबराहट हो रही थी. रात मे ठंड बहुत थी, फिर भी समर्थ के माथे कल अँग्रेजी मे प्रस्तुति करण के बारे मे सोचकर पसीना आ र
हा था. कब उसकी आँख लग गई पता ही नही चला. सपने मे अपनी स्वर्ग वासी माँ को देखा जो सदा कहती थी वही बात अब भी कह रही है " बेटा, जीवन की कठिन व विषम परिस्थित मे भी हार नही मानना, क्योंकि ईश्वर सदैव तुम्हारे साथ है..... विजयी भव बेटा ".
सबेरे समर्थ एक नई ऊर्जा के साथ उठा . दफ्तर के लिए तैयार हुआ. उसने अलमारी से माँ की अंतिम निशानी स्लेटी स्वेटर पहना और आत्मविश्वास से निकल पड़ा. आज तक जो उसकी अँग्रेजी का मजाक उड़ाते थे, वे आज भी निम्न पद पर ही रह गए और समर्थ उनसे काफी आगे निकल गया. फिर भी वो सब कहते थे कि उच्च अधिकारी की चाकरी करके आगे बढ़ा है. समर्थ ने विदेशी अफसरों के समक्ष अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन किया.
समर्थ का दफ्तर मे बिदाई समारोह रखा गया था क्योंकि अब वो विदेश जा रहा था. घर आकर सारा सामान बांधकर अपनी माँ की तस्वीर और स्लेटी स्वेटर लेकर निकल पड़ा नई मंजिल की ओर..... .