शिखर
शिखर
आज आर्मी के बड़े अफ़सर बनकर मनजीत जब गाँव लौटे तो सब ने बहुत बधाइयाँ दी। सब ने उसकी बहुत तारीफ की और मनजीत ने कहा बधाई की सच्ची पात्र मेरी पत्नी है उसने अपनी नौकरी छोड़कर बच्चों की जिम्मेदारी ली है। शहर छोड़कर माँ की सेवा के लिए गाँव आ गई बीमार माँ का पूरा ख्याल रखा परिवार की एक अच्छी बहू बनकर पूरी जिम्मेदारी निभाई।
महिलाओं का दिन 1 दिन नहीं होता है वो तो पूरा जीवन समर्पित होती परिवार समाज के लिए, सोचकर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें सभी महिलाओं को गाँव में सम्मानित किया गया, जिनके समर्पण से ही समाज व देश मजबूत बनता है। और महिलाओं का दिन महिला दिवस इस गाँव के लिए खास बना और अखबारों की सुर्खियों में भी खास रहा क्योंकि किसी गाँव में इस तरह का आयोजन पहली बार हुआ था।
मनजीत एक ऑफिसर बनने के बाद यह पहला आयोजन करता है जिसमें वह कहता है मैं शिखर पर पहुंच पाया सच्चे हकदार तो मेरे परिवार की महिलाएं हैं। केवल महिलाओं की उन्नति के लिए पुरुष ही नहीं पुरुषों की उन्नति के लिए भी महिलाएं अप्रत्यक्ष रूप से बहुत त्याग और समर्पण करती है जैसे आप अनदेखा मत कीजिए उनका सम्मान कीजिए ।
