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NARINDER SHUKLA

Drama

4  

NARINDER SHUKLA

Drama

नसीहत

नसीहत

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‘तू इसे पढ़ने क्यों नहीं भेजती ? घर की मालकिन ने बर्तन मांजने वाली फूलवती की बेटी की ओर इशारा करते हुये उससे पूछा। ‘

‘बीवी जी, अगर यह स्कूल जायेगी तो घर का खर्च कैसे चलेगा। फूलवती ने गिलास धोते हुये कहा। ‘

‘देख फूलवती, अगर यह पढ़ - लिख जायेगी तो और भी अच्छे तरीके से तेरी आर्थिक मदद का सकेगी। और, कल इसे ससुराल भी तो जाना है। आजकल अनपढ़ लड़की को ससुराल में कोई नहीं पूछता। ‘

‘अच्छा मालकिन, मैंने यह तो कभी सोचा ही नहीं। ‘

‘ फूलवती, तेरा बेटा राजू आजकल क्या कर रहा है ? मालकिन ने कुछ सोचते हुये पूछा। ‘

‘बीवी जी, इस बार आठवीं की परीक्ष दे रहा है। मास्टर जी कह रहे थे कि इस बार भी अगर राजू स्कूल में फस्र्ट आया तो उसे 100 रूपया महीना वजी़फा मिलेगा। फूलवती की आंखों में एकाएक चमक आ गई। ‘

‘अच्छा, देख फूलवती,कल मीनाक्षी को देखने लड़के वाले आ रहे हैं। तूझे तो पता ही है कि रामू छुटटी पर गया है। सुन, कल सुबह रामू को यहां। भेज देना। फूलवती के कंधे पर हाथ रखते हुये मालकिन ने कहा। ‘

‘ पर, बीवी जी कल तो उसका हिसाब का पेपर है। फूलवती के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं। ‘

‘ तो क्या हुआ। स्कूल में एप्लीकेशन भेज देना कि पेट में दर्द था। तू चिंता न कर। मैं डाॅक्टर चुग से कहकर मैडिकल सर्टिफिकेट बनवा दूंगी। ‘

वह हतप्रभ, मालकिन का मुंह ताकती रह गई।


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