समझदारी
समझदारी
तुम रोज-रोज घर छोड़कर क्यों आती हो बेटी ....अब घर में तुम्हारी भाभी भी है वह क्या सोचेगी। मां मैं नए साल में घूमने की इच्छा थी मगर विनोद ने मना कर दिया कहा मार्च में जाएंगे। क्यों, कहा अभी कोरोना व बजट दोनों की परेशानी है। मैं गुस्सा होकर आ गई।
बेटा ....तुम बच्ची नहीं हो तुम हर छोटी-छोटी इच्छाओं की पूरी नहीं होने पर गुस्सा करो, अब एक बहू हो तुम्हारी भी जिम्मेदार है, उस का साथ देना.....
उससे मना तो नहीं किया ना, आप ..नहीं, बेटा जीवन में सफल गृहस्थी के लिए छोटी-छोटी इच्छा मारने पड़ती है नहीं तो अपने साथियों का जीवन खराब हो जाता है।
मां की बात सुन सुधा शर्मिंदा होकर घर जाने की तैयारी करने लगी।