Sudhirkumarpannalal Pratibha

Inspirational

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Sudhirkumarpannalal Pratibha

Inspirational

सर्वोत्तम सुख

सर्वोत्तम सुख

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कॉलेज का एनुएल फंक्शन खत्म हो गया था। एक हफ्ते की लंबी छुट्टी मिल गई थी । हॉस्टल में पढ़ते-पढ़ते माथा खराब सा हो गया था। फोर हाउस का लड़का अमन अपने दोस्त उमेश के पास आया और उमेश से बोला," उमेश क्यों न कहीं घूमने चला जाए ? "

उमेश बोला," तुम्हारा विचार अच्छा है , पढ़ते-पढ़ते मै भी उब चुका हूं , थोड़ी मस्ती हो जाएगी , उदास जिंदगी में मस्ती की चासनी न डाला जाए तो जीवन पहाड़ सा लगने लगता है....हम दोनों दोस्त हीं सिर्फ घूमने चलेंगे कोई दूसरे को नहीं ले जाएंगे । "

मगर कहां ? यह एक यक्ष प्रश्न था।

उमेश कह रहा था, "पहाड़ों पर चला जाए ।... प्रकृति से मेरा बहुत ही जुड़ाव है ।"

अमन कहता , "शहर घूमने चला जाए । शहरी जीवन और शहरी वातावरण मुझे बेहद आकर्षित करती है।"

उमेश अमन कि बात सुनकर बोला," हरी-भरी वादियां , नदियां और झरने वाली कोई जगह हो तो बताओ।"

अमन बोला,"कोई अच्छा शहर तुम बताओ ... वहीं घूमने चलते हैं..... कुछ देर तक वहां पर मस्ती करेंगे , और देर शाम होते-होते अपने हॉस्टल में आ जाएंगे । "

उमेश बोला," दोस्त इस बार मेरी चलेगी।....आज पहाड़ों और झरना के बीच हीं हमको जाना है। ....कल तुम्हारे मन से हम दोनों शहर भी घूम लेंगे।"

अमन उमेश की बातों पर अपनी सहमति जताई।

अमन उमेश से पूछा , " खूबसूरत वादियां पहाड़ झरने.... कहां पर है.... जहां हमलोग चलेंगे ?"

उमेश बोला,"अमन यह खूबसूरत वादी , शायद इस पृथ्वी पर कहीं नही होगी,सच पूछो तो यह जगह स्वर्ग से कम भी नहीं है , .....वहां क्या नहीं है ......अनेक अनेक प्रकार के पौधे अनेकानेक प्रकार के फूल खूबसूरत नदियां जंगल चिड़ियाघर सब चीज तो है यहां पर ....मेरा अपना मानना है, उससे बढ़िया और कोई जगह हो ही नहीं सकती।.... अगर तुम्हारा विचार है तो हमदोनों वहां चले और खूब मस्ती करेंगे। अगर तुम नहीं जाओगे , तो हम तो जाएंगे ही जाएंगे।"

अमन उमेश से आश्चर्य से पूछा, " वह जगह है कौन सी ?"

उमेश बोला ,"भगवानपुर प्रखंड के रामगढ़ अवस्थित पवरा पहाड़ी पर स्थित, मां मुंडेश्वरी जी का मंदिर।"

अमन बोला, "उमेश यहां से कितना दूर है ,यह मंदिर ?"

अमन के प्रश्नों का उमेश ने जवाब दिया,"यहां से 30 किलोमीटर दूर भगवानपुर है, भगवानपुर से 10 किलोमीटर दूर पवरा पहाड़ी है, और इसी पहाड़ी पर है मां मुंडेश्वरी मंदिर धाम।.... यहां से कुछ हीं दूरी पर है झरने, पहाड़, फूलों की घाटी।"

अमन बोला,"तुम अकेले चले जाओ ...मेरी इच्छा नहीं है।

अमन की बात सुनकर,उमेश को गुस्सा आया,वो गुस्से में बोला,"मै अकेले हीं चला जाऊंगा... साथ चलने की जरूरत नहीं है।

                          

                        

बस का एकाएक ब्रेक लगा । सारे यात्री आगे की तरफ झुक गए। उमेश भी आगे की तरफ झुका।तभी उसके कान में खलासी की आवाज आई , "भगवानपुर आ गया ।"उमेश बस से उतर गयाबस आगे बढ़ गई।

उमेश चारो तरफ देखा दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था। वो आगे की तरफ बढ़ने लगा । कुछ हीं दूर पैदल गया होगा कि तभी उसकी नज़र एक बच्चे पर पड़ी , जो गुब्बारा बेच रहा था।वो उमेश के करीब आ रहा था । करीब आते हीं वो लड़का बोला," साब गुब्बारा लेंगे ?"

 उमेश उस लड़के के तरफ गौर से देखा , उस लड़के का उम्र करीब 15 साल था , उसके चेहरे पर घोर मायूसी थीं ।....यह देखकर उमेश को काफी दया आई।

उमेश बोला,। " तुम्हारा यह एक गुब्बारा कितने का है ? "

वह लड़का बोला,"साब 5 रुपए का ।"

 उमेश कुछ देर तक अपलक उस लड़के को देखता रहावो लड़का फिर बोला, "साब 4 रुपया हीं दे दो, मां को दवा लाना है।......पैसे नहीं है।"

"क्यों क्या हुआ है तुम्हारी मां को?

"मां बीमार हैं , साब एक हफ्ते से काम पे नहीं जा रही है। ...घर में खाने को कुछ नहीं हैं।"वो लड़का रुआंसे आवाज में बोला।

उमेश बोला,"तुम्हारे पिताजी कहां पर है ?"

" मर गए।"

"कैसे?"

बीमार रहते थे, दवा के अभाव में ।

" घर पर और कौन - कौन है ?"

"मां और मै"

"पढ़ते हो ?"

"नहीं, पढ़ने जाऊंगा तो खाऊंगा क्या ... मां को क्या खिलाऊंगा, दवा कहां से लाऊंगा...?.... साब दो गुब्बारा ले लो ।" उसकी अकाट्य जवाब से उमेश निशब्द हो गया।....उमेश का दिल पसीज गया था ।

उमेश उस लड़के से पूछा," घर कहां है बाबू, तुम्हारा ?"

 "बगल में ही है साहब, यहां से 10 फ़ाल की दूरी पर ।"

 "क्या तुम अपने घर मुझे लेकर चलोगे?"

"किसलिए ....? साब समय जाया होगा ....इतना देर में कुछ कमा लूंगा?" वो लड़का मना कर दिया।

" कितना कमा लोगे?"

"गाहक का कोई ठीक है ....कब आ जाए.... कितना आ जाए ?"

 उस लड़के की बात सुनकर उमेश बोला,"तुम्हारे सारे गुब्बारे , कितने का है ?"

 "20 गुब्बारे है 100 रुपया हुआ .... आप 90 रुपया दे दीजिए।"

 वो लड़का अपने पूरे गुब्बारे का थोक भाव बता दिया था।

 उमेश उसे ₹90 दिया , और बोला , " अब तो चलो अपने घर , मै तुम्हारी मां से मिलना चाहता हूं। "

वो लड़का ₹90 देखकर खुश हो गया।, " ...चलिए मै मां से मिला देता हूं।" वो लड़का आगे - आगे और उमेश उस लड़के के पीछे -पीछे जाने लगा।

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एक टूटी हुई झोपडी में टूटी हुई खटिए पर एक बूढ़ी महिला लेटे हुए थी , और दर्द भरी आवाज में कराह रही थी । उस बूढ़ी औरत के दर्द भरी कराह को सुनकर उमेश के आंखों से आंसू निकल गया। उमेश बूढ़ी औरत के पास आकर बैठ गया, बोला ,"मां क्या हुआ है ... दर्द है ?"

वह बूढ़ी औरत कराहते हुए बोली, " कौन, कौन है बेटा ?"

उस बूढ़ी औरत का लड़का उसके पास आकर बोला , " एक भैया रास्ते में मिल गए हैं, मुझे तुम्हारी मां से मिलना है, मैं उन्हें लेकर आ गया।"

 वह अपनी आंख खोली, और उमेश के तरफ अपलक निहारते हुए बोली," क्या बात है बेटा ?"

 उमेश बोला, " मां बस मैं यूं ही देखने आ गया आपको।...क्या आप मेरे साथ हॉस्पिटल चलेंगी, मैं आपकी दवा करा सकता हूं ?"

 मजबूरी आदमी को इतना मजबूत कर देता है कि , मजबूर हो जाना पड़ता है ।.. वो औरत बोली, "बेटा बड़ी कृपा होगी।...बेटा पूरे बदन में दरद रहता है ।"

"मां मै अभी रिक्शा लेकर आ रहा हूं।"उमेश बुढ़ी औरत से कहकर रोड पर आ गया।

उमेश बुढ़ी औरत को और उसके लड़के को लेकर हस्पिटल ले गया, दवा दिलाया, और बाजार से ढेर सारे कपड़े दोनों लोग को खरीदा , खाने का समान दिलाया फिर घर पहुंचाया।

उमेश उस औरत से बोला," मां,अब मुझे चलना चाहिए...हॉस्टल जाते - जाते अंधेरा हो जाएगा।"

वो बुढ़ी औरत पूछी,"बेटा तुम कहां के हो.... यहां कहां आए थे ?"

मेश बोला,"मां,मै मां मुंडेश्वरी का दर्शन करने आया था... आज उन्हीं की कृपा से आपका दर्शन हो गया... आप मेरी मां की तरह है...मेरी मां इस दुनियां में नहीं हैं।"

उमेश की बात सुनकर, वो बुढ़ी औरत उमेश को अंक में भर ली ,उमेश का वो दिन याद आ गया जब उसकी अपनी मां गोद में लेकर अपने आंचल में छुपा लेती थी।उमेश के आंखो से आंसू निकलने लगा। उमेश के आंखों में आंसू देख कर बूढ़ी औरत भी रोने लगी।उमेश , बूढ़ी औरत के लड़के को गोद में उठाकर बोला, "आज से तुम मेरा छोटा भाई हो, मैं अगले हफ्ते फिर आऊंगा और अपनी मां को डॉक्टर के पास ले कर चलूंगा दवा टाइम से देते रहना ....अगले बार से मै तुम्हारे पढ़ाई की भी व्यवस्था करूंगा।"

उमेश वहां से विदा लेकर , रोड पर आया और बस का इंतजार करने लगा।....उमेश मन हीं मन मां मुंडेश्वरी देवी का ध्यान किया और उन्हें शुक्रिया अदा किया।

बस आयी , उमेश बस में बैठ गया,और मन ही मन सोचने लगा ,जरूरी नहीं कि खून के रिश्ते हीं अपने हो मन के रिश्ते भी अपने से भी कहीं अधिक अपने लगने लगते हैं।बस चाहीए ईमानदारी, प्रेम ,स्नेह , समर्पण, ...वो अभिभूत था , रोमांचित था, खुश था ...अपनी मां की तरह मां को पाकर।


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