STORYMIRROR

मानव सिंह राणा 'सुओम'

Tragedy

3  

मानव सिंह राणा 'सुओम'

Tragedy

सिफारिश

सिफारिश

2 mins
197

 दरवाज़े की घण्टी बजी । मैंने दरवाजा खोला तो सामने मेरा बचपन का दोस्त आशुतोष खड़ा था। बड़ा परेशान लग रहा था । मैंने उसे हाथ पकड़कर अंदर बैठाया और खुद बैठते हुए पूछा- "क्या बात आशुतोष ? कुछ परेशान नजर आ रहे हो।"

"क्या बताऊँ यार ? बहुत परेशान हो गया हूँ। पिछले तीन वर्ष से नौकरी कर रहा हूँ और कल मंत्री जी की सिफारिश की वजह से कम्पनी ने मुझे निकालकर एक नए व्यक्ति को काम पर रख लिया। कोरोना की वजह से काम कम बताकर मुझे निकाल दिया।" गहरी सांस लेते हुए बोला वो।

"ये तो बहुत गलत किया उन लोगों ने। " मैंने कहा।

"कोई काम मुझे बताओ मित्र। कहीं भी कोई नौकरी लगवा दो।" वो गिड़गिड़ाते हुए बोला।

" मेरी कम्पनी में एक जगह है। मेरे सहायक मैनेजर की । क्या तुम कर पाओगे? तुम्हारी पोस्ट वहाँ बड़ी थी इसलिए पूछ रहा हूँ।" मैंने पूछा।

"जरूर भाई" वह बोला।

"ठीक है तो कल से आ जाओ ऑफिस।" मैंने कहा।

उसने सहमति में सर हिलाया । थोड़ी देर इधर उधर की बात करते रहे फिर वो खुशी- खुशी घर चला गया। मैं सोचने लगा। आखिर क्या सोच हो गई है लोगों की ? सिफारिश के आगे काबलियत को तवज्जो नहीं देते यह लोग। प्रतिभा टापती रहती है। सिफारिश से कामचोर लोग बड़े ओहदों पर बैठ जाते हैं। कब समझेंगे ये लोग? 

उफ देश का दुर्भाग्य है ये सिफारशी लोग। कब बदलाव आएगा? आखिर कब?



साहित्याला गुण द्या
लॉग इन

Similar hindi story from Tragedy