शेफ विकास खन्ना ( जीवनी)
शेफ विकास खन्ना ( जीवनी)
शेफ विकास खन्ना
सुंदर और स्वादिष्ट व्यंजन किसे नहीं पसंद है? रेस्तराॅ में जाकर लजीज और ज़ायकेदार पकवान तो हम सब बड़े चाव से खाते हैं। परंतु क्या कभी हम यह सोचते हैं कि जिन हाथों द्वारा प्रस्तुत होकर ये स्वादिष्ट व्यंजन हमारे टेबल तक का सफर तय करते हैं, वे लोग कैसे होते होंगे? उन डिशों के पीछे की भावना और शिल्प कैसा रहा होगा?और सबसे बड़ी बात, एक बड़े रेस्तराॅ को चलाने के पीछे का टीमवर्क या उसका टीमलीडर कैसा होता होगा? आज हम चर्चा करेंगे ऐसे ही एक शख्सीयत की , जिनका नाम हैं-- चेफ विकास खन्ना।
इंडियन मिशेलिन स्टार रेस्टाॅरेन्टर , कूकबूक राइटर, फिल्म-मेकर, निर्देशक, रियलिटी टेलिविज़न जज और ह्यूमेनेटेरियन ,चेफ विकास खन्ना एक ऐसे ही विश्वप्रसिद्ध शख्शियत हैं जो अपने रेसिपीज़ के लिए आए दिन सूर्खियों में रहते हैं। आज पूरी दुनिया के लिए ये एक जानामाना चेहरा है। इन्होंने भारतीय व्यंजन को एक नया आयाम देकर उसे न केवल विश्व- स्तरीय ही बना दिया है बल्कि उसे सर्वजनप्रिय और सर्वजनग्राह्य भी बनाया है। परंतु इस विश्वविख्यात चेफ बनने की उनकी जर्नी कैसी थी? क्या वह सर्वथा सरल थी? आइए जानते हैं इस मास्टर चेफ की कहानी।
जन्म एवं बचपन
चेफ विकास खन्ना का जन्म अमृतसर, पंजाब में 14 नवंबर,1971 को हुआ था। इनके पिता का नाम देवेन्दर खन्ना है और माँ का नाम है बिन्दु खन्ना। बचपन में इनकी पैर की हड्डियाँ सही नहीं थी। अर्थात् इनके पैर की हड्डियों का एलाइग्नमेंट कुछ इस प्रकार था कि जिसके कारण उन्हें चलने फिरने में काफी असुविधा होती थी। डाॅक्टरों की राय थी कि यह बच्चा कभी चल नहीं सकेगा, परंतु उनकी मम्मी को भरोसा था कि ये जरूर आगे तक जाएंगे। उन्होंने कभी हार न मानी थी। 13 वर्ष की आयु तक खन्ना दौड़ नहीं पाते थे।
एक इंटरव्यू के दौरान इन्होंने बताया था कि एकबार वे जब एक पार्टी में थे और लाइट चली गई थी। वे जेनरेटर चलाने छत पर गए लेकिन वह बार-बार बंद हो रहा था। इस वजह से उन्हें काफी मुश्किल हो रही थी पर अचानक सब कुछ ठीक हो गया। जब उन्होंने छत पर जाकर देखा तो वे हैरान रह गए। उनकी माँ जेनरेटर का स्विच पकड़कर खड़ी हुई थीं और उस समय बहुत तेज बारिश भी हो रही थी।पूछने पर उनकी माँ ने कहा,
" मैं अपने बेटे को असफल होते नहीं देख सकती।" इसलिए उन्होंने लाइट गुल कर दी थी!
कहते हैं न कि हर सफल आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है? और वह औरत अकसर माँ ही होती हैं। क्योंकि बचपन में जीवन-संस्कार देने और व्यक्तित्व का विकास करने में सर्वाधिक योगदान माँ का ही रहता है। बीवी को तो कुछ हद तक आदमी बना-बनाया मिलता है। इसी कथन को साकार करती हुई खन्ना के "आज "को बनाने में और उनकों अपने पैरों पर अक्षरशः खड़ा हो पाने के पीछे उनकी माँ बिन्दु खन्ना का योगदान सर्वाधिक रहा है। यह उनकी माँ की मालिशों और विश्वास का ही नतीजा है कि खन्ना न केवल आजकल चल फिर पाते हैं, बल्कि पूरी दुनिया उनकी योग्यता का लोहा मानती हैं।
खन्ना जी को बचपन में ब्रेस लगे हुए स्पेशल जूते पहनने पड़ते थे और जब भी वे कक्षा में प्रवेश करते तो ऐसा लगता था कि जैसे जोर जोर से बादल गरज रहे हो। दूसरे बच्चों द्वारा उनके इस हालत के लिए मज़ाक उड़ाया जाना उन्हें बिलकुल भी पसंद नहीं था। इसलिए वे अधिकतर बच्चों के साथ खेलने न जाकर घर पर ही रहना पसंद करते थे। किसे पता था कि उनकी यह शारीरिक विकलांगता उनके लिए आगे चलकर एक आशीर्वादस्वरूप सिद्ध होगी?
घर पर रहने की वजह से खन्ना का काफी समय किचन में बीतने लगा था। वे अपनी दादी को खाना बनाते देखते थे। यह देखकर उनके अंदर भी खाना बनाने का शौक जगा।
इन्हें इनके मेन्टर सागर रजनी से भी काफी प्रोत्साहन मिला जिन्हें खाना पकाना बहुत पसंद था। वह इनका किचन ही था जहाँ खन्ना के लिए प्रारंभिक प्रशिक्षण केन्द्र का काम किया।
बहुत ही कम उम्र से खन्ना नई - नई रेसिपियाँ बनाने लगे।
सबसे पहले इन्होंने घर के पीछे एक छोटा सा बैंक्वेट हाॅल खोला। जिसने कुछ आमंत्रितों के लिए पहलीबार केटरिंग किया था। पर ये इसमें ज्यादा कामयाब न हो पाए। इसके बाद इन्होंने बहुत से बिजनेस शुरु किए लेकिन सब असफल रहे।
जब ये केवल सत्रह साल के थे तो अपनी माँ के साथ मिलकर इन्होंने लाॅरेन्स गार्डन बेन्क्वेट के नाम से एक केटरिंग सर्विस खोला जो कि शादी, फैमिली फंक्शन्स जैसे इवेन्टों के लिए केटरिंग किया करती थी।
मास्टर चेफ के शो को होस्ट करने के दौरान उन्होंने बताया था कि बचपन में उनकी दादी अमृतसर में एक छोटी सी गली में परांठे बनाती थीं और वे अपनी माँ के साथ उसे बेचा करते थे।
आजकल ये अमरीका ( USA ) के न्यूयार्क( Newyork) स्टेट में रहते हैं।
शिक्षा एवं प्रशिक्षण
इन्होंने अपना स्कूलिंग अमृतसर के सेंट फ्रांसीस स्कूल से किया था। बड़े होकर वे एक इंजीनियर बनना चाहते थे परंतु किस्मत ने इनके लिए कुछ और प्रोफेशन सोच रक्खा था।
इन्होंने Welcome group Graduate School of Hotel Administration, Manipur, India से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद इन्होंने Cornell University, Cullinary Institute of America और New York University में भी पढ़ाई की है।
Cullinary Art ,Philanthropy और मानविक कार्यों एवं विश्व विख्यात चेफ के रूप में बेहतरीन काम हेतु G D Goenka University द्वारा इनके काम को काफी सराहा गया और साथ ही इन्हें साम्मानिक डाॅक्टरेट की डिग्री से भी नवाज़ा गया।
कैरियर के लिए संघर्ष
एक दूसरे इंटरव्यू के दौरान खन्ना ने अपने काॅलेज एडमिशन के बारे में बताया था। उन्होंने कहा कि वह पहले की दो राउंड में फेल हो चुके थे लेकिन अभी इंटरव्यू बाकी था। वहाँ मौजूद लोगों ने ज्यादातर उनसे किटी पार्टी को लेकर सवाल किए। उन्होंने बताया कि वहाँ की औरतें छोले भटूरे और कुल्चे पसंद करती थी। इसके बदले वे विकास खन्ना को 20 रुपये देती थीं। एकदिन उनके भटूरे फूल नहीं रहे थे और बारिश होने की वजह से तंदूर भी बंद हो गया था। औरतें बहुत नाराज़ हो गई थीं। लेकिन इसके बाद खन्ना ने ठाना कि वह एक एयर कंडीशन रेस्त्रां खोलेंगे और खुली छत को टाटा कहेंगे।
उन्होंने आगे बताया, " इस जवाब पर सब हँसने लगे लेकिन मैं उन्हें बस एक ही बात कहता रहा कि मैं जरूर आप लोगों को एयर - कंडीशन रेस्त्राॅ खोलकर दिखाऊंगा। " वह यह कहकर बाहर आ गए। वे निराश थे लेकिन अचानक उन्होंने देखा कि काॅलेज का प्रिंसीपल उनकी तरफ आ रहा था। उन्होंने विकास के जुनून की सराहना की और उन्हें दाखिला दे दिया।
उन्होंने यह भी बताया कि जब वे अमरीका गए थे तो उन्होंने रातें सड़कों और स्टेशन पर सोकर बिताई। शेफ उनसे कहा करते थे कि वे उनके हाथ काट देंगे। परंतु देखिए आज वे कितने प्रसिद्ध चेफ बन गए हैं!
भारत में रहते हुए उन्होंने पहले Taj Hotels, Oberoi group, Welcome group, Leela group of Hotels में काम किया है। इसके बाद वे न्यूयार्क चले गए।
खन्ना ने न्यूयार्क के मैनहैटन शहर के फ्लैटिराॅन डिस्ट्रिक्ट में स्थित प्रसिद्ध भारतीय रेस्तराॅ जुनून को ज्वाॅइन करने से पहले सालाम बाॅम्बे, एवं न्यूयार्क के Rubin Museum of Art के "द कैफे" में भी काम किया है।
इनके रेस्तराॅ जुनून को न्यूयार्क टाइम्स के सैम सिफ्टन द्वारा बहुत ही अच्छे रिव्यू प्राप्त हुए हैं। इसके शुरुआती वर्ष में ही इस रेस्तराॅ को मिशेलिन गाइड द्वारा एक मिशेलिन स्टाॅर एवार्ड किया गया और इसके पश्चात् इसे सन् 2011 तक लगातार छः वर्षों तक ये स्टार मिलते रहे हैं।
[ मिशेलीन स्टार क्या है?-- मिशेलिन स्टार विश्व के बहुत से टाॅप शेफों के अनुसार फाइन डाइनिंग रेस्ट्राँ के लिए एक हलमार्क जैसा है। मिशेलिन गाइड द्वारा दिया गया यह अवार्ड मिलना इतना आसान नहीं है। एक शहर के किसी खास रेस्तराॅ को मिशेलिन इस तहत नामांकित करती है। केवल चोटी के कुछ रेस्तराॅओं को ही यह सम्मान मिल पाता है। स्टाॅर पाने वालों को ढेर सारा सम्मान मिलता है। ऐसा भी देखा गया है कि अनेक रेस्तराॅ को यह सम्मान प्राप्त करने के बाद उनकी बिक्री काफी बढ़ गई हैं। इसके विपरीत कुछेक रेस्तराॅ के यह स्टाॅर सम्मान चले जाने के बाद बिक्री में काफी गिरावट भी आई है। अतः सभी स्टाॅर रेस्तराॅ अपने व्यापार हेतु इस सम्मान को बरकरार रखने में भरसक कोशिश करते हैं। ]
विकास खन्ना को बहुत ही प्रसिद्ध और विश्वभर के कुछ एवार्ड विनिंग ( award winning ) शेफों जैसे-- गोर्डन रैमसे ( Gordon Ramsay), एरिक रिपार्ट ( Eric Ripert ), बाॅबी फ्ले (Bobby Flay ) और जीन जार्जेस वाॅनगेरिश्टेन ( Jean Georges VonGerichten ) के साथ काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
विकास खन्ना द्वारा लिखी गई पुस्तकों की सूची:
इन्होंने लगभग अट्ठाइस पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं--
1) Return to the Rivers: Recipes and Memories of the Himalayan River Valleys
2) Indian Harvest: Classic and Contemporary vegetarian dishes
3) Moctails, Punches, and Shrubs: Over 80 Nonalcoholic Drinks to Savor and Enjoy
4) Timeless Legacy: His Holiness the Dalai Lama
5) Utsav: A Cullinary Epic of Indian Festivals
6) Khanna Sutra
7) Masterchef India: Cookbook
8) Mango Mia : Celebrating the tropical world of Mangoes
9) Everyone can Cook
10) Flavors First: An Indian Chef
11) My Great Indian Cookbook
12) Ayurveda: The Science of Food and Life
13) The Spice Story of India
14) Savour Mumbai: A Cullinary Journey
15)The Magic Rolling Pin
15)The Last Color
17) A tree named Ganga ( बच्चों के लिए लिखी गई।)
टेलीविजन शोएँ
● सन् 2011 में खन्ना मास्टर चेफ इंडिया के दूसरे सत्र के होस्ट बने। यह कार्यक्रम असल में एक ब्रिटिश शो का भारतीय अनुकरण था। उसके बाद से इस कार्यक्रम के अब तक के सारे सत्रों के होस्ट विकास खन्ना ही बने।
इसके बाद मास्टर चेफ ऑस्ट्रेलिया के भी बतौर गेस्ट जज उन्हें बुलाया गया था।
● फाॅक्स लाइफ टेलिविजन के ट्विस्ट ऑफ टेस्ट के चार सत्रों के भी यही होस्ट थे।
● गाॅर्डन रामसे के टीवी सीरीज़ किचन नाइटमेयर्स में भी बतौर काॅन्साल्टेंट चेफ विकास खन्ना को फीचर किया गया था।
● हेल्स किचन( Hell 's Kitchen) नामक सीरीज़ के सीजन फाइनल के दोनों पार्टों में बतौर जज और भारतीय पाक-कला विशेषज्ञ के रूप खन्ना उपस्थित थे।
● खन्ना Throw down with Bobby Flay शो में बतौर जज एवं The Martha Stewart Show में बतौर गेस्ट शेफ के रूप में भी देखे गए।
फिल्म प्रोडक्शन
• खन्ना ने Holy Kitchen नामक एक डक्यूमेन्टरी सीरीस का प्रोडक्शन किया है जिसमें भोजन और विश्वास के बीच संबंध स्थापित करने की कोशिश की गई है। यह सीरीज़ हार्वार्ड, प्रिंसटन, काॅलोम्बिया, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और कई फिल्म फेस्टिवल्सों में प्रदर्शित हुआ।
• इनकी डक्यूमेंटरी" "Kitchens of Gratitude " marche du film के तहत 69 वे Cannes Film Festival में प्रदर्शित हुआ था।
• The Lost Colour फिल्म के साथ इन्होंने फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रखा है। इस फिल्म में भारत की पुरानी नगरी ,बनारस के सड़कों पर जिन्दा रहने हेतु जो नित्य संघर्ष करना पड़ता है, उसे दर्शाया गया है। 71वे Cannes Festival में इस फिल्म के टीज़र( teasar) दिखाया गया है जिसमें मशहूर अभिनेत्री श्रीमती नीना गुप्ता को दर्शाया गया है। इस फिल्म ने 2019 में बेस्ट फिल्म के केटेगरी में ऑस्कर नाॅमिनेशन के फाइनल लिस्ट में भी अपनी जगह बना ली थी।
लोकोपकार/ मानवप्रेम
● खन्ना ने " South Asian Kid's Infinite Vision " ( SKAV) नामक स्वयंसेवी संस्था की नींव रखी। चैरिटेबल इंस्टीट्यूट जैसे Save the children के साथ मिलकर इस संस्था ने विश्वभर में कई सारे इवेंटों को होस्ट किया है, जिनमें मिश्र में स्थित "द ग्रेट पिरामिड ऑफ गीजा" से लेकर " भारत के ताजमहल" तक में आयोजित प्रोग्राम शामिल है।
● खन्ना द्वारा विश्व के कुछ टाॅप चेफों के साथ मिलकर न्यूयार्क में" कूकिंग फाॅर लाइफ" नामक संस्था भी बनाई गई है जो कि कई सामाजिक मुद्दों को सपोर्ट करते हैं।
● दृश्य-विकलांग लोगों हेतु आयोजित पुरस्कार प्राप्त कार्यशाला vision of palate का विकास भी खन्ना के द्वारा ही हुआ था जिसमें दृष्टिहीन लोगों को सेंस ऑफ टेस्ट, फ्लेवर और अरोमा आदि के बारे में प्रशिक्षित किया गया।
● 14 मई, 2012 को न्यूयार्क सीटी के रूबिन म्यूजियम ऑफ ऑर्ट पर प्रेसीडेन्ट ओबामा के लिए होस्ट किया गया एक फण्डरेज़र इवेन्ट पर खन्ना ने कुछ डिशेज़ तैयार किए थे।
● खन्ना,भारत स्थित " स्माइल फाउन्डेशन", जो बच्चों के बीच कुपोषण की समस्या के निवारण हेतु काम करती है, के गुडविल अम्बेसेडर भी है। इन्होंने इस संस्था हेतु एक मिलियन यू एस डाॅलर की रकम तक बढ़ाने हेतु वादा किया है।
एवार्ड्स/ पुरस्कार/ अनुशंसाएँ
■मिशेलिन गाइड हेतु इनके रेस्तराॅ जुनून को मिशेलिन स्टाॅर। लगातार 6 वर्षों तक यह स्टाॅर उनके रेस्तराॅ को मिलता रहा।
■जी डी गोयंका विश्वविद्यालय से पी एच डी की उपाधि
■डी वाई पाटिल विश्वविद्यालय से डी• लीट ( Doctor of Literature)
■ इनके " रिटर्न टू द रिवर्स" पुस्तक हेतु सन् 2014 में " जेम्स बेयर्ड फाउंडेशन अवार्ड का नामांकन।
■ सन् 2011 में अमरीकन क्यूसिन( cuisine) के भविष्य निर्माता हेतु इनकी भूमिका के लिए स्टाॅर चेफों द्वारा" राइज़िंग स्टार" चेफ एवार्ड।
■जी क्यू( GQ ) मैगज़ीन द्वारा सन् 2012 का " मैन ऑफ द इयर " एवार्ड।
■नवम्बर 2011 में पिपुल्स मैगज़ीन( people 's magazine) द्वारा निर्धारित " Sexiest Man Alive " की सूची में इन्हें भी शामिल किया गया।
■2005 में SATH की ओर से" Access to Freedom Award " भी इन्हें मिला।
■शहर के प्रति इनकी बेहतरीन सेवा हेतु न्यूयर्क सीटी कौंसिल द्वारा इन्हें " न्यूयोर्कर ऑफ द वीक" का खिताब भी मिला।
■2012 के" मेन्स हेल्थ इंडिया मैगज़ीन" के कवर पर इन्हीं को फीचर किया गया था।
■न्यूयार्क इटर ब्लाॅग द्वारा आयोजित एक पोल में " न्यूयार्क के हाॅटेस्ट चेफ" के रूप में इन्हें ही सर्वाधिक वोट मिले थे।
वह 8 अवसर जब विकास खन्ना ने अंतर्राष्ट्रीय प्लैटफाॅर्म पर भारत को सम्मान दिलवाया--
● उनका रेस्तराॅ जुनून पहला भारतीय रेस्तराॅ हैं जिसके खुलने के एक वर्ष (2011) के अंदर ही उसे पहला मिशेलीन स्टार मिला ।और लगातार छः वर्ष तक मिलता रहा।
● खन्ना 2007 में सुविख्यात शेफ गाॅर्डन रैमसे से मिले। मिलने के तुरंत बाद ही रैमसे ने उन्हें भारतीय क्यूइसिन ( Indian Cuisine) का प्रतिनिधि बना दिया एवं उनके टेलिविजन सिरियलों किचन नाइटमेयर और हैल्स किचन में चेफ मेंटर के रूप दिखे।
● अमरीका के राष्ट्रपति भवन, व्हाइट हाउस में खन्ना ने ओबामाओं के लिए खाना पकाया।
यह एक अभूतपूर्व सम्मान था और विकास खन्ना को यह सम्मान एक नहीं दो -दो बार मिला जबकि उन्हें देश के राष्ट्रपति के लिए खाना बनाने का सौभाग्य मिला।
सन् 2010 में खन्ना ने तत्कालीन राष्ट्रपति के लिए एक स्पेशल सात्विक मील तैयार किया था। तदनंतर 2014 में कई व्हाइट हाउस के कई इवेंटों में खन्ना को बुलाया गया था। इनमें से एक था अमरेकी फर्स्ट लेडी के जन्मदिन का डिनर। इस अवसर पर खन्ना ने हिमालयान क्यूइसिन( cuisine) सर्व किया था जिसे सभी ने बहुत पसंद किया था।
● मास्टर चेफ ऑस्ट्रेलिया के गेस्ट जज के रूप में
विश्व भर में आयोजित सभी मास्टर चेफ प्रतियोगितायों में मास्टर चेफ ऑस्ट्रेलिया काफी पपूलर है। इसके सीज़न सिक्स(6) में खन्ना गेस्ट जज थे,जहाँ उन्होंने अपने एक सबसे कठिन डिश को प्रतिभागियों को टेस्ट करने को दिया था।
इस दौरान खन्ना की डिश रोज़ टी स्मोक्ड् चीकन टिक्का मसाला (rose tea smoked chicken tikka masala ) ने सभी प्रतिभागियों पर काफी प्रेशर डाल दिया था। और सभी को यह मानना ही पड़ा कि भारतीय पाककला की बारीकियाँ ऐसी हैं जो विश्वभर के शौकिया शेफों के लिए बनाना बहुत ही मुश्किल है।
● केन्स ( Cannes) फिल्म फेस्टीवल में उपस्थिति
यह कोई आम घटना नहीं है जब एक चेफ को Cannes फिल्म उत्सव में भाग लेने को मिलता है। परंतु विकास खन्ना पिछले तीन साल से यही काम कर रहे हैं।
सन् 2015 में खन्ना Cannes में अपनी पुस्तक- " उत्सव: आ कुलीनरी एपिक ऑफ इंडियन फेस्टीवल्स" को लंच करने वाले पहले चेफ बने। अतः वे इस सम्मान ( अर्थात् कि Cannes में उपस्थित रहने के सम्मान) के स्वतः ही हकदार बन गए।
● विश्व के जाने माने हस्तियों को अपनी पुस्तक "उत्सव" भेंट करना
खन्ना ने अपनी पुस्तक उत्सव का बृहद संकलन की 12 प्रतियाँ विश्व के जाने माने हस्तियों को भेंट की जिनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भूतपूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बैरक ओबामा, हिलेरी क्लिंटन, इंगलैंड की क्वीन एलिज़ाबेथ, धर्मगुरु जैसे दलाई लामा, अभिनेताओं जैसे अमिताभ बच्चन और शाहरूख खान भी शामिल हैं। मूल्य की दृष्टि से यह विश्व का सर्वाधिक मूल्यवान कूकबूक है।
2015 में खन्ना ने लगभग 1200 पृष्ठों की यह किताब निकाली जिसमें उन्होंने भारत में त्यौहारों के दौरान बनने वाले व्यंजनों का वर्णन किया है। इस किताब को पूरा करने में विकास को करीब 12 साल का समय लगा। इस पुस्तक का वजन 16 किलोग्राम है।
■ संयुक्त राष्ट्रसंघ के मुख्यालय में भारत का किया प्रतिनिधित्व
भारत के 70 वे स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर संयुक्त राष्ट्रसंघ के मुख्यालय में खन्ना को भारत का प्रतिनिधित्व करने का गौरव हासिल हुआ था। यह अत्यंत दुर्लभ अवसर था।
इस अवसर पर खन्ना ने दुनियाभर के लीडरों की उपस्थिति में आयोजित एक कार्यक्रम में भाषण भी दिया। आज तक किसी भी इंडियन चेफ को ऐसा सम्मान न मिल पाया था।
■ दस आइकॅनिक चेफ की सूची में शामिल होने का अवसर
आइकाॅनिक चेफ की सूची में खन्ना का स्थान छठा नंबर पर है।
ग्लोबल आइकाॅनिक लिस्ट की सूची में मुख्यतया अभिनेताओं और राजनैतिक लीडरों का ही नाम आता है। मगर खन्ना ने अपनी पर्सनलिटी और कठिन मेहनत के जरिए इस सूची में स्थान प्राप्त कर ही लिया था।
सन् 2011 में "पीपल्स मैगज़ीन " ने खन्ना को सबसे सेक्सी और अमरीका के सबसे हाॅट शेफ घोषित किया।
इनकी फिल्म The Lost Color के बारे में
प्राचीन शहर वाराणसी पर आधारित फिल्म The Lost Color अभिनेत्री नीना गुप्ता द्वारा निभाया गया मुख्य किरदार 70 वर्षीय विधवा नूर की कहानी कहती है। और यह इस किरदार का एक नौ वर्षीय बेघर लड़की के साथ संबंध की भी कथा कहती है, जो स्कूल जाने का सपना देखती है। अपनी रोज़ी रोटी चलाने के लिए यह छोटी सी लड़की कभी तो फूल बेचती है और कभी टाइट रस्सी पर चढ़कर स्टंट के करतबें दिखाती है।
पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में इन्होंने कहा था," मैं एक प्रशिक्षित चेफ हूँ न कि फिल्ममेकर। फिर भी लोगों ने इस फिल्म को बहुत सराहा है। जिस तरह यह फिल्म बनी है कोई भी यह नहीं कह सकता कि इसमें दिखाए गए तथ्य ऑरिजिनल नहीं है।"
विकास खन्ना का कहना है कि यह मूवी " शुद्ध प्रेम" पर आधारित है और भारत में विधवाओं की दशा जैसी एक बहुत ही गंभीर मुद्दे को दर्शाती है। होली जैसा रंगों का उत्सव हमने इन विधवाओं से छिन लिया है। वास्तव में, हमारे समाज ने इन विधवाओं की जिन्दगी से सारे रंग ही छिन लिए है, और उन्हें बेरंग जिन्दगी जीने को मजबूर कर दिया है।
बिना किसी प्रोडक्शन हाउस की सहायता लिए फिल्म मेकिंग के किसी तरह के प्रशिक्षण के बिना भी सिर्फ सेल्फ फाइनंस और अपनी अदम्य उत्साह का संबल बनाकर एक पपुलर रेस्टाॅरेन्टर कैसे एक फिल्म का निर्माण करने का साहस कर पाते हैं--" The Lost Color " उसी का लेखा जोखा है।
विकास खन्ना का कहना है कि वे एक खुली किताब जैसे हैं। अतः उनके जीवन का संघर्ष, असफलताएँ सभी इसमें दर्ज हैं जिन्हें कोई भी पढ़ सकता है।
अभी इस मूवी के ज़रीए खन्ना एक फिल्म निर्देशक भी बन गए है।
खन्ना का कहना है " जब से यह मूवी आई है लोगों ने अपना प्यार मुझपर बरसाया है। लोगों को लगता है कि यह उनका मूवी है अतः वे इसके साथ एकात्म महसूस करते हैं। जब मैं बड़ा हो रहा था तो मुझे ऐसा लगता था कि मूवी बनाना कोई जादू जैसा है। अब लोगों ने देखा कि यदि मैं मूवी बना सकता हूँ तो कोई भी बना सकता है।"
यह फिल्म अबतक 50 फिल्म फेस्टीवलों में अपनी जगह बना चुकी है और 27 से भी अधिक अवार्ड जीत चुकी है। पिछले वर्ष इस फिल्म का स्क्रीनिंग संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में हुई थी। यह फिल्म नारी सशक्तीकरण और बराबरी और डिग्नीटी का संदेश देती है।
परिवार
उपलब्ध तथ्यों के अनुसार विकास खन्ना की अभी शादी नहीं हुई है। अतः उनके परिवार के विषय में कोई जानकारी नहीं है।
उनके एक भाई हैं निशांत खन्ना और उनकी छोटी बहन का नाम है राधिका खन्ना। वे अपने माता-पिता की दूसरी संतान हैं!
