NARINDER SHUKLA

Drama

5.0  

NARINDER SHUKLA

Drama

बीवी संग न खेलो होली

बीवी संग न खेलो होली

3 mins
380


आज मेरे मित्र राधेश्याम , सुबह से ही भांग छान आये थे। आते ही बमके - बीवी संग न खेलो होली।

मैंने कहा - भैया जरा धीमे। क्यों त्योहार के दिन खुशहाल घर में मोहरम मनवाना चाहते हो।

वे पूरे जोश में थे। वैघानिक चेतावनी को दरकिनार करते हये , दोनों हाथ उपर कर और जोर से बौराये - हे संसार के पतियो सुन लो। अपनी बीवी के साथ होली खेलना सबसे घात. . ।

इससे पहले कि वे लाइन पूरी करते मैंने अपनी हथेली से उनका मुंह बंद कर दिया - यार , थोड़ी सी अकलमंदी अपने घर के लिये भी बची रहने दो।

वे चैथे गियर में थे। उन्हें अब रोक पाना बेहद कठिन था।

मुझे उहालना देते हुये बोले - सारा दिन भाभी जी के पल्लू से बंधे रहते हो। तुम्हारे कारण ही आज़ बीवीयों ने हमारे नाक में दम कर रखा है।

उन्हें एक कोने में ले जाकर मैं फुसफुसाया - यार राधे , क्या किसी ज्योतिषि को अपना हाथ दिखा आये हो ?

वे फूल कर कुप्पा हुये। अपनी सफाचट दाढ़ी पर हाथ फेरतेे हुये तनिक दार्शनिक अंदाज़ में बोले - इस संसार में इस पंडित से बड़ा कोई पंडित है प्यारे जो तुम्हें यह दिव्य ज्ञान दे सके।

वे मुझे समझाते हुये बोले - दरअसल , होली का अर्थ है - आज़ादी। आज़ादी मायने पूरी स्वतंत्रता। कोई रोक - टोक नहीं। होली का त्योहार हम गुलामों के लिये ही बना है। यह त्योहार हमें बताता है कि आज के दिन हम सब अपने मन के राजा है। चाहे जिसकी चुनरिया भिगोयें। चाहे जिसके गाल गुलाबी करें बइयां मरोड़े। कोई टेंशन नहीं। यह यहाॅं - वहाॅं गलियों में ढ़ोल लटकाये हुये मस्त फिकरे कसने का पर्व है। छैल - छबीला बनने को दिन है। सोम रस में डूबे रहने का दिन है। गोपियों के साथ रास रचाने का दिन है।

मैंने कहा - यार , यह तो बीवीयों के साथ ना इंसाफी है।

वे ठहाका मार कर हंसे - प्यारे , रहे पोंगा के पोंगा ही। भाई मेरे शरारत का जो मज़ा भाभियों के साथ होली खेलने में हैं। वह बूढ़ा चुकी बीवीयों के साथ कहाॅ।

मैं कुछ कहने ही जा रहा था कि श्रीमती जी अपनी चुनिंदा सखियों के साथ आ धमकीं और राधे को गुलाल लगाते हये अंखियों ही अंखियों से बात करते हुये बोलीं - भैया , आज़ तो सूखा न छोड़ेगे।

श्रीमती जी के बायीं ओर पच्चास साला बाब-कटट आंटी ने दूर से ही रंग फेंका - बुरा न मानो होली है।

अरे बुरा कहाॅं मान रहे हैं सखियो। लो मलती जाओ। लेकिन तनिक करीब से। बायां गाल आगे करते ‘श्याम‘ ने चुटकी ली।

श्रीमती जी ने कनखियों से मुझे इशारा किया। पीछे भाभियों के पति रंगों की बाल्टियां लिये खड़े थे। इशारा पाकर उन्होंने राधे को पूरी तरह रंगों से सरोबार कर दिया।

राधे रुआंसे हो उठे । लेकिन , श्रीमती जी की सहेलियां नहीं मानी। पड़सी दुबे की बीवी आज साक्षात मेनक लग रही थी। गोरे - गोरे गालों पर लाल रंग मुझे शरारत करने को मज़बूर कर रहा था। लेकिन , राधे की हालत देखकर मैं हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।

पड़ोस की पनवाड़िन ने पीक फेंकी - भैया इधर तुम हमें रंग रहे हो। उधर तुम्हारी बीवी गुप्ता जी के रंग में रंगी है। ननकू धोबी अलग से पिचकारी लिये खड़ा है।

वे एक - दूसरे को भूत बनाने में लगे हुये थे। और मैं सोच रहा था कि भाभियां सचमुच कितनी सुंदर होती है। काश मैं कुछ कर पाता।

अच्छा शुक्ला , अब चलता हूं। तुम्हारी भाभी राह देख रही होगी। उन्होने पनवाड़िन की बात सुन ली थी।

मैं स्वर्ग लोक में था। राधे की आवाज़ सुनकर धरती पर आ गिरा - क्या ?

घर जा रहा हॅंूं प्यारे। राधेश्याम ने लगभग चीखते हये कहा।

मैंने उनकी आंखों में देखा। नशा उतार पर था।

मैंने आग्रह किया - बैठो पकवान खा कर जाना। तुम्हारी भाभी ने खास तौर पर तुम्हारे लिये बनाये हैं।

फिर कभी। अभी तो जाने ही दो। अगर जल्दी घर न पहुंचा तो वह मेरा कोट मार्शल कर देगी। हुक्का पानी बंद। समझे। कहते हुये वे तेज़ी से अपने घर की ओर लपक लिये।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama