पायल
पायल


सोनू को लंबे बाल पसंद थे, उसे रंगबिरंगी चूड़ियाँ पहनना बहुत भाता था। घुँघरू वाले पायल पहनकर उसे छमछम छमछम बजाने का मन करता था। हो भी क्यों न हो, उनकी सभी सहेलियाँ भी तो ऐसा ही करती थी। पर उसकी इच्छा पूरी ही नहीं हो पाती थी।पिताजी उसके बाल कटवा देते थे ,और उसे लड़कों जैसे कपड़े पहनाकर रखते थे। कभी कभी वह अपनी माँ से ,चुनरी की दो चोटी बनवाकर अपने बालों में लगा लेती थी। और अपनी इस इच्छा को पूरा करती थी। उसका कोई भाई नहीं था, और पिताजी को बेटे की लालसा थी, इसी कमी को पूरा करने के लिए वे सोनू को लड़कों की तरह कपड़े पहनाते थे।पर सोनू का मन तो कुछ और ही चाहता थ
ा।सुंदर सुंदर फ्रॉक, रंग बिरंगी चूड़ियाँ और तरह तरह के क्लिप को देखकर उसका बाल मन ललचा उठता था। दादाजी उसके मासूम मन को पढ़कर दुखी हो जाते थे, पर उनकी भी नहीं चलती थी।
एक बार सोनू ने दादाजी से कहा, " दादू मेरे लिए पायल खरीद दो न,मैं उसे पहनकर छम छम नाचूँगी। दादाजी सोनू का मन रखने के लिए उसी दिन ही उसे सुनार के पास लेकर गए, और उसके नाप की घुँघरू वाली सुंदर पायल खरीदकर पहना दिए। सोनू उसे पहनकर बहुत खुश हुई, वह नाचने लगी ।उसे पिताजी का भी डर नहीं था।सोनू की इस खुशी को देख दादाजी का मन भी ख़ुशियों से भर गया, क्योंकि उनके लिए बच्चों की खुशी ज्यादा मायने रखती थी।