मिली साहा

Inspirational Others

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संगीत कला

संगीत कला

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संगीत को स्वर बंद करने की कला को संगीत कला कहा जाता है। और सुव्यवस्थित ध्वनि, जो रस की सृष्टि करे, संगीत कहलाती है। गायन, वादन व नृत्य तीनों के समावेश को "संगीत" कहते हैं। प्राचीन काल से ही धार्मिक तथा सामाजिक परंपराओं में संगीत का एक विशेष स्थान रहा है।

आइए "संगीत कला" के विषय में और अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं एक बातचीत द्वारा.....

इस बातचीत के दो चरित्र ( राजदीप और प्रणय )

राजदीप : सबसे पहले तो यह बताओ संगीत कला की उत्पत्ति कहाँ से हुई है?

प्रणय :  संगीत कला का प्रारंभ तो वैदिक काल के पूर्व हो चुका है। और इसका मूल स्रोत वेदों को माना जाता है। देखा जाए तो सृष्टि के कण कण में, जीवन में, मन में संगीत विद्यमान है। कल-कल करती नदियाँ, ऊँचे पहाड़, कलरव करते पक्षी, लहराते पेड़ संपूर्ण प्रकृति ही संगीतमय है।

राजदीप : बिल्कुल सही कहा। हमारे जीवन में संगीत के महत्व के बारे में कुछ बताओ।

प्रणय :  संपूर्ण ब्रह्मांड में संगीत सभी के जीवन में एक अहम भूमिका निभाता है। खाली समय में संगीत सुनने से मल व्यर्थ के ख्यालों में भ्रमण नहीं करता। हमारे जीवन को शांतिपूर्ण बनाता है संगीत। वर्तमान समय में संगीत एक ऐसा माध्यम है जो शारीरिक और मानसिक व्याधियों से मुक्ति भी प्रदान करता है। संगीत से तन, मन और प्राण तीनों में शुद्धता और चैतन्यता आती है। 

भाई राजदीप..... यहाँ इस विषय पर मैं संगीत के विषय में कुछ पंक्तियाँ कहना चाहूँगा, ज़रा गौर से सुनना।

शब्दों के माध्यम से जो कह सकते नहीं हम वो संगीत कह जाता है,

संगीत अभिव्यक्ति की वो भाषा दिल से दिल के तार जोड़ देता है,

जल में, थल में, आकाश में, जीवन में, है कण-कण में विद्यमान संगीत,

ब्रह्मांड की आत्मा है ये, जो हमारे मन को, हृदय को स्पर्श करता है।

राजदीप: वाह, वाह ! क्या बात है प्रणय, तुमने तो कुछ पंक्तियों में ही संगीत की परिभाषा समझा दी। बहुत सुंदर।

प्रणय: बहुत-बहुत शुक्रिया राजदीप तुम्हें यह पंक्तियाँ पसंद आईं। अर्थात मेरा इन पंक्तियों को तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत करना सफल रहा।

राजदीप : अरे भाई 100% सफल रहा। तो चलो प्रणय इस बातचीत को आगे बढ़ाते हुए यह बताओ कि संगीत कला के कितने प्रकार होते हैं?

प्रणय :  संगीत कला दो प्रकार की है "भाव संगीत" जिसे "लाइट म्यूज़िक" और "शास्त्रीय संगीत" जिसे "क्लासिकल म्यूज़िक" के नाम से जाना जाता है। भाव संगीत की अगर बात करें तो इसमें कोई नियम नहीं होता। किन्तु शास्त्रीय संगीत में एक नियमित शास्त्र होता है। 

राजदीप : अच्छा यह बताओ संगीत की कला क्या कोई भी ग्रहण कर सकता है?

प्रणय :  हाँ, बिल्कुल संगीत एक ऐसी कला है जिसे कोई भी कभी भी सीख सकता है। किंतु इसके लिए मन की साधना और हुनर की ज़रूरत है। "संगीत कला" के लिए सत्यता, लगन, नियमित अभ्यास, निष्ठा और अनुशासन की भी अत्यंत आवश्यकता होती है। 

राजदीप : तुम्हारी बातें सुनकर तो मेरा भी मन हो गया है कि मैं भी संगीत की शिक्षा प्राप्त करूँ। मैंने तो यहाँ तक सुना है कि आज संगीत के क्षेत्र में कैरियर बनाना बहुत आसान हो गया है। क्या यह सच है?

प्रणय : हाँ, अगर तुम्हें संगीत के मुख्य तत्व स्वर, लय और ताल का अच्छा ज्ञान है तो तुम संगीत के क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हो। पुराने ज़माने में तो केवल शासकों द्वारा ही संगीतकारों को आश्रय दिया जाता था या फिर वे केवल मंदिरों और मजारों में गायकी से ही अपना गुज़ारा करते थे। किंतु आज एक अच्छा गायक सोशल मीडिया द्वारा यूट्यूब जैसे माध्यम से कला का प्रदर्शन कर पहचान और पैसा दोनों अर्जित कर सकता है। बड़े-बड़े रियलिटी शो और टेलीविजन कार्यक्रम में स्टेज शो द्वारा भी एक सिंगर अपनी संगीत कला का प्रदर्शन कर लाखों-करोड़ों में अपनी पहचान बना सकता है। "सोनी म्यूजिक एंटरटेनमेंट" जैसी कंपनियांँ तो सिंगर को अर्श से फर्श तक पहुंँचा देती है। 

राजदीप : आज संगीत कला के विषय में इतना कुछ जानकार बहुत प्रसन्नता हो रही है। संगीत से तो लगाव था ही किंतु तुम्हारी बातें सुनकर प्यार भी गया।

प्रणय :  क्यों ना हो, संगीत है ही ऐसी कला। तो इसी बात पर हो जाए कुछ पंक्तियाँ संगीत के नाम......

राजदीप: बिल्कुल, अरे हम तो कब से बेताब बैठे हैं तुम्हें सुनने के लिए....

प्रणय: जी हुजूर, ज़रा गौर फरमाइएगा.....

बेजान ज़िन्दगी में भी जान फूंक दे, है ऐसी दवा संगीत।

ख़ामोशी में, तन्हाई में साथ चले,है मन का सच्चा मीत।।

राजदीप: क्या बात है, क्या बात है, बहुत ही सुंदर अंदाज में तुमने अपनी बात कही।

प्रणाम: शुक्रिया दोस्त.... तुम जानते हो, संगीत की दुनिया के चमकते सितारे आशा भोसले, लता मंगेशकर, ए आर रहमान, लकी अली, आरडी बर्मन जैसे और भी कई कलाकारों ने अपनी मेहनत, लगन, साधना और निष्ठा से संपूर्ण जगत में संगीत कला के माध्यम से ही लाखों-करोड़ों में अपनी एक अद्भुत और विशेष पहचान बनाई है। इनमें से आज कई हमारे बीच मौजूद नहीं है पर उनकी आवाज़ आज भी हमारे दिल को छू जाती है। और यह संगीत की ही जादूगरी है कि वो आज भी सबके दिलों में जिंदा हैं।

राजदीप: तुमने बिल्कुल सही कहा प्रणय, संगीत तो वास्तव में एक जादू है, जो निर्जीव प्राणी में भी जान फूंक दे। अब तो मेरा भी मन कर रहा है कि संगीत के विषय में दो पंक्तियांँ कह ही डालूं।

प्रणय: बिल्कुल, बिल्कुल ।

राजदीप: तो प्रस्तुत है....

सफ़र का साथी है संगीत, है जीवन का आधार।

आत्मा की आवाज़ ये, जो करना सिखाए प्यार।।

प्रणय: इन पंक्तियों को सुनकर तो ऐसा लग रहा है तुमने संगीत कला को पूरी तरह से समझ लिया। अर्थात संगीत कला पर हमारी ये बातचीत पूर्ण रूप से सफल रही।


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