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Anita Chandrakar

Inspirational Children

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Anita Chandrakar

Inspirational Children

आज़ादी

आज़ादी

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स्वतंत्रता दिवस आने वाला था। कक्षा में गुरुजी बच्चों को स्वतंत्रता संग्राम के बारे में पढ़ा रहे थे। उन्होंने बताया कि गुलाम भारत को स्वतंत्र कराने के लिए भारतवासियों को कई बलिदान देना पड़ा। अनगिनत अत्याचार और दर्द झेलना पड़ा। गुरुजी ने बच्चों को समझाया कि आजादी से बढ़कर कोई सुख नहीं है, सोने का पिंजरा भी हमें खुशी नहीं दे सकता। मनुष्य के साथ साथ सभी पशु पक्षियों को अपनी आजादी प्यारी होती है। उन्हें भी कैद में रहना पसंद नहीं।

यह सब सुनते सुनते राजू को ख़्याल आया कि वे लोग भी तो अपने तोते को पिंजरे में बंद करके रखते हैं। क्या तोता को भी हमारा घर अच्छा नहीं लगता होगा? क्या वो भी उड़ना चाहता होगा। राजू के मन में कई सवाल जन्म ले रहे थे।

वह घर पहुँचकर सबसे पहले अपने तोते को देखा। तोता पिंजरे में इधर उधर करते हुए बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था। राजू को देखकर वह मिट्ठू मिट्ठू बोलने लगा। राजू उसे हरी मिर्ची खिलाया।

रात में तोते को दाल चावल खिलाकर वह उसे देखता रहा। राजू की माँ बोली, ' क्या हुआ बेटा आज तुम इतने चुपचाप क्यों हो? मिट्ठू को सोने दो, और चलो तुम भी खाना खा लो।

सभी लोग खाना खाकर सोने चले गए पर राजू को नींद ही नहीं आ रही थी। बार बार गुरुजी की बातें याद आ रही थी। आसमान में उड़ते पक्षियों और पिंजरे में बंद अपने तोते के बारे

में वह सोचने लगा। पेड़ों पर फुदकती और फल फूल खाती हुई चिड़ियाँ कितनी ख़ुश रहती हैं। साथ में चहचहाते हुए पक्षी बहुत सुंदर लगते हैं। उसका तोता अकेले पिंजरे में बंद रहता है, कोई साथी भी नहीं है उसका। वह तो उड़ भी नहीं पाता, पिताजी उसके पंख भी काट देते हैं। अगर मुझे अकेले अपने साथियों से दूर किसी कमरे कमरे में बंद कर दिया जाए तो मेरा क्या होगा।

यही सोचते सोचते उनकी आँख लग गई। वह सुबह सबसे पहले उठकर अपने मिट्ठू के पास गया और पिंजरे का दरवाजा खोलकर तोते को आजाद कर दिया। तोता बहुत खुश दिखाई दे रहा था, वह उड़ते उड़ते बहुत दूर चला गया।

जब घर के बाकी लोग उठे तो पिंजरे को खाली देख परेशान हो गए। सब लोग मिट्ठू को इधर उधर ढूँढने लगे। राजू की माँ मिट्ठू मिट्ठू करके आवाज दे रही थी। "कहाँ चला गया होगा मिट्ठू। पिंजरे का दरवाजा किसने खोला। क्या रात में दरवाजा बंद नहीं था ?" राजू की माँ मन ही मन में बुदबुदा रही थी।

सबको परेशान देख राजू ने डरते डरते सारी बातें बता दी। "माँ आजादी तो सबको प्यारी होती है ना। मिट्ठू को भी तो खुले आसमान में उड़ने का मन करता होगा। हम आजाद है तभी तो खुशी खुशी स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं, इसीलिए मैंने मिट्ठू को भी आजाद कर दिया।

घर वाले राजू की बात सुनकर उसकी तारीफ किये और उसके पिताजी पीठ थपथपाए।


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