सिलेक्शन से रिजेक्शन तक
सिलेक्शन से रिजेक्शन तक
आज एनीवर्सरी की शाम को उसे याद आया की शादी के लिए पहली बार लड़के वाले उसके घर आये थे और 'देखने -दिखाने' के प्रोग्राम के बाद 2 दिन का टाइम माँगकर जाते वक़्त कैसे लड़के की जाती हुई निगाहों ने उसे उसके सिलेक्शन की ख़बर दे दी थी।उस समय का वह रोमांच उसके जहन में फिर ताजा हो गया।
शादी के बाद दोनों अपनी अपनी नौकरियों में मशगूल हो गए।कुछ समय के बाद बच्चों में मसरूफ होते चले गए।
जिंदगी बड़े ही मजे से गुजरने लगी।
लेकिन कुछ दिनों उसे पति का अनमनापन महसूस हो रहा था।साथ ही behaviour में change महसूस होने लगा।घर में late आना, छुट्टी के दिन घर में ना रहना, मोबाइल पर चैटिंग।फिर लगा कि हो सकता है कि दोस्तों के मैसेज आते होंगे या फिर प्रमोशन के बाद ऑफिस का work pressure बढा होगा।
पता नहीं कैसे एक दिन पति फ़ोन घर मे ही भूल गया था।मैसेज की टोन बजी।किसका मैसेज है कहते हुए फ़ोन देखने लगी। I love you और भी बहुत कुछ।आगे आगे चैटिंग बहुत ज्यादा intimate लगी।वह एकदम सकते में आ गयी।
सब कुछ क्लियर हो गया। पिछले कई दिनों से पति का रवैया उसके जहन में कौंध गया। दिमाग में एक एक चीजें घुमने लगी। सवाल और सवाल ही उसके आसपास दिखने लगे। एक सवाल का जवाब ही उसको नहीं मिल रहा था कि उस लड़की में ऐसा क्या है जो मेरे पास नहीं है? इतने दिनों से वह परिवार में सबकी पसन्द नापसन्द जानकर सारी चीजों का खयाल रखती रही।
और आज? पति की खाली निगाहें और उनके रिश्तों के ठंडेपन से उसे अपने रिजेक्शन का अहसास हुआ जिनसे वह बेखयाली में बिल्कुल अनजान रही थी अबतक...