सींग वाला राजा
सींग वाला राजा
बचपन में जब हम सोते थे तो हमारी दादी अपने पास सुलाते हुए बहुत अच्छी अच्छी कहानियां सुनाएं करती थी। उनमें से यह कहानी तो मुझे बहुत ही अच्छी लगती थी।
एक समय एक राजा था उसके सर पर सींग थे। उस राजा का अपना ही एक नाई था। राजा के सर पर सींग होने की बात केवल राजा के नाई को ही पता थी। वह नाई सुबह सवेरे आता और राजा की हजामत वगैरह करके उसके बाल संवार के चला जाता था।
किसी कारणवश नाई को एक बार कुछ दिनों के लिए कहीं जाना पड़ा। अब राजा की हजामत की समस्या हो गई तो राजा ने उससे किसी और विश्वासपात्र नाई को नियुक्त करने के लिए कहा। उस नाई में अपने ही एक रिश्तेदार जिम्मेदार नाई जिसका नाम धिन्नक नाई था उसको राजा की हजामत बनाने के लिए कुछ समय के लिए नियुक्त कर दिया था।
दूसरे दिन जब नए नाई ने राजा की हजामत बनाई तो बाल संवारते हुए उसे राजा के सर पर सींग दिख गए वह घबराकर चिल्लाने ही वाला था कि राजा ने उसे चिल्लाने और किसी को भी यह बात बताने पर जान से मारने की धमकी दी। अब धिन्नक नाई घबरा गया और चुप करके दूसरे और तीसरे दिन भी उसने राजा की हजामत बना ली।
अपने पेट में इतनी बड़ी बात छुपाने के कारण नाई के पेट में बहुत जोर से दर्द हुआ और उसका पेट बहुत ज्यादा फूल गया। वैद्य ने जब उसे देखा तो कहा तुम्हारे पेट में कोई गुप्त बात है यदि तुम उसे किसी को बता दोगे तो तुम्हारा पेट का फूलना कम हो जाएगा। अब नाई ने कहा कि मैं यह बात तो किसी को भी नहीं बता सकता इसका मतलब तो अब मेरे को मरना ही होगा। वैद्य को नाई पर बहुत दया आई उसने नाई से कहा तुम्हारे मन में जो भी बात है वह तुम किसी से भी मत बताओ लेकिन दूर जंगल में जाकर के एक बार जोर से बोल दो उसके बाद तुम्हारे पेट में से बात निकल जाने के कारण तुम्हारे पेट का फूलना भी कम हो जाएगा और दर्द भी कम हो जाएगा। नाई को यह बात तो बिल्कुल सही लगी। उसने घने जंगल में जाकर जोर से चिल्लाया। राजा के सर पर सींग राजा के सर पर सींग।
ऐसा बहुत बार चिल्लाने से उसके पेट की बात बाहर निकल गई इससे उसका पेट का दर्द भी खत्म हो गया और उसके पेट का फूलना भी रुक गया। अब वह ठीक होकर राजा को सुबह-सुबह हजामत करने और स्नान कराने को आता था।
राजा के राज दरबार में गवइयों के वाद्य यंत्र खराब हो रहे थे तो उन्होंने उन्हें ठीक करने के लिए जंगल से लकड़ी मंगवाई। वह लकड़ी संयोग से उसी जंगल से लाई गई थी जहां पर की नाई ने जोर जोर से चिल्ला कर कहा था राजा के सर पर सींग, राजा के सर पर सींग।
उस लकड़ी से उन्होंने अपने हारमोनियम, बांसुरी एवं तबले को ठीक किया। राज दरबार में वसंतोत्सव में सारे प्रजाजन इकट्ठे हुए थे क्योंकि संगीत का रंगारंग प्रोग्राम होना था।
राजसभा उस दिन खचाखच भरी हुई थी और जैसे ही प्रोग्राम आरंभ हुआ तो सबसे पहले हारमोनियम वाले ने बजाया । हारमोनियम की मधुर ध्वनि में अचानक से यह आवाज आने लगी। , रआआआआआजआआआआ। के सर पर सींईईईईईईग।रआआआआआजआआआआ। के सर पर सींईईईईईईग ।(राजा के सर पर सींग) सब अचानक राजा की ओर देखने लगे कि तभी बांसुरी वादक ने बांसुरी बजाई तो उसमें से मधुर आवाज आई। किसअअअ ने
कहा किसअअअ ने कहा(किसने कहा किसने कहा)
तभी ढोलक बोल पड़ी धिन्नक नाई धिन्नक नाई , धिन्नक नाई।
इसके बाद पूरे दरबार में सबको पता पड़ गया कि राजा के सर पर सींग हैं। इसीलिए ही कहते हैं की बातें छुपाना आना चाहिए अन्यथा दीवारों के भी कान होते हैं और वह भी बतला सकती हैं।
