आ बैल मुझे मार*
आ बैल मुझे मार*
" एक बार विद्यालय में एक क्विज प्रतियोगिता आयोजित की गई।"
क्विज प्रतियोगिता तो सप्ताहिक होती ही थी , लेकिन मासिक पर कुछ आलग ही रोमांस रहता था ।
" हालांकि मैं होशियार था तो मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था ।
हां दोस्त जरूर बोलते रहते थे कि तू पागल हमें मरवाने में लगा रहता है पर मुझे क्या मैं तो अपनी चलाता ।
और कई बार उस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने के बाद में कुछ रोबीला हो गया जो की होना लाजमी था।
" एक दिन मासिक प्रतियोगिता में हमारे विद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य आ गए।
वो मुझे कुछ ज्यादा ही लाड़ प्यार से रखते थे तो उस दिन
उन्हें देखकर मेरे अंदर का लंकेश जगा और लंकेश की ही तरह घमंड से पूरे विद्यालय को चेलेंज किया ।"
अकेले को तो मना कर दिया गया लेकिन टीम को बनाने को कहा ।
मैने टीम का इंतजाम किया और ,
चेलेंज स्वीकृत हो गया और हमारी टीम गठित कर दी गई ।
एक तरफ पूरा विद्यालय और एक तरफ हमारी टीम जिसमें पांच जने होने थे ।
पूरा विद्यालय ताबड़तोड़ पढ़ाई कर रहा था और में मस्ती
आखिर इम्तिहान का समय आ गया और मंच सज गए।
स्टेज पर जज थे मेरे पूर्व प्रधानाचार्य और सहायक जज थे वर्तमान प्रधानाचर्य और व्याख्याता जी ।
जब सिलसिला शुरू हुआ तो मैंनेदेखा कि एक तरफ 984 विद्यार्थी बेटे हैं ।
और एक तरफ में अकेला मेरी टीम ने भी मुझे छोड़ दिया और उनमें मिले गए
मैंनेपता किया तो पता चला कि मेंरा किसी को विश्वाश नहीं है ।
में घबरा गया जानबूझकर समस्या खड़ी कर ली और तो और निवारण भी नहीं है । "
जब घबरा गया तो कुछ सूझा नहीं में खड़ा होकर बोला
आप विरूद्ध 2 सवाल पूछेंगे और मुझे एक
तो मेरा डरा चेहरा देख पूरा विद्यालय हंस रहा था
लेकिन मेरी शर्त मान ली गई ।"
" में खुश हुआ लेकिन फिर पता चला कि दो सवाल तभी पूछे जाएंगे जब तुम एक राउंड हरा हुआ मानो "
"फिर एक समस्या"
समझ ही नहीं आ रहा था कि में क्या करू फिर मैंनेहामी भर ली और शुरू हो गया ।
40 40 सवाल के बाद जब रिज़ल्ट था ।
मेरा था 35 और विरूद्ध 40 ।
में फिर डर गया "
मैंनेखुद को अकेला समझा कर फिर एक शर्त रखी कि मुझे दस अंक दिए जाए शर्त तो फिर भी मंजूर थी लेकिन एक कबाड़ा था कि मुझे दस अंक देने के बाद उनके पांच सवाल हटा दिए जाएंगे ।
" फिर एक समस्या "
किसी तरह मुझे उनके समान अंक दे दिए और मसला बराबर कर दिया ।
लेकिन मेरी मांग थी कि नहीं रिजल्ट क्लियर करो ।
तो जजों की सहमति से
अंत में जब प्रितियोगिया तो अंतिम चरण आया तो उसमे तीन तीन सवाल आपस में ही पूछने थे ।
पहले उनकी बारी आती तो मुझे पूछे गए और मैं दो के ही जवाब दे पाया ।
अब पूछने की मेरी
बारी थी और मैंनेपूछे तो उन्होंने पूरे जवाब दे दिए में हार गया सिर्फ अपने घमंड और अपनी नीति से मुझे काफी जिल्लत सहनी पड़ी।
में तो चूर चूर हो गया ।
मैंनेतो उसी दिन समझ लिया कि आ बेल मुझे मार क्या होता है।