आतंकवादी को एक पत्र
आतंकवादी को एक पत्र
प्यारे आतंकवादी,
आप को मेरा नमस्कार,
जब से मैंने अखबार पढ़ना शुरू किया है तब से मैं आपको बारे में जानता हूँ।
तुम्हारा काम लोगों के मन में डर पैदा करता है। तुम क्यों यह सब करते हो यह मैं नहीं जानता। तुम कहते हो तुम्हें अच्छा परिवेश नहीं मिला,अच्छा नौकरी नहीं मिला,सुविधा नहीं मिला। यह सब कुछ तुम्हें मिलना चाहिए और मैं इसके लिए दुखी हूँ।
इसका यह मतलब नहीं है कि तुम मासूम लोगों को मारो। तुमे सुविधा नहीं मिल रही है इसके लिए जानता क्यों जिम्मेदार होंगे ? अगर तुम जनता को ना मार कर भ्रष्ट नेताओं को मारते तो मैं खुद मिठाइयाँ बांटता। पर तुम तो सिर्फ़ जनता को...
अगर मेरी बात तुमको समझ में आ रहा है तो फिर ठीक है। वरना आजकल मार्केट में गांधीजी के आदर्श से ज़्यादा लोकप्रियता नेताजी के आदर्श का है। इसलिए ज़रा संभाल के....
तुम्हारा एक शुभेच्छु।