Ankita Ingle

Inspirational

5.0  

Ankita Ingle

Inspirational

शक्ति

शक्ति

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" माँ जल्दी करो, मुझे आज पहले दिन ही ऑफिस जाने में लेट हो जाएगी, कृष ने कहा।

हाँ बस लाई तुम्हारा टिफ़िन, ये कहते हुए राधा ने टिफ़िन कृष को दे दिया और उसे दही चीनी खिलाकर ऑफिस भेजा।

उसके जाने के बाद सोफे पे आ कर बैठ गई, कितना परेशान करता है ये लड़का मुझे, उसका पहला दिन ऑफिस का और भाग दौड़ मुझे करनी पड़ी, बचपन से ही शैतान रहा

है मेरा कृष।

सोचते सोचते वो अतीत में चले गई, कितने खुश हुए थे

राघव और राधा जब वो जब माँ बनने वाली है, इस बात का पता चला था। राघव तो

पागल ही हो गया था, उसे

100 हिदायतें दी थी उसने और जल्द ही माँ को बुलाने को भी कहा था उसकी

देख रेख के लिए।

माँ भी आ गई, माँ और राघव दोनों

मिलकर उसका बहुत ध्यान रखते उस कुछ भी करने नहीं दिया जाता, बस आराम करो, यही हिदायत उसे मिलती

हर बार, जब

भी वो कुछ करने जाती। इसी बीच पता नहीं कब उसकी गोद मे कृष आ गया। सब बहुत खुश थे, बेटा देख कर पर उनकी

खुशी कुछ देर की ही थी, डॉक्टर

ने राघव को बताया कि कृष का दिल बहुत कमजोर है और उसमें छेद भी है, वो ज्यादा दिन जी

नहीं पायेगा, इससे

अच्छा है उसे अनाथाश्रम में छोड़ दिया जाए, नहीं तो उससे लगाव होने के बाद

उसके जाने का ज्यादा दुख होगा। ये सुन कर उसका दिल धक से हो गया, कैसे बताएगा ये बात

वो राधा को, उसने

राधा के घर आने का वेट किया।

घर आने के कुछ दिनों के बाद राघव

ने राधा को ये बात बताई, उसका

तो रो रो कर बुरा हाल हो गया और वही हुआ जिसका राघव को डर था, राधा ने अनाथाश्रम

वाली बात के लिए बिल्कुल मना कर दिया। उसने कहा मैं अपने बच्चे को मरने नहीं दूंगी

मैं उसका अच्छे से अच्छे हॉस्पिटल में इलाज करवाऊँगी। राघव ने इस बात के लिए मना

कर दिया वो जानता था कि इन सब में बहुत पैसा लगता है और उसकी कमाई इतनी ज्यादी

नहीं है।

उसने राधा को समझाया हम इसके बाद

दूसरा बच्चा कर लेंगे तुम समझो। राधा ने यही कहा और दूसरे में भी प्रॉब्लम रही तो

फिर क्या करोगे तुम। राघव ने कुछ नहीं कहा। उसके बाद राधा की असली परीक्षा शुरू

हुई, कृष

बहुत ही कमजोर था उसे कुछ भी हजम नहीं होता था। राधा ने दिन रात जग कर उसकी सेवा

की, उस

बीच उसके और राघव के रिश्ते में दूरियां भी बढ़ गई। उसने राघव के इलाज के लिए कहा

कहा नहीं घूमा, जिसने

जैसा बोला उसने वही किया। अपने सब गहने बेच डाले कृष के इजाल के लिए, पूजा पाठ सब कुछ किया

राधा ने।

एक दिन उसकी मेहनत रंग लाई, जब कृष 4 साल का था उसे डॉक्टर

ने चेकअप कर के बताया था कि कृष का दिल कुछ ठीक हो रहा है उन्हें एक ऑपरेशन करना

पड़ेगा, उसके

दिल के छेद को बन करने के लिए पर उसके लिए बहुत पैसे लगेंगे। और कोई गारंटी नहीं

है उसके बचने की। राधा ने राघव से बात की पैसो का इंतज़ाम करने के लिए, राघव ने लोन लेना ही

ठीक समझा। ऑपरेशन हुआ कृष 10 दिनों

के बाद घर आ गया, बहुत

देख भाल की राधा ने उसकी और आज देखो वो बिल्कुल ठीक राधा के सामने है, उसकी जॉब भी लग गई

है। हाँ वो दूसरे बच्चों की तरह खेल कूद नहीं कर सकता और अभी भी वो बिल्कुल ठीक

नहीं है लेकिन उनके सामने तो है आखिर एक माँ के सामने भगवान को भी झुकना पड़ा वो

उन्हें भी उसका बेटा लौटना पड़ा।

राधा ने अपने बेटे को मौत के

मुंह से बाहर खींच ही लिया। डोरबेल बजी तब राधा अतीत से बाहर आई, बाई आई थी। गेट खोल

के किचेन की तरफ भागी वो कुछ ही देर में कृष लंच के लिए घर आ जायेगा और उसका लंच

रेडी नहीं हुआ था। उसके हाथ जल्दी जल्दी अपने बेटे के पसंद का खाना बनाने में लग

गए।



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