Mridula Mishra

Drama

5.0  

Mridula Mishra

Drama

समर्पण का भुगतान

समर्पण का भुगतान

6 mins
645


बेला की नींद फिर अपने पति के चीखने-चिल्लाने से खुल गई यह तो दो साल से चल रहा तमाशा था। रोज न जाने वह कहांँ से पीकर आते और फोन पर किसी को गालियाँ देने लगते, ऐसी-ऐसी भद्दी गालियाँ देते कि वह कान बंद कर लेती। अच्छी-खासी नौकरी थी, तनख़्वाह के साथ-साथ उपर की कमाई भी थी जो न जाने कहाँ उडा़ई जाती थी। यह सिलसिला वैसे तो ‌दस साल से चल रहा था पर दो साल से तो अति हो गई थी। बेला को पहले कोई तकलिफ़ नहीं थी घरखर्च वह बराबर देते आये थे। इधर अपने बड़े होते बच्चे को लेकर वह चिंतित थी लड़की पंद्रह साल की थी पर, लड़का बीस साल का हो चला था जो पिता पहले उसके इशारे पर दूनिया लुटाने कि बात करते वही अब उसे देखना भी पसंद नहीं करते थे। हाँ अपनी जान छुड़ाने के लिए वह जितना पैसा माँगता दे देते। बेला ने समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन न पिता मानते थे न पुत्र।

एक दिन उसे पता चला कि उसका बेटा इतनी कम उम्र में सिगरेट पीने लगा है वह अचल आवाक हो गई। जिसका डर था वही सामने था उसने बेटे को बहुत समझाया, अपने ममता की दुहाई दी पर,था तो वह बाप का ही बेटा। आवारगी उसका मकसद बन चुका था अब वह पिता से सिर्फ पैसे लेने का सम्बंध रखता था। पढ़ाई-लिखाई से भी उसका मन विचलित हो रहा था।

अपने बेटे को अलग कमरा देकर उसने सबसे बड़ी गलती की थी बंद कमरे में न जाने क्या करता था। एक दिन वह उदाश चुपचाप रो रही थी कि बेटी ने पानी देकर कहा माँ पानी पीलो तभी बेटा बाहर आया माँ को ऐसे देख थोड़ा दुखी भी हो गया । न जाने उसे क्या सुझा वह माँ की गोदी में सर रख कर रोने लगा । वह घबरा गयी प्यार से सर पर हाथ फेरते हुए रोने का कारण पूछा उसने कहा माँ मैं पापा से नफ़रत करने लगा हूँ वो तुम्हारे साथ मेरे साथ मुन्नी के साथ जरा भी बात नहीं करते। और जानती हो माँ मैंने चुपचाप उनका मोबाइल चेक किया तो इस नम्बर पर वो हरदम बात करते रहते हैं और हम सब को छोड़कर उसके साथ शादी करके रहना चाहते हैं। और एक बात माँ वो आंटी कोई बियर बार में नाचती है। बेला तो पत्थर की तरह बैठ गई जितना दुःख उसे पति की करतुतों से नहीं हुआ था उतना उसे अपने बेटे‌ की बात से हुआ। फिर लड़के ने कहा सम्भालो माँ नहीं तो अनर्थ हो जायेगा। कहकर वह चुप हो गया। मैंने कहा जब तूं इतनी बातें जानता है तो माँ को अपनी हरकतों से और परेशान क्यों करता है ? अच्छी तरह पढ़-लिख जायेगा अच्छी नौकरी करेगा तब तो माँऔर बहन की तकलिफ़ दूर कर पायेगा ? देखती जाओ माँ कहकर बाहर चला गया।

बेटे की बातों से वह इतनी व्यथित थी कि बेटी कब बिना खाये सो गई उसे पता ही नहीं चला वह भी बिना खाये ही सो गई।

उसकी नींद फिर वही चीख-चिल्लहट से खुली वह बाहर आयीऔर कहा यह रोज-रोज का तमाशा सही नहीं है आप जिसे भी गालियाँ देते हो उससे बाहर से ही निपट कर आओ यहाँ और भी सभ्य लोग बसते हैं सबकी नींद खराब होती है। बस फिर क्या था,बेला के बाप -मांँ को गालियाँ देते हुये उसने बेला को मारना शुरू किया बेला चिल्लाती रही गुहार लगाती रही पर उस जानवर ने उसकी एक न सुनी।

मैं बेला की पड़ोसन थी लेकिन चाहकर भी कुछ नहीं कर सकी क्योंकि मेरे पति को नहीं पसंद किसी के फटे में टांग अड़ाना।  

दूसरे दिन मैंने बेला को कहीं जाते देखा सामने पड़ने पर पुछा कहाँ जा रही हो तो उसने कहा वकील के पास।

कुछ दिन शांति से गुज़रे , अचानक मैंने देखा कि बेला के पति अपना कुछ सामान लेकर जा रहे हैं। थोड़ी देर के बाद मुस्कुराती हुई बेला ने मेरी बेल बजाई मैंने उसके हाथ में मिठाई का डब्बा देखकर पुछा किस खुशी में उसने कहा मैंने यह मकान अपने नाम करवा लिया और वेतन के आधे पैसे भी । बच्चों की पढ़ाई, शादी-व्याह सब वहीं करेगा जबतक मैं तलाक नहीं देती वह दूसरी शादी नहीं कर सकता, करने पर नौकरी से निकाला जायेगा। मैं भी बेला की खुशी में खुश थी ।

बेला ने कहा कल दोपहर में आप मेरे साथ खाना खाइये कारण पुछने पर कहा कल ही मेरी शादी की पच्चीसवीं सालगिरह है और मैं बंधन से आजाद हूं। मैं अगले दिन एक फूलों का गुलदस्ता देकर उसके घर गई। खाना बड़ा ही लजीज था मैंने कहा बेला अब पुरी बात बताओ उसने हँसते हुये कहा उस दिन मार खाने के बाद मेरे मन में आया मैं क्यों इसपर समर्पण हुये बैठी हूँ ? दस साल से नरक झेल रही हूंँ मेरा गुस्सा और बढ़ गया जब उसने मेरी तुलना उस नाचने बाली से की। अब कौन सी इज्जत बाकी रही मेरी ? बच्चे अलग बिगड़ रहे थे मैं बिल्कुल खाली हो गई थी बस सुबह उठकर मैं वकील के पास गई और उससे सलाह -मशविरा किया । उसने कहा आप अपने पति से आधी तन्खा और यह मकान और पच्चास लाख रुपए अपने नाम करवाइये और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई , शादी-व्याह सब की जिम्मेदारी उठाने को कहिये अगर न माने तो कुछ सबूत इक्कठा कर कोर्ट जाने की बात कहिए एक तो बिना तलाक दिये अगर उन्होंने शादी की है तो सीधे जेल जायेगें और नौकरी भी जायेगी। मैं घर आ गई अपने बेटे से कहकर वो सारा फोन कॉल निकलवाया। और खोज-बीन करके एक तस्वीर मुझे मिली जिसमें मेरे पति उस औरत के साथ किसी मंदिर में शादी कर रहे थे। और दूसरी तस्वीर में उस औरत के साथ एक छ:माह की बच्ची को गोद में लिये बैठे थे। अब मेरे पास प्रर्याप्त सबूत थे। रात में पुनः वही सब दुहराया गया। मैं गुस्से में बाहर आयी मेरे साथ बच्चे भी थे। मैंने इन्हें मना किया और इन्होंने हाथ उठा लिया बस मैंने तत्काल हाथ पकड़ कर कहा--भूल जाओ मि० सहाय नहीं तो हाथ तोड़ दूंँगी तुम्हें जहाँ जाना है जाओ, जिसके साथ रहना है रहो पर मुझे यह मकान हर माह आधी तन्खा और बच्चों की शिक्षा शादी-व्याह और साठ लाख रुपए नगद चाहिए। फिर मैं तुम्हें तलाक दे दूँगी और अगर पूरा नहीं कर पाते तो कोर्ट जाऊँगी और आप जाओगे जेल। नौकरी भी चली जायेगी मि०सहाय। पूरी रात सोच लो।

मैंने पूछा मान गये मि०सहाय ? हाँ औरत अपने पर आ जाय तो किसी की नहीं सुनती। सब हो गया अभी साठ लाख का मामला अटका है क्योंकि एक मुश्त देंगे तो पकड़े जायेंगे। अत: धीरे-धीरे पुरा करेंगे। अब तुम क्या करोगी बेला ? उसने हँसकर कहा आराम और मेरे पति करेंगे मेरे समर्पण -अर्पण का भुगतान। एक चुटकी सिंदूर की कीमत जान जायेंगे सहाय बाबू।

और हम दोनों ठठाकर हँस पड़े।


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