सस्ती चाय वाली
सस्ती चाय वाली
कितना खुबसूरत है न चाय शब्द और उससे भी ज्यादा खूबसूरत चाय पीने वालो की तलब। जी हां आज आपको रूबरू करवाने जा रहे हैं एक विवाहित जोड़े की जो लगते बहुत गरीब घर के थे। किंतु उनकी बनी हुई चाय शहर के बड़े शो रूम (मॉल) में बिकती थी। जी हां मैं बात कर रही हूं उत्तर प्रदेश राज्य के नोएडा शहर जो अपने आप में बहुत प्रसिद्ध है जहां भारी मात्रा में जनसंख्या है। इस शहर का मशहूर एक मॉल है। द ग्रेट इंडिया पैलेस (जी आई पी)। जहां में कभी बहुत कम समय की नौकरी पर थी। यूं कह लीजिए मैं उस चाय वाले की चाय पीने ही वहां गई थी।
मेरा समय होता था सुबह के ११बजे से शाम के ७ बजे तक का ११बजे जो कि सर्दियों के दिन कोई अचंभित करने वाला समय नही था। मैं जाती थोड़ी देर वहां बैठती भंडार कक्ष जांचती और फिर आकर वापस कुर्सी पर बैठ जाती। एक सफाई वाली आंटीजी आती चतुर बुद्धि की बहुत ही तेज और ज्यादा बोलती थी। वह हमेशा ही ऐसे झाड़ू पोंछ करती थी जैसे बस हाजिरी देने आई हो । कई बार उनके काम को लेकर हमें आपस में बहस भी हो जाती थी। आंटीजी के जाने बाद वक्त होता था चाय का जिसका मैं बहुत ही बेसब्री से इंतजार कर रही होती थी। उसकी आवाज नीचे के तल से उपर को आने वाली तकनीकी सीढियां (लिफ्ट) चढ़ते ही पता चल जाती थी। नाम था उसका ज्योति हर कोई उसे उसके नाम से बुलाता और वो एक सिरे से शोरूम के अंदर जा जाकर चाय और मांग होने पर साथ में नमकीन मट्ठी और नमकीन की bnd पैकेट तो कभी बिस्कुट देती थी। हमें इंतजार होता हमारे पास आने तक चाय ठंडी न हो जाय। लेकिन चाय ठंडी है ये शिकायत करने पर वो नाराजगी जताती।
