सिर उठा कर जीयेगी

सिर उठा कर जीयेगी

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सिर उठा कर जीयेगी

"कजरी, जब तेरी तबीयत इतनी खराब है तो दो चार दिन आराम कर घर पर और काम करने के लिए अपनी बेटी अमी को भेज दिया कर।"

"ना भाभी, अमी तो स्कूल जाती है। उसे काम पर नहीं लगाऊंगी।"

"कितना पढ़ा लेगी तू , अपने घर के हालात भी तो देख। एक बंदे की कमाई और बढ़ जाएगी उसके काम करना शुरू करते ही और थोड़ा सा तेरे घर के हालात सुधरेंगे।"

"ना भाभी, यही मेरे मां बापू ने भी सोचा था। मैं कम से काम अपनी अमी को इतना तो पढ़ा ही दूंगी कि उसे मेरी तरह दूसरों के घर के बर्तन ना मांजने पड़े। सिर झुका कर बर्तन नहींं साफ करेगी मेरी अम्मी बल्कि सिर उठा कर जीयेगी।"


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