सुंदरता
सुंदरता
भाव्या अपने खानदान मे सबसे सुन्दर थी. सिर्फ सुन्दर ही नहीं बल्कि उसमे सारे गुण भीं थे. घर के कामों से लेकर बाज़ार के मौलभाव तक सबमे वो निपुण थी. पढ़ाई मे भीं हमेशा अव्वल रहती थी और उसके हाथ का खाना जो एक बार खा लेता, उंगलियां चाटता रहता.
सबके आँखों का हीरा थी वो. उसे सब ड्रीम गर्ल कहते थे. लोगों की तारीफों ने उसे इतना चढ़ा दिया था की अब उसे हर बात का घमंड होने लगा था. अपनी खूबियों मे अब वो इस कदर खो गई थी की हर किसी मे कमी निकालने लगी थी. सब उसे उसके आगे नासमझ लगने लगे थे.
किसी से सीधे मुँह बात नहीं करती थी. माँ पिताजी ने उसकी शादी तय कर दी थी. उसकी सुंदरता और गुणों के कारण उसे परिवार भीं बहुत अच्छा मिला था. संयुक्त परिवार था. उसने शादी होते ही पति विशाल को अपने मोहपाश मे बांध लिया था. बाकी तो किसी से ज्यादा बात करना वो ज़रूरी नहीं समझती थी. ना ही किसी की सुनती थी. ना कुछ काम करती ना किसी के कहने पर ज़वाब देती. खाना खाती और अपने कमरे मे चली जाती.
ससुराल वाले उसके इस रंग ढंग से परेशान होने लगे थे उन्होंने विशाल को उसे समझाने को कहा पर विशाल पर तो उसने जैसे जादू टोना कर दिया था.
अब तो विशाल के साथ उसने भीं ऑफिस जाना शुरु कर दिया था. विशाल से कह कर अपने लिये एक गाड़ी भीं लें ली. उसी से ऑफिस जाती थी.
एक दिन ऑफिस से लौटते समय भयानक दुर्घटना हुयी और उसे अस्पताल मे ही होश आया. जिस चेहरे पर उसे घमंड था वो पूरा चेहरा चोट के निषाणों से भरा हुआ था, पैर और हाथ की हड्डीयाँ टूट गई थी. खुद से कुछ भीं कर पाने मे असमर्थ हो गई थी.
वो परिवार जिसे उसने हमेशा तुच्छ समझा था वही लोग बिना कुछ बोले उसकी सेवा मे लगे हुये थे. पति विशाल तो उसे देख भीं नहीं रहे थे. बस ध्यान रखना बोल कर ऑफिस चले गये. शायद चेहरे की मोहिनी थी जो उतर गई थी. सासू माँ, भाभियाँ सब उसे दिलासा दे रहे थे सब ठीक हो जायेगा. वो रोये जा रही थी. इसीलिए नहीं की उसका चेहरा ख़राब हो गया था बल्कि इसीलिए की आज उसका घमंड टूट गया था. उसे समझ आ गया था असली सुंदरता चेहरे से नहीं दिल से होती है जो उसमे नहीं है..