NARINDER SHUKLA

Tragedy

4.5  

NARINDER SHUKLA

Tragedy

सत्य की खोज़ में महात्मा गांधी

सत्य की खोज़ में महात्मा गांधी

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गांधी जी के जन्म दिवस पर स्वर्ग में टी - पार्टी चल रही थी।

गांधी जी एक ओर स्वयं निर्मित चटाई पर बैठे सूत कात रहे थे। उनके दायीं ओर, गरम दल व बायीं ओर नरम दल के चुनिंदा नेता बैठे हैं। बधाई देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की कतार लगी है। बापू को गुलाब के फूलों का गुलदस्ता देते हुये एक पवित्र नेता ने कहा - बापू जी, बधाई हो। आज आप पूरे 151 साल के हो गये। हम सब आपकी सत्यता, ईमानदारी , अहिंसा , सदाचार के कायल हैं। किंतु सुनते हैं कि उधर हमारे मुल्क में गरीबों, असहायों, किसानों की स्थिति दयनीय है। उनकी सुनने वाला कोई नहीं। तथाकथित नेता मासूम लोगों की भावनाओं, इच्छाओं, आकाक्षांओ का कत्ल कर रहे हैं। वे उनकी छाती पर चढ़कर राज करना चाहते हैं। पुलिस बेगुनाह लोगों पर कोड़े बरसा रही है। महिलाओं व बच्चों तक की आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं। राजनीतिज्ञ अपने स्वार्थ के लिये विद्यार्थियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। असहिष्णुता बढ़ती जा रही है। प्रजातंत्र भीड़तंत्र में परिवर्तित हो चुका है क्या यही दिन देखने के लिये हमनेे अपने जीवन की आहुति दी थी। आपको इस मामले में दखल देना चाहिये।

गांधी जी विचारमग्न हो गये - सत्याग्रही ठीक कह रहे हैं। मुझे स्वयं जाकर सत्यता की खोज करनी चाहिये।

उन्होंने महादेव भाई को बुलाकर कहा कि वे भारत का दौरा करने जा रहे हैं। मेहमानों का का ख्याल रखना। 

साबरमती आश्रम के सामने वाली गली से कुछ लोगों के चीखने - चिल्लाने की आवाज़ें आ रही थी। गांधी जी ने देखा - चार- पांच हटटे - कटटे युवक एक दुबले - पतले काले से दिखने वाले युवक को पेड़ से बांधकर डंडों से बेरहमी से पीट रहे हैं। पास खड़ा लगभग दस - बारह बर्ष का एक बालक मदद के लिये रिरिया रहा है। पर भीड़ में से कोई उसे बचाने के लिये तैयार नहीं है। कुछ लोग लाइव वीडियो बना रहे हैं। खोज़ी पत्रकार ‘पत्रकारिता ‘ का आनंद ले रहे हैं। गांधी जी ने वहां खड़े एक नौजवान से पूछा - भाई यहां क्या हो रहा है ? ये लोग इस अभागे को क्यों मार रहे हैं ? आखिर क्या कसूर है इसका ? आप सब इसे बचाते क्यों नहीं ?

नौजवान ने कोई जवाब नहीं दिया। फिलहाल वह मारने वालों का हौसला बढ़ाने में मग्न था - और मारो साले को। अछूत कहीं का। हम राजपूतों की बराबरी करेगा। हमारे मोहल्ले से बारात निकालेगा। और मार, और मार। इतना मारो कि दोबारा घोड़ी पर बैठने के काबिल न रहे। हमारे मोहल्ले में हमारे सामने से बारात निकालेंगे राजा साहब। हूं।

बरगद के पेड़ के साथ खड़े पनवाड़ी ने जवाब दिया -वह दूल्हा है बाबा। और वह जो नीली स्वैटर वाला लड़का है न , जो पास खड़ा मदद के लिये गुहार कर रहा है। वह सहबाला है। इनका यह कसूर है कि इन लोगों ने राजपूतों के मोहल्ले से बारात निकालने की कोशिश की है।

वैष्णव जण तो तेने कहिये, जे पीड़ पराई जाने रे।

गांधी जी बेहद दुःखी स्वर में बोले - बेटा भगवान ने सभी लोगों को एक समान बनाया है। कोई जाति नहीं। कोई छोटा - बड़़ा नहीं है। सभी प्राणियों में आत्मिक एकता है। मैंने स्वयं एक हरिजन कन्या को गोद लिया है। बेहद शर्म की बात है कि एक भाई ही दूसरे भाई पर अत्याचार कर रहा है।

पनवाड़ी गांधी जी की नादानी पर हँसा - बाबा काहे मासूम बनते हो। शक्ल से तो अच्छे - खासे आदमी लागत हो। ऐसी दीवानों जैसी बातें काहे करत हो।

अपनी नुकीली मूंछों को उमेठते हुये बोला - यहां बराबरी की बात करते हो बाबा। यहां तो जिसकी लाठी उसी की भैंस है।

गांधी जी ने टोका - पर कानून भी तो कुछ है।

उसने ज़र्दा थूक दिया - कानून का है ? का है कानून।? भाई , कानून है अमीर लोगों की कठपुतली। नेता लोगों की रखैल। जो पैसा फेंकत है उन्ही के आंगन मा नाचय लागत है। समझयो की नाहीं ।

केले के ठेले की ओर खड़े पुलिस वालों की ओर इशारा करता हुआ वह बोला - वह देखो , खड़े हैं - कानून के चैकीदार। पीटने वालों से 20 हज़ार रुपया लिया है। अब फ्री में केला खाय रहे हैं। खाओ बाबू खाओ। हम सब की आँखें, कान व नाक बंद हैं। हर तरफ शांति है। कोई टेंशन नहीं। पीटने वाले , दूल्हे को अधमरा कर चल देते हैं। खेल खतम। पैसा हज़म। पनवाड़ी अपनी दुकान पर चल देता है।

पास खड़े एक बुज़ुर्ग ने बताया - अभी परसों ही गोरक्षा के नाम पर , यहीं पड़ोस में रहने वाले अलगू को गोरक्षक दबंगो द्वारा इतना पीटा गया कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई। गांव वाले बताते हैं कि इन्हीं चैकीदारों ने उसे अस्पताल पहुंचाने में देरी की। अब क्या बतायें तुमसे , चारों ओर गोरक्षक ही गोरक्षक हो गये हैं। सब अपनी - अपनी दुकान खोल कर बैठे हैं। जानवरों की इतनी चिंता है लेकिन इन्सान के जान की कोई अहमियत नहीं है। कीड़ेे - मकोड़े हैं हम सब।

गांधी जी ठेले वाले के पास केले खा रहे पुलिस वालों से शिकायत करते हैं। लेकिन कोई नहीं सुनता। केला खाने वाले सिपाही ‘जिप्सी‘ में चले जाते हैं। 

बापू सोचने पर मजबूर हो जाते हैं - क्या यही स्वतंत्र भारत है। जिसकी कल्पना में मैंने सारा जीवन अर्पित कर दिया।

सोचते - सोचते बापू ने निर्णय लिया - क्यों न इसकी शिकायत सरकार से की जाये। शायद , पीड़ित की सहायता हो सके। उसका दर्द कुछ कम हो सके।

भारी मन से वे दिल्ली की ओर चल पड़े।

महात्मा गांधी मार्ग ‘ के साथ लगते पार्क में ‘क ‘ पार्टी के नेता , श्री मेवा राम जी का भाषण चालू था - भाइयो और बहनों , 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिये कि नहीं ?

भीड़ में से किसी ने कहा - हमें फ्री बिजली चाहिये। ‘च‘ पार्टी का नेता देता है।

नेता ने भीड़ में तथाकथित शक्स को पहचानते हुये कहा - ये देश विरोधी है। यह अपोजेशन से मिला हुआ है। अरे भइया , जरा अपनी आत्मा में भी झांक कर देखो। क्या तुमने कभी फ्री में केला खाया है। तुम देश का विकास चाहते हो कि विनाश। 

चिन्हित होते ही शक्स एकाएक भीड़ से गायब हो गया।

मेवा राम ने राहत की सांस ली और ओपन पब्लिक में दूसरा सवाल उछाला - भाइयों और बहनों , पड़ोसी देशों में विशेष वर्ग के लोग , जो पीड़ित हैं उन्हें हमारे यहां नागरिकता मिलनी चाहिये कि नहीं। यह हमारा प्लान नहीं है। फलां - फलां डेट को गांधी जी ने भी यही कहा था।

गांधी जी हतप्रभ - मैंने ऐसा तो नहीं कहा था ! मेरी नज़र में तो समाज में जो भी पीड़ित है, उसे न्याय मिलना चाहिये। इय धरती पर सबका अधिकार है।

कल्लू धोबी ने पूछा - नागरिकता माने ?

रामखेलावन माली ने कहा - नागरिकता माने , वोट देने का अधिकार।

भीड़ में से किसी भक्त ने समझाया - वोट माने, हमें इन्हीं को चुनना है। इन्हीं की सरकार बनानी हैं। बोलो ‘क ‘ पार्टी की जय। मेवा राम जी की जय।

अपनी मां की बीमारी का सस्ता इलाज़ कराने कैनेडा से भारत आई मिनी ने काउंटर अटैक किया - पर हमारे यहां तो सिटिजनशिप का मतलब गारटिंड शि़क्षा , कन्फम्र्ड इप्लाइमेंट, बेहतर पानी , बिजली , स्वास्थ्य एंड ओल्ड एज़ पेंशन है। हाल ही में मिनी ने प्रिग्नैंसी टूरीज़़्म के तहत अपनी बहन को कैनेैडा भेजा है।

नेता जी ने आश्वासन दिया - अगर हमें जिताओगे तो यहां भी देंगे।

दसवीं के एक विद्यार्थी ने अपने टूटे हाथ को हवा में लहराते हुये पूछा - गडढ़ों से सड़क कब निकलेगी ?

नेता जी ने उघर न देखते हुये अपनी पीठ थपथपाई - माताओ और बहनों - अभी गैस सिलेंडर दिया है कि नहीं  । जरा बताओ। बिजली के खंबे लगवाये कि नहीं ?

एक ग्रामीण ने पूछा - इलैक्शन के बाद खंबे उखाड़ तो नहीं लिये जायेंगे ? पिछली बार खंबे इलैक्शन रिज़ल्ट के चंद मिनटों बाद ही उखाड़ लिये गये थे।

नेता जी ने कोई उत्तर नहीं दिया।

दूूसरे ग्रामीण ने पूछा - सिलेंडर में गैस कौन भरेगा। किसानी डूबने के कारण, घर का खर्च चलाने के लिये उसे अपना सिलेंडर शादियों में किराये पर देना पड़ता है। अब वह चार पैसे कमाकर , बेटी की शादी करना चाहता है।

एक बुज़ुर्ग ने पूछा - बलात्कार कब कम होंगे ?

नेता जी ने भरोसा दिलाया - हमारे जीतने पर एक भी बलात्कारी नहीं रह जायेगा।

बुज़ुर्ग ने शंका व्यक्त की - आपके मंत्री रामफेर का क्या हुआ ? बलात्कार - हत्या का दोषी होने पर भी वह आपकी पार्टी में है। आप पर विश्वास कैसे किया जाये।

नेता जी ने सवाल अनसुना कर दिया।

एक पार्टी कार्यकर्ता ने नेता जी के कान में सूचना दी - अमुक राज्य में पांच विधायक बागी हो गये हैं। सरकार गिर सकती है।

नेता जी का मुंह लाल हो गया। क्रोध में बोले - कहां मर गई सरकारी एजेसियां ? छापा टीम कहां हैं ? पीछे लगा दो सालों के। बच के जायेगें कहां।

कार्यकर्ता ने कहा - खरीद - फरोक्त में सरकारी खज़ाना खाली हो रहा है।

होने दो। टैक्स बढ़ा कर रिकवर कर लेंगे। चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है।

कीमतें आसमान छू रही हैं।

छूने दो । बाद में निपट लिया जायेगा।

कंधे पर हाथ रखकर उन्होने कार्यकर्ता को पोलियो की दवा पिलाई - अबे गांठ बांध ले , सत्ता हमारी गर्लफ्रेंड है। साली को पाने के लिये कुछ भी करेंगे। कोई सीमा नहीं। कोई बैरीगेट नहीं।

कार्यकर्ता मुस्कराता हुआ चल देता है।

एम. टेक पास दिनेश ने प्रश्न किया - हमारा चाय - पकोड़े का बिज़नेस आपकी नोटबंदी से चैपट हो गया। क्या सरकार हमें कंपनशेशन देगी ? नोटबंदी से रामराज्य लाने की कल्पना सरकार की थी।

एक अबला ने अपनी सूजी आँख दिखाते हुये गुहार लगाई - हमार मरदवा शराब पी के हमें पीटता है। हमें भी कंपनशेशन चाहिये। - ‘बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ ‘ का नारा भी सरकार का है। 

नशे में धुत्त अबला के पति ने गुजारिश की - आपके अमुक राज्य में शराब बंदी है। दारु ब्लैक में दोगुने रेट में मिलती है। मुनाफ़ाखेरर चांदी कूट रहे हैं। मजा़ नहीं आ रहा। घर का कोना - कोना कर्ज़े में डूब गया है। दारु दो , वोट लो। हमारे सारे साथी आपके साथ हैं।

देसी शराब बनाने वाले राधे ने डिप्लोमैटिक विरोध किया - शराब से वायलेंस होती है। घर तबाह हो जाते हैं। शराब नैतिक स्तर पर मनुष्य को कमजोर कर देती है। शराब बंद होनी ही चाहिये। उसे अपने व्यापार की चिंता है।

नेता जी ने अबला को भरोसा दिलाया - चिंता न कीजिये। हमारा काम अबलाओं को सहारा देना है। आप शिकायत दर्ज़ कराइये। सिपाही प्रतिदिन आपके पति का मुंह सूंघने आया करेगा।

नेता मेवा राम जी को अचानक कुछ याद आ गया। वे भावुक हो गये - भाइयों और बहनों , हमें नव भारत का निर्माण करना है। देश को विकास के चरम पर ले जाना है। यह गांधी और पटेल का देश है। हमें हमेशा उनके मार्ग पर चलना है। बाबू जवाहर पीछे छूट गये।

नेता जी के ठीक बायीं ओर से हवा का तेज़ झोंका आया - सब झूठ। सब झूठ। स्थानीय राजकीय कॉलेज के विद्यार्थी फीस बढ़ोतरी के कारण आंदोलन पर थे।

नेता जी ने उधर घ्यान नहीं दिया। उन्होंने लोगों से पूछा - भाइयों और बहनों , आप ही बताइये, आप रोज गांधी मार्ग पर चलते हैं कि नहीं ? 

मसखरा ननकू आनंद से झूम उठा - ई तो ससूर का नाती बहुत बड़ा फिलास्फर है भाई। जियो लाल जियो। हमरो वोट तोहरे साथ है।

नेता जी आगे बढ़े - मैं इस मंच से अपने व्यापारी भाइयों से अपील करना चाहता हूं कि उन्हें नैतिकता का पालन करना चाहिये। उन्हें अपने दिल में मानवीयता जगानी होगी। इस देश में बहुत गरीब लोग हैं। उन्हें दया करनी चाहिये।

मंच पर बैठे व्यापारियों ने होंठ चबाते हुये कहा - हम सब आपके साथ हैं।  व्यापारी नेता जी को मन ही मन कोसते हुये बुदबुदाये - चंदा भी लेते हो और मानवीयता की शपथ भी हमीं से दिलाते हो। वाह रे तेरी। पोपट समझ रखा है क्या ?

नेता जी ने भाषण समाप्त करते हुये कहा - भाइयों और बहनों , हम सब को मिल कर , बापू के इस देश को स्वर्ग बनाना है। उनके रामराज्य के सपने को पूरा करना है।

पर, आपके राज्य में तो गांधी जी की मूर्तियां तोड़ी जा रहीं हैं। क्या गांधी जी के मूल्यों को जीवित कर पायेंगे। गांधी जी के अनुयायी मन्नालाल ने आशंका जताई।

व्यथित मन्नालाल ने लगभग रोते हुये कहा - बापू ने रंग - भेद , जाति भेद के अंतर को समाप्त किया। धर्म व जाति से उपर उठकर सामूहिक रुप से कार्य करने की प्रेरणा दी। पर मैं पूछना चाहता हॅं कि आज उनके आदर्श कहां हैं ? अहिंसा और आपसी भाईचारे की भावना कहां गायब हो गई ?

नेतागण अपने काम के बल पर वोट न मांगकर एक - दूसरे पर कीचड़ उछाल कर सत्ता का आनंद लेना चाहते हैं। भाषा पर कोई लगााम नहीं। कहीं सब्र नहीं।

आज बापू कहां हैं ? कहां है उनका आस्तित्व। हमने उन्हें महज़ मूर्तियों , भजन - कीर्तन, सांस्कतिक सभाओं , इलैक्शन भाषणों , खादी वस्त्रों की डिस्काउंट सेल तक सीमित कर दिया गया है।

नेता जी का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा। नथुने फड़कने लगे। परंतु उन्होने पानी पिया और अपने लोगों को इशारा करते हुये बड़े संयम से बोले - यह विरोधियों की चाल है। वे नव - भारत के विकास में रोड़े अटकाना चाहते हैं। हम ऐसा नहीं होने देंगे।

एक भक्त ने अपने साथी को आंख मारी - बच के रहना रे बाबा। बच के रहना रे। बहुत चिपकता है। पुराना खिलाड़ी है। ऐसे नहीं मानेगा।

भक्तों ने अपने - अपने झोले टटोले। टमाटर , अंडे , जूते जिसके हाथ जो लगा , बरसाने लगे। एको भक्त ने मन्नालाल के मुंह पर कालिख पोत दी। दूसरे ने उन्हें धक्का देकर गिरा दिया।

उधर , भाषण समाप्त होते ही पार्क के बाहर खड़े , ठेकेदारों से ‘दिहाड़ी ‘ लेने के लिये लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। धक्का-मुक्की होने लगी । सभा में भगदड़ मच गई। गांधी जी गिर गये। भीड़ उनकी छाती पर से गुजरने लगी। बापू का शरीर लहुलुहान हो गया था। चेहरा खून से लथपथ था। लंगोटी तार - तार हो गई थी। ऐनक कूड़े के ढे़र के पास कुचली पड़ी थी और उनकी लाठी स्थानीय गुंडों ने हथिया ली थी।

चलत मुसाफिर मोह लिया रे , पिंजरे वाली मुनिया . .।

सरकारी स्कूल की बिल्डिंग पर लघु शंका करता हुआ नशे में धुत्त मनसुख लाल मस्ती में उन्मुक्त गा रहा है।



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