सीमाएं
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आज तो हद ही हो गई कविता मेरी छोटी बहन को लड़के वाले देखने आए मम्मी ने एक दिन पहले ही मुझे भी ख़बर कर दी थी कि कविता को दिल्ली से लड़के देखने आ रहें हैं तुम आ जाना मैंने अपने पति से कहा कि सुबह आप आफिस जाते वक़्त मुझे मम्मी के घर छोड़ देना, सुबह जल्दी सब काम से निपट कर मैं भी मम्मी के घर पहुँच गई।
मम्मी और पापा चिंता में थे कि कविता की भी जल्दी से शादी हो जाए तो हम बेफिक्र हो जाएं आजकल लड़की की शादी भी बहुत मसला है, इधर कविता सुबह से बहुत फ्रस्ट्रेशन में थी उसको ये दिखाया-दिखाई पसंद नहीं था, उसका कहना था में क्या कोई चीज़ हूँ जो लोग देखने चले आतें है और आप लोग भी क्यों हां करते हो दिखाने की ?कविता बहुत गुस्से में थी मैंने धीरे-धीरे रिलेक्स किया अपनी बातों से हंसी मज़ाक करती रही।
मेरी बहन ने भी होम्योपैथी में डाक्टर हैं जो लड़का देखने आया वो भी डाक्टर ही था अच्छी एजुकेटेड फेमिली थी। इधरउधर की चर्चा के बाद लड़का कहने लगा मैं कुछ सवालों की लिस्ट लाया हूँ, कविता से बात करना चाहता हूं, अकेले में आज के हिसाब से पापा ने मेरी तरफ इशारा किया सुनिता कविता से इनकी मुलाकात करा दो मैं उसे अंदर डाइनिंग हाल में ले गई।
उस लड़के का नाम विवेक था मैंने कहा में अभी आती हूँ तुम दोनों बातें करो, कविता ने कहा हां पूछिए क्या पूछना था आपको, विवेक ने ये लम्बी लिस्ट निकाली जो वो शायद इंटरनेट से सवाल डाउनलोड कर के लाया था, खाना बनाने से लेकर, मम्मी -पापा की सेवा, आपका किसी के साथ संबंध तो नहीं रहा है या आपकी अंतरंगता तो नहीं रही है कालेज टाइम में, क्योंकि मुझे ये सब पसंद नहीं है।
कविता कुटिल मुस्कान से मुस्कुराती रही , वो बोल चुका तो कविता ने भी कहा मेरा भी यही सवाल विवेक साहब आपसे है आपके तो कोई सबंध नहीं था किसी लड़की से, अंतरंगता तो नहीं थी, विवेक का चिढ़ कर जवाब था, अरे मै लड़का हूँ, मुझसे ये सवाल नहीं कर सकती हम लड़कों को छूट है ये सब कर सकते हैं.... अच्छा।
हद से जैसे ही वो पार हुआ कविता चटक गई उससे कहा पहले तो उठ यहाँ से तू क्या मुझे रिजेक्ट करेगा मैं तुझे रिजेक्ट करती हूँ जिसकी सोच अभी इतनी घटिया है वो शादी के बाद कितना शकी होगा। आदमी का शकी होना,औरतों को कितना तकलीफ देह होता है ये वहीं जानती है जो इस तरह का माहौल फेस करती है।
आज के समय पढ़ी लिखी लड़कियों हो या शादीशुदा महिलाओं को अक्सर इस तरह के शकील पतियों से पाला पड़ता है।