STORYMIRROR

Shishpal Chiniya

Drama

4  

Shishpal Chiniya

Drama

सॉरी पापा

सॉरी पापा

4 mins
739

"शशि एक नीचे तबके का ऊंचे ख़्वाब लेकर चलने वाला सुंदर सुशील और प्रतिभावान छात्र था।"

"सिर्फ पढ़ाई और किताबों में ही आपनी दुनिया को समेटकर खुश था।'

कभी उसने सोचा नहीं था !

कि जिम्मेदारी भी कोई एहसास है।

बस किताबों में ही वो खुश था।

उसके पापा शराबी थे और बहुत अधिक मात्रा में पीते थे।

एक दिन घर में कोई छोटी मोटी बात हो गई ,

और समाज तक फैल गई और वो अपसेट सा हो गया।

अपने लिए सिर्फ तारीफ सुनने वाला शशि आज हर किसी के मुंह से खुद के बारे में गलत और आपने पापा और परिवार के बारे कुछ भी सुन रहा था।

"पूरी तरह हताश होकर शशि ने घर छोड़ने की ठान ली।"

और घर से दूर जाकर बाहर रुपए कमाकर कुछ अलग और ऊंचा करने के बाद पहचान के साथ गांव आने की सोच कर घर से बाहर जाने की ठान ली।

एक रात पापा के पर्स से पांच सौ रुपए निकालकर चुपचाप घर से निकाल गया

और रात 8 बजे वो आपने गांव के बस स्टेशन गया।

बस में चढ़कर सालासर पहुंचा।

बस में गांव का आदमी बैठा था।

और पूछने लगा

"कहां जा रहे हो बेटा "

शशि - " कोई रिश्तेदार एसएमएस अस्पताल में भर्ती हैं और मिलने जा रहा हूं।"

उस आदमी ने ज्यादा गौर नहीं किया और कहा

"अच्छा"

बोलकर चुप हो गया।

शशि भी ज्यादा बात करना नहीं चाहता था और खामोश होकर बैठ गया।

सालासर पहुंचने के बाद शशि ने सीकर के लिए बस की पूछताछ की और बस मिलते ही तुरंत निकालने की सोची और बस में बैठा और सीकर के लिए निकाल गया।

बस में कुछ और भी सवारी थे और सायोंग से वो भी घर से भागकर आए थे।

शशि कुछ घबराकर बैठ गया।

और बस चलने लगी और शशि की आंख लगने लगी।

जयपुर पहुंचते ही शशि नींद से जागा और पहली बार देखा के दुनिया इसी भी हैं।

थोड़ी झिझक जरूर थी पर खुद को सम्भाल कर आगे बढ़ा।

दिल को दिलाशा देकर आगे बढ़ा और ट्रेन के पास पहुंचा।

और टिकट लेकर कर ट्रेन में बैठ गया फिर ट्रेन चली।

और शशि का दिल ट्रेन के पहियों की तरह आवाज़ करने लगा कि तू गलत कर रहा है।

रास्ते में बस सोच ही रहा था कि मैं गलत हूं या सही।

अब शशि सवाई माधोपुर में था।

हिम्मत बांधकर शशि ने किसी मुशफीर से पूछा कि ,

"ये ट्रेन कहा जा रही हैं।"

तो जवाब मिला कि "ये ट्रेन रतलाम जा रही है।"

शशि ने देखा कि एक टीसी टिकट चेक करते हुए आ रहा है।

शशि बेपरवाह था कि मेरे पास तो टिकट है।

लेकिन जब टीसी ने जांच की तो शशि के होश उड़ गए।

टीसी - " कहां से आया है तू ये टिकट आने वाली ट्रेन की है निकाल यहां से पता नहीं कहां कहां से आ जाते हैं मा******।

शशि घबरा गया और रोने लगा।

वो टिकट आने वाली ट्रेन की थी शशि गलत ट्रेनें में बैठ गया और टीसी ने धमकाकर पूरे रुपए हड़प लिए।

शशि जेब और दिमाक दोनों से गंगु हो गया।

"रात के तकरीबन 2 बज रहे थे।"

और कुछ आंसू आए तो पोंछकर कुछ हिम्मत से जंजीर खींची और उतर गया और भागने लगा।

कुछ पुलिस वाले भी पीछे थे लेकिन रात के आंधियेरे में ये सब खत्म हो गया

फिर वो दौड़ता दौड़ता सवाई माधोपुर के रेलवे स्टेशन आया

और थकथर पानी पी रहा था।

तभी बिना पैसों के छुपकर किसी भी ट्रेन में बैठने की योजना

बनाई और बैठ गया।

तभी कुछ पुलिस और साथ में कुछ पैसेंजर आ रहे थे कि इनका सामान चोरों के हाथ लग गया।

शशि को डरा हुआ देखकर सभी इकठ्ठे हुए इतनी भीड़ को देखकर शशि रोने लगा और भीड़ ने चोर समझ कर पुलिस के हवाले कर दिया।

शशि को कुछ डंडे भी खाने पड़े लेकिन किसी भले आदमी ने मासूम बताकर छुड़वा दिया।

शशि उस भले आदमी के अहसान को मन ही मन आभार कर रहा था।

फिर जयपुर की ट्रेन पकड़कर आने लगा तो पता चला कि उसके किडनेप की खबर आ रही है टीवी पर।

वो और भी घबरा गया और बीकानेर चला गया।

और वहां किसी से फोन मांगकर घर पर बात करने को कहा। तो किसी भले मानुष ने फोन दे दिया घर मां को फोन करके कहने लगा कि में आ रहा हूं और फोन काट दिया।

अब घरवालों कि थोड़ी बेचैनी कम हो रही थी।

"घरवालों ने फिर वापिस फोन किया तो शशि और वो मुसाफिर दोनों बिछड़ चुके थे।

हां इतना पता चल गया कि शशि अब कहां है।

अब ट्रेन नहीं थी बस में बिना किराए के कितनी जिल्लत सहनी पड़ सकती है ये सोचकर चार घंटे तक बस रोते रोते भटक रहा था।

शशि के घर वालो ने उस मुसाफिर को सारी बात बताई तो शशि को वो मुसाफिर ढूंढने लगा लेकिन शशि कहीं नहीं मिला।

शशि का अकेला रोना बयां कर रहा था कि वो कितना पछता रहा है।

अब दूसरे दिन के दोपहर के बारह बज गए थे।

तभी एक आदमी ने पानी दिखाकर कहा कि पानी पिओगे।

बिना उसे देखे शशि ने बोतल थाम ली।

फिर पानी पीकर देखने लगा तो शशि खुद को दुनियां का सबसे बड़ा गुनहगार समझने लगा और खुद का दिल शायद कभी माफ न करे।

शशि के सामने शशि के पापा थे और कहने लगे घर की लड़ाई से तंग आकर कभी घर नहीं छोड़े जाते।

शशि आपने पापा के गले मिलकर रोने लगता है।

तभी गांव की बस आने लगी शशि और उसके पापा दोनों की आंखों में पानी था।

शशि की जुबान पर और दिल में एक ही शब्द था।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama