सीख
सीख
प्रदीप नामक लडका था। उसके घर में बहुत नौकर चाकर थे। माता-पिता धनवान होने के कारण वह बाहर का परिवेश न जान कर ही जिया।
उसके पास सबकुछ है, लेकिन एक दिन बाहर जाने की इच्छा से उसने अपने पिता से पूछा तो उन्होंने इन्कार किया। एक दिन चुपके से प्रदीप बाहर निकला और कुछ दूर गया। वहाँ खेती, झरना, पहाड सबकुछ देखकर बहुत खुश गुआ।
कुछ समय के बाद प्रदीप ने देखा की, कुछ किसान सब मिलकर खाने के लिए बैठे थे। उस समय प्रदीप को भी भूख लगी। उन लोगों के पास जाकर उसने खाने के लिए पूछा। उन लोगों ने भी एक बरतन में उसे खाने के लिए दिया।
पास के एक पेड के नीचे जाकर खाने के लिए वह तैयार हो गया। बीच में एक लडके ने आकर और खाने के लिए पूछा। लेकिन प्रदीप ने बिना देखकर पूरा खाना खाकर बरतन उसे वापस दे दिया।
देने के समय बरतन देखा, इसमे गरीबों को मदद न करने वाले को खाने का हक नहीं है। ये देखकर वो तुरंत अपने घर जाकर, कुछ कपडे और मिठाइयाॅं साथ लाया और उस बच्चे को दिया। तब उसकाे मन में मानवत्व पैदा हुआ था।
