श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
जीवन बेहतरीन ढंग से जीने की बात चल रही थी, सारे लोग खुद का जीवन श्रेष्ठ करने में लगे हुए थे, इसी क्रम में बत्रा जी ने कहा ’’मेरा जीवन श्रेष्ठ है, क्योंकि मेरे पास गाड़ी है बंगला है। ’’
खुद को कम आँका जाना महसूस करते हुए रस्तोगी जी ने कहा ’’ बत्रा जी मैं आपसे ज्यादा श्रेष्ठ हूँ, मेरे पास तो बैंक बैलेंस भी है, जो सम्भवतः आपके पास नहीं है। ’’ बत्रा जी ने अपनी नज़र झुका ली थी।
दोनों की बात सुनकर हरदयाल जी थोड़े से अलग हट गए थे। बत्रा जी और रस्तोगी जी ने उनकी शर्मिंदगी को और बढ़ाने के उद्देश्य से उनके करीब आए।
बत्रा जी ने कहा ’’ हरदयाल साहब की तो बोलती बंद हो गई है। ’’
रस्तोगी जी ने कहा ’’ ये तो श्रेष्ठता से कोसों दूर हैं। ’’
हरदयाल जी ने पुछा ’’ आपने दयाल ओल्ड होम के बार में तो सुना ही होगा ? दयाल पब्लिक स्कूल के बारे में तो सुना ही होगा ? दोनों मेरी ही संस्था है जो पूर्णतः निशुल्क है। लेकिन मैं श्रेष्ठ नहीं हूँ और अपनी श्रेष्ठता के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है। ’’
हरदयाल जी की आँखों में गर्वीली चमक पैदा हो गई थी
