STORYMIRROR

Vijay Kumar Vishwakarma

Comedy Drama

4  

Vijay Kumar Vishwakarma

Comedy Drama

संगत

संगत

7 mins
226

खेत के मुण्डेर में अपने हमउम्र दोस्तों के साथ बैठकर जित्तू बीड़ी पीना सीख गया था। गांव के ही आवारा लड़के उसे जल्दी से जवान होने का तरीका बताते हुए बीड़ी सुलगाना फिर कश लेना सिखाए थे। जित्तू सहित उन सभी लड़कों की उम्र तेरह चौदह साल के आसपास रही होगी। जित्तू और उसके साथियों के बाप दादा उसी गांव में मजदूरी करते आ रहे थे इसलिए उन सभी की माली हालत ठीक नही थी।

जित्तू गांव की एक सरकारी स्कूल में पहले पढ़ने जाता था मगर जब से उसे उन लड़कों की संगत मिली, वह भी उन लड़कों की तरह स्कूल की बजाए पेड़ों से फल तोड़कर खाने, तालाब में नहाने और दिन भर फिजूल के गप्प सड़ाके में व्यस्त रहने लगा।

कभी कभार जब गांव के बुजुर्ग उन्हें भला बुरा कहते तो वे उल्टा उन्हें ही चिढ़ाने लगते। उनसे परेशान होकर गांव के कुछ सयाने एक दिन लाठी लेकर उन्हें खूब दौड़ाये। फिर उन लड़कों पर आवाजाही करते गांव वाले नजर रखने लगे और अक्सर टोंकने भी लगे। इन सब से ऊब कर उन लड़कों का गुट खेतों के रास्ते कुछ किलोमीटर चलकर पड़ोस के गांव की सीमा पर बने एक नाले के पुल के पास जाकर बैठने लगा।

एक दिन दोपहर के वक्त उन्हें पुल से कुछ दूरी पर एक पगडंडी से गुजरते हुए चार पांच लड़कियाँ दिखीं। उनके हाथ में स्कूली बस्ता था। फिर तो रोज वे लड़कियाँ उस पगडंडी से जाते हुए नजर आने लगीं। जित्तू के साथियों ने लड़कियों को आपस में बांट लिया था। जित्तू के हिस्से एक गोरी सी छरहरी लड़की आई। वे उन लड़कियों का नाम तो जानते नहीं थे और न ही उनसे बात करने या पूंछने की वे जुर्रत किये। उन लोगों ने सिनेमा में देखी हीरोईनों के नाम पर लड़कियों के नाम रख लिये थे। जित्तू वाली लड़की का नाम श्रीदेवी रखा गया।

कुछ महीने इसी तरह वे लड़कियों के पगडंडी से गुजरने पर उन्हें एकटक देखने और पीठ पीछे उनके बारे में मनगढ़ंत किस्से और उनसे दोस्ती फिर शादी की ख्याली पुलाव पकाते। एक दिन जित्तू का दोस्त मिठ्ठू अपनी उलझन साझा करते हुए बोला - "अगर शादी फिक्स होने के पहले तुम्हारी हेमामालिनी इससे और इसकी जयप्रदा उससे शादी करने के लिए बोलेगी तो हम क्या करेंगे ?"

लड़कों का माथा ठनका। आपस में सलाह मशविरा के बाद तय हुआ कि लड़कियों से मिलकर मामला सेट कर लिया जाए जिससे बाद में कोई झंझट न हो। अगले दिन वे सुबह से ही आ धमके। उस दिन बड़ी मुश्किल से समय बीता। जैसे ही दूर से लड़कियाँ आती दिखीं, उनके चेहरे खिल गये। वे पगडंडी की तरफ कदम बढ़ाये ही थे कि मिठ्ठू बोल पड़ा - "धत् तेरी कि, इसकी रीना राय तो आज आई ही नही।"

सभी के पैर वहीं थम गये। आपस में कानाफूसी कर यह तय किया गया कि जब सभी की जोड़ीदार लड़कियाँ मौजूद रहेंगी तभी उनसे मुलाकात की जायेगी। उस दिन के बाद जाने क्या हुआ कि उन लड़कियों के झुंड से हर रोज कोई न कोई लड़की नदारद नजर आने लगी। आखिर एक दिन लड़कों की आँखें चमक उठी, उस दिन समूह की सभी लड़कियाँ आपस में बतियाते हुए पगडंडी से गुजर रहीं थी।

जित्तू और उसके साथी तेजी से उनकी तरफ बढ़े। अपरिचित लड़कों को अपनी तरफ तेजी से आते देख लड़कियाँ सकपका गईं। कुछ लड़कियाँ उन्हीं लड़कों पर नजरें जमाये जहां के तहां खड़ी रह गईं जबकि कुछ लड़कियाँ इधर उधर कुछ ढ़ूंढ़ती नजर आईं। करीब पहुंचकर मिठ्ठू चहकते हुए बोला - "आज सब लोग एक साथ हो, कितना अच्छा लग रहा है।"

मिठ्ठू के मुँह खोलते ही लड़कियों ने बुरा सा मुँह बनाते हुए अपनी अपनी नाक के आगे हाथ हिलाने लगीं। मिठ्ठू उन्हें हैरानी से घूरा। एक पल के लिए दिमाग पर जोर डालते हुए वह उनकी हरकत की वजह का अंदाजा लगाया फिर हंसते हुए बोला - "मुँह गंधा रहा है, तुम्हारे घर के मरद बीड़ी नही पीते क्या ?"

मिठ्ठू की बात सुनकर उसके साथी गर्व से मुस्कुरा दिये। मिठ्ठू अपनी मुमताज के पास अपना मुँह ले जाते हुए जोर से सांस बाहर निकाला, तभी वह लड़की तड़ाक से मिठ्ठू के गाल पर एक जोरदार झापड़ मारी। उसके साथी कुछ समझ पाते उसके पहले ही लड़कियाँ उनसे भिड़ गईं। एक लड़की ने जित्तू के एक साथी को जोर से धक्का दिया तो वह धड़ाम से पीठ के बल गिरा। दूसरी लड़की एक अन्य लड़के के सिर के बाल पकड़ कर नोची तो लड़का चिल्ला पड़ा। कुछ लड़कियों ने पगडंडी के किनारे पड़े मिट्टी के ढ़ेले उठाकर उन पर फेंकना शुरू कर दिया तो कुछ के हाथ पत्थर आ गये और लड़कों की शामत आ गई। वे सभी मर गया मर गया चिल्लाते हुए जान बचाकर भागे।

कोई लहुलुहान कोई सूजे हुए जख्म लेकर अपने गांव पहुंचे और चुपचाप अपने जख्मों पर घर में रखे चूना हल्दी को लगाकर चारपाई में दुबक कर सो गये। अगले तीन चार दिन तक उनमें से कोई घर से बाहर न निकला। वे सोच रहे थे कि कहीं लड़कियाँ अपने घर में या अपने गांव वालों को बता कर उनकी और धुनाई न करवा दें। जित्तू का दिल टूट चुका था। अपनी हमउम्र लड़कियों से पिट कर उसे बहुत बुरा लगा। वह बार बार अपनी बाहों की सपाट मांसपेशियों को देखता और फिर निराश होकर उन्हें सहलाने लगता।

करीब एक हफ्ते बाद वे सभी लड़के अपने गांव के पुराने अड्डे पर एकठ्ठा हुए। काफी देर तक सभी खामोश बैठे रहे। जोश जगाने के लिए एक लड़के ने बीड़ी सुलगाई और एक एक करके सब की ओर बढ़ाया। जित्तू सुलगती बीड़ी को कुछ देर तक देखता रहा फिर हाथ में लेकर उसे जमीन पर रगड़ कर मसल दिया। अन्य लड़के उसकी ओर सवालिया निशान से देखे तो वह बोला - "इसी के गंध के कारण तो पिटाई हुई, बीड़ी पी पीकर पूरा शरीर बीड़ी जैसा हो गया, वरना क्या मजाल जो छोरियाँ पीट पातीं।"

जित्तू की बात खत्म होते ही एक दूसरा लड़का टपाक से बोला - "गंध फैलाया ये मिठुआ और लात पड़ी हमको, वो भी इसकी उस चुड़ैल मुमताज से।"

"और तेरी जयप्रदा ने जो उतना बड़ा ढ़ेला उठाकर मारा उसका क्या, देख अभी तक सूजा है।" - मिठ्ठू झुक कर पीठ के निचले हिस्से की ओर इशारा करते हुए गुस्से से बोला। तभी उस लड़के ने मिठ्ठू के पिछले हिस्से को हाथ से धकेला। मिठ्ठू का संतुलन बिगड़ा और वह दूसरी ओर लुढ़क गया। मिठ्ठू आँखें निकाल कर उस लड़के को घूरा और फिर उससे लपट पड़ा। उन दोनो को सुलझाने में आरोप प्रत्यारोप के साथ सभी लड़के एक दूसरे से उलझ गये।

पुराने जख्मों के साथ उस नूरा कुश्ती में कुछ नये घाव भी मिले। दोस्ती दुश्मनी में बदल गई। उस दिन के बाद उन लड़कों को फिर कभी एक साथ नही देखा गया। संगत छूटा तो जित्तू को स्कूल की याद आई। स्कूल जाती उसकी श्रीदेवी और अन्य लड़कियों का चेहरा उसकी आँखों के सामने आ गया। आखिरकार कई महीनों बाद वह स्कूल पहुंचा तो पहले मास्टर जी ने दर्जन भर सवाल पूंछा और फिर जी भर कर कुंटाई भी किया। जित्तू जमीन में उलटते पलटते मार से बचने की कोशिश किया और फिर मौका मिलते ही फर्राटा भरते हुए भाग निकला।

अगले दिन बड़ी सुबह चरपाई पर लेटे लेटे उसके कानों में एक जानी पहचानी आवाज सुनाई पड़ी। वह घबराकर बाहर आया तो उसका दिल बैठ गया। उसके बापू से स्कूल के मास्टर जी बतिया रहे थे - "पढ़ने में तो एकदम लद्धड़ है लेकिन दौड़ने में बहुत तेज है, उसके खाने पीने का ध्यान रखो और स्कूल रोज भेजो, वो बहुत भागता है न, अब मैं भगाऊँगा उसे।"

उस दिन जित्तू और उसके बापू को मास्टर जी की बात ठीक से समझ में नही आयी थी मगर जब मास्टर जी जित्तू को प्रतिदिन दौड़ने की प्रैक्टिस कराते हुए खुद बढ़िया बढ़िया चीज खिलाने लगे तब उन्हें मास्टर जी और उनकी बात का महत्व समझ में आया।

कई महीनों के अभ्यास के बाद मास्टर जी जित्तू को जिला स्तरीय विद्यालयीन दौड़ प्रतियोगिता में सम्मिलित कराने शहर लेकर गये। वहाँ जित्तू कई स्कूलों के खिलाड़ियों से मिला। अन्य स्कूली छात्रों की प्रतिभा देखकर वह दंग रह गया। दौड़ प्रतियोगिता में उसे तीसरा स्थान मिला। उस प्रतियोगिता के बाद उसकी जिंदगी ही बदल गई। मास्टर जी के देखरेख में वह गांव के स्कूल की पढ़ाई पूरी होने तक दौड़ में माहिर हो चुका था। मास्टर जी ने खेल के कोटे से उसकी आगे की पढ़ाई का प्रबंध शहर की एक स्कूल में करा दिया।

कुछ साल बाद जित्तू कई राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय दौड़ प्रतियोगिताओं में जीत हासिल कर ओलंपिक के लिए चयनित हुआ। अब उसके गांव की पहचान उसके नाम से होने लगी थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Comedy