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डाॅ.मधु कश्यप

Drama

3  

डाॅ.मधु कश्यप

Drama

संजोग

संजोग

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 "भैया ! आप भी कोशिश करो ना ,कि हमारे परिवार के बीच की दूरियाँ खत्म हो जाए ।एक छोटी सी बात इतनी बढ़ गई कि पापा और मौसा जी एक दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करते। बात तो बहुत दूर की बात है।"

"कोशिश तो कर रहा हूँ परी !पर कोई उम्मीद नहीं दिख रही। खुद को कोसता रहता हूँ।अगर मैं उस दिन वहाँ रहता तो बात इतनी बढ़ती ही नहीं है। तू चिंता मत कर ।मैं कोशिश करता रहूँगा। तू भी कर ।"मोहित ने परी को समझाते हुए कहा।

 परी बहुत परेशान थी। उसकी शादी नजदीक आ रही थी और वह नहीं चाहती थी कि एक छोटी सी गलतफहमी की वजह से मौसी जी, मौसा जी और भैया उसकी शादी में शामिल ना हो पाए क्योंकि वह उन लोगों के बहुत करीब थी। इसी चिंता में लगी रहती थी कि कोई तो तरकीब मिले ।

"परी!हम सभी मंदिर जा रहे हैं। तू भी किसी बहाने से सभी को मंदिर लेकर आ जा।"मोहित ने फोन पर कहा।

" ठीक है देखती हूँ भैया !पर अगर किसी को पता चल गया तो बहुत दिक्कत हो जाएगी। पता चला हम जो करने जा रहे हैं वह और बिगड़ जाए।"

" हाँ!यह बात भी तू सही कह रही है ।ठीक है तब ।आराम कर। मैं भी देखता हूँ।"

 परी बहुत दुखी थी ।उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। तभी उसे ड्राइंग रूम से जोर जोर से हँसने की आवाज सुनाई पड़ी।" अरे! यह तो मौसा जी की आवाज है पर वह यहाँ कैसे ?"वह भागी भागी सी अपने रूम से बाहर आई तो देखा कि मौसा जी और पापा हँस हँस के आपस में बातें कर रहे हैं और मम्मी उन लोगों के लिए चाय बना रही हैं ।

" अरे परी !प्रणाम कर ।मौसाजी आए हैं ।इतना आश्चर्य क्या कर रही है।"

"अरे!आपको यह चोट कैसे लग गई मौसाजी।"

"कुछ नहीं बेटा मैं मंदिर जा रहा था।सीढ़ियों पर मेरा पाँव फिसल गया। संजोग से सचिन वहाँ था।उसने मुझे देखा और पकड़ लिया और मैं बच गया ।"

"पर आप दोनों तो।"

"हाँ बेटा ! हम दोनों में बातचीत बंद थी पर इतनी भी बंद नहीं थी कि मैं भैया को किसी मुसीबत में देख छोड़ देता ।हमारे बीच इतनी भी दूरियाँ नहीं आई थी कि एक दूसरे को तकलीफ में छोड़ दें।"

बिना किसी तरकीब और प्लानिंग के पापा और मौसा जी को गले मिलता देख परी बहुत खुश थी। उसे यह एक सुखद संजोग ही मान रही थी। वह जल्द से जल्द मोहित भैया को फोन करने गई ।

"भैया! पता है मौसा जी हमारे यहाँ आए हुए हैं। और उसने सारी कहानी बता डाली।"

" यह तो बहुत खुशी की बात है। तू अभी से रोने क्यों लगी ? विदाई में टाइम है।"

" क्या भैया ! आप भी, ये आँसू इस सुखद संजोग के गवाह है।" और परी मुस्कुरा पड़ी।


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