शीर्षक - प्रयास
शीर्षक - प्रयास


कितना दुखी था आज जलज .... बात ही ऐसी थी कि वह ना किसी को कह सकता था और ना किसी को दोष दे सकता था पर उसके साथ जो हुआ उसका दिल मानने को तैयार नहीं था......
जलज जीवन में उसके मित्र का जो स्थान था उसके बारे में वह किसी से ना बुरा सुन सकता था ना उसके बारे में बुरा बोल सकता था और ना ही उसका कभी बुरा होते हुए देख सकता था.....
ऐसे मित्र से उसको अपने जीवन में कोई अपेक्षा नहीं थी लेकिन उसको यह आशा भी नहीं थी की ऐसा भी हो सकता है।
यह सोचते सोचते जलज कब अतीत की गहराइयों में चला गया........
अरे नलिनी कहां हो आते ही साथ जलज ने अपनी प्रिय पत्नी को आवाज लगाई !
क्या हुआ ? बहुत खुशी से झूमते हुए चले आ रहे हैं जनाब!
बात ही कुछ ऐसी है अपनी पत्नी के गले में बाहें डालते हुए जलज बोला।
तुमको पता है ना कि मैं बच्चों को लेकर संगीत प्रतियोगिता में नागपुर जा रहा हूं !! उस प्रतियोगिता का जज पता है कौन है?
मेरा मित्र परम मित्र बस तुम यूं समझ लो कि हम दोनों को सिर्फ एक मां ने पैदा नहीं किया है बस यही फर्क है वरना हम दोनों तो सगे भाइयों से भी बढ़कर हैं बहुत प्यार है हम दोनों के बीच साथ में खेले पले बढ़े और मैं तुम्हें क्या क्या बताऊं कितनी प्यारी यादें है मेरे मित्र की।
तो जनाब की खुशी की वजह यह है अब समझी एक तो मित्र और ऊपर से प्रतियोगिता का जज सोने पर सुहागा!!
और नलिनी भी जलज की मासूम खुशी में शामिल हो गई।
आखिर वह दिन आ ही गया जब मंच पर एक और जलज के बच्चों का समूह गान था तो दूसरी ओर जज की कुर्सी पर बैठा उसका परम मित्र !
जैसे ही गाना पूरा हुआ पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा सभी ने जलज को और बच्चों को खूब बधाइयां दी ।
अब तो जलज को भी पक्का यकीन हो गया कि शायद वह प्रथम पुरस्कार की श्रेणी में आ गया है।
और शायद वह उंगलियों के इशारे से अपने जज मित्र से भी पूछ रहा था और वह भी उसको इशारा दे रहा था "एक उंगली दिखाकर"!
पर यह क्या हुआ !! परिणाम की घोषणा हुई तो जलज की टीम का प्रतियोगिता में कहीं कोई नाम नहीं ।
यह क्या हो गया जलज किंकर्तव्यविमूढ़ सा सर पर हाथ रख कर बैठ गया और उसका मित्र सीढ़ियों से उतरते हुए उसके बगल से निकल कर बोला यार!! मैंने तो बहुत कोशिश की पर दूसरे जज ने सहयोग नहीं दिया ।
कोई बात नहीं तूने कोशिश की ना यार मुझको तेरे ऊपर पूरा भरोसा है यह कहकर जलज निर्णायक मंडल के द्वारा दी गई अंकसूची लेने चला गया।
"शायद इसका आभास मित्र को नहीं था की अंकसूची प्रतिभागियों को दी जाती है।"
और यह क्या हुआ अंकसूची देखकर जलज मानों जैसे निष्प्राण हो गया हो ।
क्योंकि प्रयास तो दूसरे जज की ओर से किया गया था और मित्र नें.........।