शहीद की पत्नी
शहीद की पत्नी


बाट जोतते थे जो नैना , आज उसी नैना की कहानी जिसकी आँखों में तन्हाई पसरी थी। नैना जो अभी दो साल ही गुजरा था शादी को कि नैना का पति सूरज देश की रक्षा करते करते शहीद हो गया। नैना को फक्र था पर रह रह कर खालीपन का दर्द किससे कहे। ऐसे सब थे परिवार में सासु माँ , बाउजी , छोटा देवर और छ : महीने का एक बेटा।
ऐसे सूरज का सरहद पर लड़ना और बहुत दिनों तक घर न आना खलता नहीं था क्यूंकि एक उम्मीद थी कि उसके जीवन का सूरज फिर आएगा पर जब शहीदी की खबर आई तो जैसे दुनिया ही खत्म हो गई। नैना ने तन्हाई का जामां ओढ़ लिया। न बात करना , न मिलना जुलना किसी से बस आसमान की ओर एकटक निहारना। घंटों आसमान की और टकटकी लगाना जैसे सूरज से बातें कर रही हो।
एक दिन की बात नैना की सास विमला जी ने नैना को देखा तो अंदर से दिल पसीज गया। नैना के कमरे से जोर-जोर हँसने और कभी ज़ोर ज़ोर रोने की आवाज़ें आ रही थी। विमला जी ने नैना के कमरे में झाँक कर देखा तो सूरज के सारे कपडे़ अलमारी से बाहर निकले हुए थे जगह जगह नैना ने फहला रखे थे और नैना उन कपड़ों पर कभी लेटती और जोर जोर से हंसती और कभी उन कपड़ों को अपनी बाँहों में भर कर रोने लगती कभी अपने आप को छुपा लेती।
नैना भीतर से दर्द के सागर में समागम हो रही थी। विमला जी ने नैना के ससुर कमलेश जी को बताया तो कमलेश जी आत्मग्लानि से भर गए।
विमला जी और कमलेश जी नैना को अपनी बेटी से बढ़ कर मानते थे। उनकी अपनी कोई बेटी न थी वो नैना को बहुत प्यार करते थे। नैना का दुःख उनसे देखा नहीं जा रहा था। उन्होंने फैसला किया नैना की दूसरी शादी करने का और सोचा अपने पोते को हम पाल लेंगे।
नैना को अगले दिन लड़के वाले देखने आए। नैना हैरान कि ऐसा क्यों। उसने सास ससुर के हाथ पैर जोड़े शादी से मना करने के लिए और लड़के वालों को वापस भिजवा दिया। सास ससुर ने बहुत समझाया "बेटा तेरी ये हालत हम से देखी नहीं जाती" पर नैना न मानी।
नैना दर्द में सुबक रही थी कि तभी उसकी नज़र उसके नन्हे बेटे विवान के मासूम चेहरे पर पड़ी।
"विवान तू चिंता मत कर मैं तुझे पालूंगी, तुझे कभी महसूस नहीं होने दूंगी, मैं दूँगी तुझे माँ और पापा के हिस्से का प्यार और हमारे साथ माता पिता समान सास ससुर भी हैं " नैना ने एक अजीब सी शक्ति के साथ कहा।
अब नैना ने अपने आप को संभाला और चल पड़ी नई राह पर। नैना ने निश्चय किया और सास ससुर को कहा "बहु बनकर आई थी आपकी बेटी बनकर रहूंगी , अब शादी न करुँगी , अपनी और अपने बेटे की उन्नंती करुँगी आपके साये में रह कर।
दो साल बाद -----------
"बंधाई हो नैना !" नैना की सहेली रीमा ने कहा
"रीमा जरूर आना, शाम को मिलते हैं समारोह में" नैना ने उत्साहपूर्वक कहा
जगह - जगह से फ़ोन कॉल्स आ रहे थे सभी रिश्तेदारों के और आए भी क्यों न, नैना एक आईएएस अफसर जो बन गई थी। सूरज के शहीद होने के बाद सरकार ने कुछ राशि सूरज के घरवालों को दी और सूरज की पेंशन से घर चल जाता था। इस दो सालों के बीच नैना ने अपनी तन्हाई से प्रेरणा ले कर आईएएस की परीक्षा की मेहनत से तैयारी करी और आज इस मुकाम पर पहुँच गई। समारोह में उपस्थित सभी लोग और रिश्तेदार एक शहीद की पत्नी की कामयाबी देख कर गर्वान्वित महसूस कर रहे थे।
दोस्तों हर बार एक शहीद की पत्नी की बहादुरी हर कोई देख लेता है जब वो ये कहती है "मुझे गर्व है अपने पति पर जो इस देश के लिए शहीद हो गए" पर अंदर ही अंदर अकेले जीना , बच्चों को समझाना कि तुम्हारे पापा अब कभी नहीं आयेंगें उसको हर पल तोड़ देता है।
तन्हाई एक ऐसा मीठा जहर, जो अंदर से खा जाए
और जो हद से गुज़र जाए तो ख़ामोशी छा जाए
और जो इससे उबर जाए तो हीरा बन जाए।
आज नैना जो एक शहीद की पत्नी थी अपने आप को तन्हाई से बाहर निकल कर हीरा बन गई थी। आज उसकी भी अपनी एक शख्सियत थी।