Harish Bhatt

Inspirational

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Harish Bhatt

Inspirational

संस्कार

संस्कार

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हम जो बोते हैं वो काटते हैं। हम स्वयं अपने भाग्य  के विधाता हैं। हवा बह रही है ; वो जहाज जिनके पाल खुले हैं , इससे टकराते हैं , और अपनी दिशा में आगे बढ़ते हैं , पर जिनके पाल बंधे हैं हवा को नहीं पकड़ पाते। क्या यह हवा की गलती है ?…।।हम खुद अपना भाग्य  बनाते हैं।

-स्वामी विवेकानंद

जवानी की रवानगी होने के बाद कौन किसको पूछता है । सुनहरे भविष्य के सपने संजोए युवा ही सफलता की गाथाए लिखते है। दुर्भाग्यवश लक्ष्य से भटकती युवा शक्ति को सही दिशा मिल जाए तो भारत विश्व इतिहास मे स्वर्णिम गाथाए लिख दे, जो कभी स्वामी विवेकानंद ने लिखी थी। जिनकी याद उनके जन्म दिन को युवा दिवस के रूप मे मनाते है। युवा शक्ति को सदुपयोग मे लगाने का काम माता-पिता और गुरु से बेहतर कोई नही कर सकता। संस्कार की बुनियाद पर ही बुलंदी तक पहुचा जा सकता है। हमारे संस्कार ही हमारा नजरिया तय करते है कि हम किस चीज के कौन से पहलू को अहमियत देते है। क्योकि हर चीज के दो पहलू ही होते है। भले हम इतिहास न बना पाए, लेकिन आदर्श माता- पिता तो बन ही सकते है। आज का बच्चा ही कल का युवा है। इसलिए छोडो कल की बाते, कल की बात पुरानी, नये दौर मे लिखेगे हम मिलकर नयी कहानी हम हिन्दुस्तानी।


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