सरप्राइज
सरप्राइज
"मम्मी आज विजिट पे गये थे स्कूल से, वहाँ मुझे चॉकलेट के लिए पैसे भी मिले और एक सरप्राइज भी।" मुन्नू चहक रहा था।
"अच्छा तो कहाँ गया था मेरा बेटा और क्या मिला सरप्राइज?"
"ओल्ड एज होम गए थे; दादी भी थीं वहाँ बहुत प्यार किया मुझे, और रोने भी लगीं।
मम्मा, दादी पूछ रहीं थीं कि अब भी सुबह की चाय संडे को पापा ही बनाते हैं क्या? वैसे ही खूब सारी अदरक डाल कर।" मुंन्नु उत्साह में बोले जा रहा था। "ये भी बोलीं चाय तो तुम्हारी मम्मी ही अच्छी बनाती थी और जब उस कुल्लड़ के कप में देती तो स्वाद और बढ़ जाता था।"
मम्मी को चुप पाकर मुन्नू फिर बोला, "मम्मी आप भी बच्चों को चॉकलेट दिया करना जब वहां जाना रहने।"
"बेटा खूब सारी चॉकलेट ले कर अभी चलते हैं वहाँ और दादी को घर वापस ला कर पापा को सरप्राइज देंगें।" मुंन्नु की माँ ने आंखे पोछते हुए कहा।
"मेरी अच्छी मम्मी !" कह कर मुंन्नु माँ से लिपट गया।
शायद चाय की मिठास ने रिश्तों की मिठास वापस ला दी थी।