Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Jayanta Janapriya Mahakur

Abstract

4.0  

Jayanta Janapriya Mahakur

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सिगरेट

सिगरेट

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250


अनुशासनहीनता के दुसरे नाम से परीचीत बिराट दशवि का परीक्षा दे कर मस्ति में घुम रहा था। साथ में थे कुछ बुरे दोस्त। वह लोक मुफ्त भोजन की उम्मीद में इधर-उधर भटक रहे थे। उसके बड़े हाथ, मजबूत कंधे, सिर पर लंबे बाल थे। उसके शरीर में ऐसा कोई कोशिका नहीं था जिसमें अच्छा गुण थे। अगर भारत के सीमा पर विराट जैसे पांच या छह और बच्चे रख दिया जाए , तो वह सिर्फ पाकिस्तान नहीं पूरी दुनिया को तबाह कर देंगे। वह बचपन से ही सिगरेट के आदी रहा हैै। उसके धमनी में रक्त नहीं निकोटीन बहता था। नशा उसका लत और पेशा था।

गर्मी की छुट्टियां समय बीतने के साथ खत्म हो गया। विराट कॉलेज की ओर चल पड़ा। सुंदर वातावरण, स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी, स्वादिष्ट भोजन। लेकिन यह सब उस पर एक बोझ था। वह केवल धुआं चाहता था।

उसके बुरी आदतों को देखकर, उस कॉलेज के इतिहास के अध्यापक ने उसे कई बार मना किया। इसके बावजूद विराट कहता था "वह बुरा नहीं है। यह ऐसा माहौल है जिसने उसे बुरा बना दिया है।" विराट कहता था यह परिवेश हीं प्रदूषित है।। इस बीच, इतिहास के अध्यापक उसके लिए इतिहास बन गए। लेकिन उसके पास सिगरेट था। लेकिन विराट नहीं जानता था कि उसके जीवन में एक निर्णायक घटना होने वाली थी। उसका छोटा सा घर उसके द्वारा फेंकी गई सिगरेट से पूरी तरह जल गया। बेशक, अगर उसके घर में कोई होता, तो वो भी आग में समा जाता। उसकी छोटी सी गलती से उसका छोटा घर धराशायी हो गया था। यह गलती उसके पिता और माँ के लिए असहनीय था, लेकिन उन्होंने उस दिन भी खुद को धिक्कारा।

विराट ने उसी दिन से धूम्रपान छोड़ दिया । निकोटीन से भरे शरीर निकोटेक्स खाने शुरू कर दिए। सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक अभियान शुरू किया। हालांकि बहुत लोग नहीं आए लेकिन कई लोग उसके अभियान में शामिल हुए। विराट ने दर्शकों को एक शानदार भाषण दिया। उसका निष्कर्ष था: - धूम्रपान करना बुरा नहीं है। लेकिन अगर आप सिगरेट पीते हो तो एक दिन सिगरेट आपको पी जाएगी। धूम्रपान ना करके सिर्फ प्रकृति की शुद्ध हवा को स्वीकार करना चाहिए। किसी को धूम्रपान करने से मना नहीं किया जा सकता है, लेकिन वह धूम्रपान करेगा यह बात दूसरे लोग जानने की आवश्यकता क्या है ?वह सिगरेट पी रहा है उसे पीने दो, लेकिन उसके सिगरेट के धुएं से हम क्यों मरेंगे ?

बहुत सारे लेखकों ने नशा-विरोधी रचना अखबारों में लिखे हैं। लेकिन क्या यह सफल रहा है ? इसी तरह, विराट का अभियान विफल हो गया। महज कुछ ही लोगों के अभियान से देश में धूम्रपान बंद नहीं हो सका। बड़ी सिगरेट कंपनियों की बैठक चल रही थीं। गिरफ्तारी के डर से प्रचारकों को गिरफ्तार कर लिया गया और उनमें से आधे अभियान से हट गए। विराट बिलकुल अकेला हो गया था।

वह निराशा के घने बादलों में अकेला चल रहा था,सड़क पर अकेला। वह पास की एक दुकान में एक बेंच पर बैठ गया। बहुत देर सोचने के बाद, उसने मुस्कुराते हुए दुकानदार की तरफ देखा और कहा, "भाई, क्या तुम्हारे पास सिगरेट है?" दुकानदार ने सोचा कि विराट फिर से धूम्रपान शुरू कर देगा। लेकिन दुकानदार को नहीं पता था कि वह क्या सोच रहा था। विराट सोच रहा था " अगर उसके पास एक ऐसा सिगारेट होता जो कि पूरे देश को जला देता और लोगों को जागरूक करता, तो वह उस सिगारेट को जरूर पीता । "भले ही सिगरेट की कीमत बढ़ जाए, फिर भी लोग इसे खरीदेंगे," दुकानदार ने कहा। लेकिन विराट एक बड़ी मुस्कुराहट के साथ, अपने धुएँ से मुक्त जीवन जीने के लिए आगे बढ़ा।


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