Priyanka Gupta

Inspirational

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Priyanka Gupta

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सफर डे 23 ड्रीम

सफर डे 23 ड्रीम

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भारतीय सिविल सेवा परीक्षा भारत ही नहीं विश्व की कठिनतम परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। इसे मदर ऑफ़ आल एक्साम्स भी कहा जाता है। रांझणा मूवी में एक संवाद भी था ,"तुम्हारा प्यार न हुआ ,यूपीएससी का एग्जाम हो गया ;जो ५ सालों में भी क्लियर नहीं हो रहा। "युवा लोग अपने यौवन का एक खूबसूरत समय इस एग्जाम की तैयारी में लगा देते हैं। लाखों लोगों में से कुछ सौ लोग इसको क्लियर कर पाते हैं।

एग्जाम तीन चरणों में होता है। पहला ऑब्जेक्टिव पेपर जो कि सिर्फ क्वालीफाई करना होता है ,इसके अंक आपकी रैंक डिसाइड  नहीं करते। उसके बाद सब्जेक्टिव पेपर ,जिसे अगर क्लियर कर लो तो आपका इंटरव्यू होता है। मैं भी उन कुछ सौभाग्यशाली लोगों में हूँ जिन्हे यू पी एस सी इंटरव्यू देने का अवसर मिला है।मैंने सब्जेक्टिव पेपर क्लियर कर लिया था ;तो बस अब अंतिम पड़ाव पार करना शेष रहा था .

जब मुझे इंटरव्यू कॉल हुआ तो मैं सौवे आसमान पर थी। यह किसी सपने के सच होने जैसा था। अब मैं अपनी मंज़िल के बहुत ही करीब थी। यहाँ तक पहुंचने के लिए मैंने बहुत कुछ खोया था ,फॅमिली फंक्शन्स में नहीं जाती थी। दोस्त सब सेटल हो गए थे ,मैं अभी तक तैयारी ही कर रही थी। रिश्तेदार मेरी उम्र के बारे में अनुमान लगाते रहते थे। मेरे मम्मी -पापा को याद दिलाते थे कि मेरी शादी की उम्र निकलती जा रही है ;जैसे मेरे मम्मी -पापा भूल ही गए हो।कुछ लोग ताना भी मार देते थे .मेरे परिणाम की मुझसे भी ज्यादा चिंता मेरे करीबियों को रहती थी कि कहीं गलती से मैं इस एग्जाम में चयनित न हो जाऊं . इस एग्जाम को पास करना मेरे लिए जीवन और मृत्यु का प्रश्न था।

इतनी सारी विपरीत परिस्थितियों के बाद जब मैं मंजिल के इतने करीब पहुंच गयी थी तो मेरी ख़ुशी का कोई पारावार नहीं था। अब जैसे -जैसे इंटरव्यू का दिन नज़दीक आ रहा था मेरी खुशी और उत्साह अब डर और तनाव में बदल रहे थे। क्यूंकि इंटरव्यू upsc का सबसे मुश्किल और अंतिम पड़ाव है। यहाँ पर असफल होने के बाद ,आपको पूरी प्रक्रिया से दोबारा गुजरना होता है।

आखिर इंटरव्यू वाला दिन भी आ ही गया। मैंने इंटरव्यू के लिए एक भागलपुरी सिल्क की साड़ी खरीदी थी। फाइनल इंटरव्यू से पहले कई मॉक इंटरव्यू भी दे चुकी थी। इंटरव्यू के लिए मैं अच्छे से तैयार होकर गयी। अच्छे से तैयार होने से आपमें कॉन्फिडेंस आता है। मैं बार -बार खुद को समझा रही थी ,"डरो मत ;घबराओ मत ;तुम्हारी तैयारी पूरी है। " लेकिन जब आपकी मंज़िल आपके इतनी करीब हो तो डरना लाजिमी है। जब आपके पास खोने के लिए कुछ होता है ;तब ही उसे खोने का डर भी होता है। यही कारण है कि गरीब मजदूर चैन की नींद सोता है और बड़े -बड़े लोग नींद की गोलियां खाकर भी सो नहीं पाते हैं।

इंटरव्यू बोर्ड में चेयरपर्सन समेत कूल ५ लोग होते हैं। इंटरव्यू रूम तक आपको एक फोर्थ क्लास लेकर जाता है। मैं इंटरव्यू रूम के गेट पर अपना पहला यू पी एस सी  इंटरव्यू देने पहुंच चुकी थी। मैंने चेयरपर्सन से अंदर आने की परमिशन मांगी। पाँचों सदस्य टेबल पर अर्धवृत की शेप में बैठे हुए होते हैं। बीच में चेयरपर्सन और उनकी दोनों तरफ २ -२ सदस्य। वहीँ २ सदस्यों के बीच मैं हलाल होने वाले बकरे यानी कि अभ्यर्थी के बैठने के लिए चेयर रखी हुई थी । बैठने से पहले मैंने सभी सदस्यों का अभिवादन किया।

चेयरपर्सन उस समय कुछ खा रही थी। इस इंटरव्यू में मैं चयनित नहीं हो पायी थी। इंटरव्यू के दौरान ही छाछ भी टेबल पर फ़ैल गयी थी जो की सदस्य पी रहे थे। उसके बाद कुछ मिनट्स तक सभी सदस्य उसमें व्यस्त हो गए थे। इस इंटरव्यू में मुझसे एक बड़ा इंटरेस्टिंग प्रश्न पूछा गया था ;जो मुझे आज भी याद है और मेरा उत्तर भी।

प्रश्न था कि आप में और प्रियंका चोपड़ा में क्या -क्या समानताएँ हैं और क्या -क्या असमानताएँ हैं ?मेरा उत्तर था कि प्रियंका चोपड़ा अपने करियर की ऊचाईयों पर है और मुझे अपना करियर अभी शुरू करना है। वह ग्लैमर वर्ल्ड की हैं ,लेकिन मैं नहीं। दोनों ही मध्यम वर्ग से संबंध रखती हैं और दोनों ही अपने दम पर आगे बढ़ना चाहती हैं। सदस्य मेरे उत्तर से काफी खुश भी दिखे थे ,लेकिन कुछ तो मैंने गलती की ही होगी ;इसलिए मैं अंतिम रूप से चयनित नहीं हो पायी थी।

इसके बाद भी मेरा सफर जारी रहा और मैं यू पी एस सी के साथ तब तक लड़ती रही ;जब तक कि मैं चयनित नहीं हो गयी। कूल तीन इंटरव्यू के बाद तीसरे इंटरव्यू में मुझे यू पी एस सी ने चुन ही लिया।मंजिल तो खूबसूरत थी ही ;उस तक पहुंचने का सफर उससे भी ज्यादा खूबसूरत था .इस सफर ने मुझे धैर्य रखना सिखाया .मुझमें जुझारूपन और कभी न हार मानने की अभिवृति का विकास किया .


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