सोच
सोच
अजय बहुत होनहार छात्र था वह अपने कैरियर बनाने के लिए प्रयासरत था। प्रतियोगिता के इस जमाने में कैरियर बनाना टेढ़ी खीर है, इसीलिए उसे सफलता मिल ही नहीं रही थी। उसके मन में कई ख्याल आते कभी बुरे कभी अच्छे, कई बार सोचता मेहनत करना छोड़ के अब कोई दो नम्बरी काम करके ज्यादा पैसा कमाये, कभी सोचता घर से भाग जाए।
असफलताओं ने उसे हताश कर दिया था इतना पढ़ने लिखने और मेहनत करने के बाद भी वह परीक्षाओं में सफल क्यों नहीं हो पा रहा था। यही सोच सोच के वह दुखी हो जाया करता था।
एक दिन उसकी मुलाकात उसकी स्कूल की मैम से हुई, उसने अपनी मैम की अपनी परेशानी बताकर मन हल्का किया। मैम ने समझाया कि बड़ी सफलता आसानी से नहीं मिलती तुम पूरी लगन और विश्वास के साथ मेहनत करते रहो, सफलता जरूर मिलेगी, तुम बहुत प्रतिभावान हो।
मैम की बात से उसकी सकारात्मक ऊर्जा जागृत हुई, अपने बुरे विचारों को त्यागकर उसने मेहनत का रास्ता अपनाया।
और एक दिन उसे मनचाही सफलता मिल गई।
