Shakuntla Agarwal

Inspirational

4.7  

Shakuntla Agarwal

Inspirational

"संवेदनशीलता"

"संवेदनशीलता"

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हम इंसान हैं और भावुक होना स्वाभाविक है ! हमें पता है कि हम आराम से घरों में बैठकर खा - पी रहें हैं ! जबकि हमारें मज़दूर भाई सड़कों पे भूखें - प्यासे मारें - मारें फ़िर रहें हैं ! एक तो कोरोना की चिन्ता, दूसरें पेट की आग उनकों बैठने नहीं दे रहीं है ! इसलिये वो अपने दुखड़े लेकर यहाँ - वहाँ घूमते नज़र आ रहें हैं ! आज गौतमबुद्धनगर में डी एम् साहब के घर के बाहर लोगों की जमा भीड़ अपना दर्द बयाँ कर रही थी !

जब उनसे एक रिपोर्टर ने पूछा तो उनमें से किसी एक ने फ़रमाया जब हमारें पेट में खाना नहीं हैं और हमारें घरोँ में राशन नहीं हैं, तो हम घरों में कैसे बैठे रह सकते हैं ? हम अपनी फ़रियाद लेकर डी एम् साहब के पास आये हैं ! डी एम् साहब की संवेदनशीलता देखिये, वह उन लोगों के दर्द के साथ न केवल जुड़े, बल्कि उनकें साथ खड़े होकर एक सूची तैयार करवाई कि वो कहाँ रहते हैं, उनका पता क्या है और फ़िर उन सबसे पूछा कि सबके पास मोबाइल नंबर हैं ना, तो अपना नंबर भी दो ! तुरंत राशन वाले को फ़ोन पर कहा - मैं एक सूची भेज रहाँ हूँ,

शाम तक उनके घरों में राशन पहुँच जाना चाहिये ! अगर नहीं पहुँचेगा तो मैं तुम्हारें पास पहुँच जाऊँगा ! लोगों ने कहा - हमारें पास राशन कार्ड भी नहीं हैं ! डी एम् साहब बोले - कोई बात नहीं, नहीं हैं तो बन जाएँगे ! राशन लेने वालों ने कहा कि राशन वाला पाँच किलो में से एक किलो काट लेगा !

डी एम् साहब बोलें कि एक ग्राम भी नहीं काटेगा ! अगर काटेगा तो उसके विरुद्ध एक्शन लिया जायेगा ! सलाम है ऐसी दिलेरी को ! अगर समाज में सभी इसी भावना से लोगों के दर्द के साथ जुड़े, तो शायद ही हमारें देश में कोई भूखा सोये ! उनकी महानता के सामने हम नतमस्तक हो गये और अनायास ही आँखें भर आयी !    


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