सुखी दांपत्य का आधार (लघुकथा)
सुखी दांपत्य का आधार (लघुकथा)


देख ले ममता ! अब हम तो इतने रिश्ते ला लाकर थक चुके हैं। पर ये लड़की हां ही नहीं भरती। अब तो लोग भी बातें बनाने लगे हैं कि इसने खुद कोई लड़का पसंद कर रखा होगा तभी तो!!!!"
"ना जिज्जी, ऐसी बात ना है! वह तो बस यह कह रही है कि जितना वह पढ़ी-लिखी है, लड़का कम से कम उतना पढ़ा लिखा तो हो और कोई बात ना है!"
"काम धंधा अच्छा होना चाहिए ममता! पढ़ाई लिखाई से क्या! फिर तू भी तो देख, हमारी लड़की का कद भी तो छोटा है ऊपर से पेट जला हुआ है इसका। और यह क्या ज़िद पकड़ कर बैठी है कि यह सब कुछ बता कर ही शादी करेगी। ऐसा जला हुआ पेट देख कर तो कोई हां ना भरेगा! देवर के जाने के हम तो अपने बड़े होने का फर्ज पूरा कर रहे हैं और तुम लोग हो कि हमारी सुनते ही ना हो।" कह ममता की जेठानी मुंह बनाते हुए चली गई।
अपनी जेठानी के जाने के बाद ममता जी ने अपनी बेटी पूनम को समझाते हुए कहा,
"यह तूने क्या ज़िद लगा रखी है कि लड़के वालों से कुछ ना छुपाएंगी! बेटी हमारे समाज में लड़के में सौ कमी हो तो चल जाता है। लड़की उनको बिल्कुल रूपवान और गुणवान चाहिए। जिसमें बिल्कुल भी दाग ना हो। छोड़ दे अपनी ज़िद। लड़कियों को ही कहीं ना कहीं समझौता करना पड़ता है! और देख तेरे ताऊ ताई तो इतना सोच भी रहे हैं! तेरे भाई भाभी तो मुंह फेर कर ही बैठ गए। हम मां बेटी अकेले क्या करेंगे!"
"मां मैं कितनी बार कह चुकी हूं कि लड़का चाहे कम कमाता हो लेकिन वह मेरे जितना पढ़ा लिखा हो, दूसरा मैं अपने दांपत्य की नींव झूठ के आधार पर नहीं रखना चाहती । ताऊ ताई जी तो समाज को दिखाने के लिए मात्र दिखावा कर रहे हैं। जैसे रिश्ते वह ला रहे हैं, क्या वह अपनी बेटी की शादी उनसे कर देते! उन लोगों की खुशी के लिए मैं कुएँ में तो नहीं कूद सकती!"
"तो क्या जीवन भर कंवारी रहेगी!!"
"नहीं मां शादी करूंगी और वह भी अपनी ही बिरादरी में, आप सब के आशीर्वाद से। लेकिन उस लड़के से जो मुझे व मेरी भावनाओं को समझेगा!"
"कहां मिलते हैं, हमारे समाज में ऐसे लड़के! जितने थे सब तेरे ताऊ ताई ने दिखा तो दिए।"
"मां उनकी छोड़ो! मां समय बदल गया है। घर बैठे रिश्ते मिलते हैं। मैंने आज ही रिश्ता.कॉम पर अपनी प्रोफाइल बनाकर सब कुछ लिख दिया है। जल्दी मेरी मनपसंद का लड़का जरूर मिलेगा।"
"मुझे तो तेरी बातें समझ नहीं आती। ऐसे रिश्तों में कोई फरेब हुआ तो!"
"मां फरेब कहां नहीं है! क्या गारंटी है जिन लोगों को ताऊ ताई लेकर आ रहे हैं । वो सब सच ही बोल रहे हैं! हमें अपने आँख कान तो खुले रखने पड़ते ही है। यहां भी आपस में एक दूसरे को समझने के बाद ही रिश्ता पक्का किया जाता है।"
"जो तू ठीक समझे!"
जल्दी ही पूनम को रिश्ता.कॉम पर अपनी पसंद का रिश्ता मिल गया। दोनों ने पहले फोन पर ही बातचीत कर आपस में एक-दूसरे के विचार जानना सही समझा। पूनम ने वीरेंद्र से अपनी मां की भी बातचीत कराई। कुछ ही दिन की बातचीत के बाद दोनों ही एक दूसरे को काफी समझने लगे थे। अब दोनों ने अपने परिवारों को एक दूसरे से मिलवाना सही समझा।
पूनम ने अपनी मां को सब बताया और कहा कि "अगले हफ्ते उसके माता-पिता आ रहे है। आप भैया भाभी, ताऊ ताई जी को भी बुला ले। जिससे कि सब बातचीत कर एक दूसरे की राय जान सके।"
जब परिवार वालों को यह पता चला कि पूनम ने सोशल वेबसाइट के जरिए लड़का ढूंढा है तो सब नाराज़ हो गए। उसके ताऊ जी गुस्सा होती हुए बोले
"ऐसे रिश्ते टिकते हैं क्या! देख लेना ज्यादा दिन नहीं टिकेगा यह रिश्ता ! हम जो रिश्ता लाये, उनमें तो इन्हें कमी नजर आई और यह सब! इसलिए तो कहते हैं लड़कियों को ज्यादा पढ़ाना लिखाना नहीं चाहिए। वरना ये अपनी मनमानी पर उतर आती है!"
उसके भैया भाभी ने भी दो टूक कह दिया "जब पसंद कर लिया है तो हमसे क्या पूछना!"
पूनम को उन सब की बातों का कोई बुरा नहीं लगा वह इन बातों के लिए पहले से तैयार थी। संडे को लड़का व उसका परिवार पूनम के घर आए। लड़के के पिता ने उसके परिवार वालों से बात करते हुए कहा,
"हम तो विरेंद्र से पूनम के बारे में इतना सुन चुके हैं, आज तो यहां आना मात्र औपचारिकता ही थी। वैसे भी लड़का लड़की के विचार आपस में मिलने चाहिए क्योंकि जीवन भर इन्हें एक दूसरे का साथ निभाना है। दोनों ने ही एक-दूसरे को पसंद किया है इससे बड़ी और क्या बात है। हमारी ओर से तो रिश्ता यह पक्का है ।"
यह सब सुन पूनम बोली "अंकल जी मुझे आपसे एक बात कहनी थी। शायद वीरेंद्र ने आपको नहीं बताया हो कि मेरा पेट....!!"
"बेटा विरेन्द्र हमें पहले ही सब कुछ बता चुका है और हमें तुम्हारी ये साफगोई बहुत पसंद आई। वरना आजकल तो लोग पता नहीं रिश्ता करते वक्त कितनी बातें छुपाते है। समधन जी शादी की तैयारी करो और हां लेन देन के लिए ज्यादा परेशान ना होना। भगवान का दिया सब कुछ है। आपकी जो हीरे जैसी बेटी है, वही हमारे लिए सबसे बड़ा दहेज है। "
कुछ ही महीनों बाद पूनम व विरेन्द्र शादी के बंधन में बंध गए। समाज की इस धारणा को मिथ्या साबित करते हुए कि सोशल साइट्स के जरिए होने वाले रिश्ते ज्यादा दिन नहीं टिकते। वह दोनों अपने सुखी वैवाहिक जीवन के 7 साल पूरे कर चुके हैं।
रिश्ता चाहे परिजनों द्वारा ढूंढा गया हो, सोशल साइट्स या प्रेम विवाह। सुखी दांपत्य व उसकी सफलता के लिए ज़रूरी है पति पत्नी का आपसी सहयोग, प्रेम व विश्वास।