शैतानियत - 4
शैतानियत - 4
पहला पैरेग्राफ – करत्कोव उड़ गया।
लेखक: ,मिखाईल बुल्गाकव
अनुवाद: आ; चारुमति रामदास
अगली सुबह करत्कोव को बड़ी खुशी से इत्मीनान हो गया कि उसकी आंख को अब बैंडेज की ज़रुरत नहीं है, इसलिए उसने राहत की सांस लेते हुए पट्टी को निकाल फेंका और वह फौरन ठीक हो गया और बदल गया। जल्दी से चाय पीकर करत्कोव ने प्राइमस बुझा दिया और ये कोशिश करते हुए दफ्तर भागा कि लेट न हो जाए और उसे ५० मिनट की देर हो गई, इस वजह से कि ट्राम रूट नं। छः के बदले लंबा चक्कर लगा कर रूट नं। सात से गई, छोटे-छोटे घरों वाले दूर-दूर के रास्तों पर गई और वहाँ बिगड़ गई। करत्कोव ने तीन मील की दूरी पैदल पार की और, हांफते हुए दफ्तर में भागा, ठीक उस समय जब "अल्पिस्काया रोज़ा" के किचन की घड़ी ने ग्यारह घंटे बजाये।
दफ्तर में ग्यारह बजे के लिए एकदम असामान्य दृश्य उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। लीदच्का द'रूनी, मीलच्का लितोव्त्सेवा, आन्ना एव्ग्राफव्ना, सीनियर रोकडिया द्रोज्द, इंस्ट्रक्टर गीतिस, नमेरात्स्की, इवानोव, मूश्का, रजिस्ट्रार, कैशियर – मतलब पूरा का पूरा दफ्तर भूतपूर्व रेस्तरां 'अल्पिस्काया रोज़ा' के किचन की मेजों पर अपनी-अपनी जगहों पर बैठा नहीं था, बल्कि खडा था, एक झुण्ड बनाकर दीवार के पास खडा था, जिस पर कील से एक कागज़ का एक चौथाई टुकड़ा टंका हुआ था। करत्कोव के भीतर आते ही अचानक खामोशी छा गई, और सबने आंखें झुका लीं।
"नमस्ते, सज्जनों, ये सब क्या है?" विस्मित करत्कोव ने पूछा।
झुण्ड खामोशी से बिखर गया, और करत्कोव एक चौथाई कागज़ के पास गया।
पहली पंक्तियाँ उसकी ओर आत्मविश्वास से और स्पष्ट रूप से देख रही थीं, अंतिम – आंसू भरे, घने कोहरे से।
ऑर्डर नं. १
अपने कर्तव्य के प्रति अवांछनीय लापरवाही के लिए। जिसके कारण महत्त्वपूर्ण सेवा संबंधी कागजात में बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई, और साथ ही दफ्तर में बेहूदे अंदाज़ में, ज़ख़्मी चेहरे के साथ, जो शायद मारपीट में ज़ख़्मी हुआ था, कॉम्रेड करत्कोव आज दि। २६ से नौकरी से निकाला जाता है, उसे २५ तारीख तक का ट्राम का किराया दिया जाता है।"पहला पैरेग्राफ ही अंतिम पैरेग्राफ भी था, और पैरेग्राफ के नीचे बड़े-बड़े अक्षरों में हस्ताक्षर चमक रहे थे:मैनेजर कल्सोनेर" बीस सेकण्ड तक "अल्पिस्काया रोज़ा" के धूल भरे क्रिस्टल हॉल में निपट खामोशी छाई रही। जिसके दौरान सबसे ज़्यादा सलीके से, गहराई से और मृतवत् खामोश था हरा पड़ गया करत्कोव। इक्कीसवें सेकण्ड पर खामोशी टूट गई।
"कैसे? कैसे?" करत्कोव दो बार टिनटिनाया, बिल्कुल एडी पर तोड़े गए "अल्पिस्काया रोज़ा" के जाम की तरह, - "उसका कुलनाम कल्सोनेर है?"
इस खतरनाक लब्ज़ को सुनते ही दफ्तर के लोग पल भर में विभिन्न दिशाओं में उछलकर मेजों पर बैठ गए, जैसे टेलीग्राफ के तारों पर कौए बैठते हैं। करत्कोव के चेहरे का सड़ा हुआ हरियल साँचा धब्बेदार बैंगनी में बदल गया था।
"आय,याय,याय," – लेजर बुक से झांकते हुए स्क्वरेत्स बुदबुदाया। "आपने ऐसी गलती कैसे कर दी, मेरे बाप? आ?"
"मैंने सो-सोचा, सोचा.." टूटी-फूटी आवाज़ में करत्कोव चरमराया, - "कल्सोनेर" के बदले "कल्सोनी" पढ़ा। वह अपना कुलनाम 'स्माल लेटर' से लिखता है!"
"अन्डरपैन्ट्स मैं नहीं पहनूंगी, उसे शांत होने दो!" लीदच्का क्रिस्टल जैसी खनखनाई।
"फुस्स!" स्क्वरेत्स (स्क्वरेत्स का अर्थ होता है – मैना – अनु। ) सांप जैसे फुफकारते हुए बोला, "आप क्या कह रही हैं?"
उसने अपने लेजर में डुबकी लगाई और पन्ने से खुद को ढांक लिया।
"मगर चेहरे के बारे कहने का उसे कोई हक़ नहीं है," बैंगनी से सफ़ेद नेवले जैसा होते हुए करत्कोव हौले से चीखा, "मैंने अपनी ही कमीनी तीलियों से आंख जला ली, जैसे कॉम्रेड द'रूनी ने भी जला ली थी।"
"धीरे!" फ़क पड गए चहरे से गीतिस चिचियाया, "आप क्या कह रहे हैं? कल उसने उनकी जाँच की और देखा कि वे बढ़िया हैं।"
"द्र-र-र-र-र-र-ररर," अप्रत्याशित रूप से दरवाज़े के ऊपर इलेक्ट्रिक घंटी बजने लगी..और फ़ौरन पन्तेलिमोन का भारी जिस्म स्टूल से गिरकर कॉरीडोर में लुढ़कने लगा।
"नहीं! मैं कैफियत दूँगा। मैं कैफियत दूंगा!" ऊँची और पतली आवाज़ में करत्कोव ने गाया और फिर वह बाईं ओर लपका, फिर दाईं ओर, अपनी ही जगह पर करीब दस कदम भागा, "अल्पिस्काया" के धूल भरे आईनों में विकृत रूप से प्रतिबिंबित होते हुए, कॉरीडोर में उछला और धुंधले लैंप की रोशनी में भागने लगा, जो "स्वतंत्र दफ्तर" वाली तख्ती के ऊपर लटक रहा था।
हांफते हुए वह खतरनाक दरवाज़े के सामने खडा हो गया और उसने अपने आप को पंतेलिमोन की बांहों में पाया।
" कॉम्रेड पंतेलिमोन," परेशानी से करत्कोव बोलने लगा। "तू मुझे, प्लीज़, अन्दर जाने दे। मुझे इसी पल मैनेजर के पास जाना है.."
"नहीं, नहीं, किसी को भी अन्दर छोड़ने की इजाज़त नहीं है," पंतेलिमोन भर्राया और प्याज़ की भयानक बदबू से उसने करत्कोव के दृढ निश्चय को बुझा दिया," इजाज़त नहीं है। जाइये, जाइए, जनाब करत्कोव, नहीं तो आपकी वजह से मुझ पर मुसीबत टूट पड़ेगी..।"
"पंतेलिमोन, मेरा जाना ज़रूरी है," करत्कोव ने बुझते हुए मिन्नत की," यहाँ, देख रहे हो, प्यारे पंतेलिमोन, ऑर्डर आ गया है..मुझे भीतर जाने दो, प्यारे पंतेलिमोन।"
"आह, तुम भी। खुदा.." खौफ़ से दरवाज़े की ओर मुड़कर पंतेलिमोन बुदबुदाया, "कह रहा हूँ, आपसे। इजाज़त नहीं है, कॉम्रेड!"
दरवाज़े के पीछे कमरे में टेलिफोन गरजा और तांबे की भारी आवाज़ गूंजी:
"आ रहा हूँ। फ़ौरन!"
पंतेलिमोन और करत्कोव बिखर गये; दरवाज़ा खुला, और कॉरीडोर में कल्सोनेर टोपी पहने और बगल में ब्रीफ़केस दबाये तैर गया। छोटे-छोटे कदमों से पंतेलिमोन उसके पीछे पीछे भागा, और पंतेलिमोन के पीछे, कुछ हिचकिचाते हुए करत्कोव लपका। कॉरीडोर के मोड़ पर करत्कोव, विवर्ण और परेशान, पंतेलिमोन के हाथों के नीचे से उछल गया, उसने कल्सोनेर को पीछे छोड़ दिया और उसके सामने आकर पीछे-पीछे भागने लगा।
"कॉम्रेड कल्सोनेर," वह फटी-फटी आवाज़ में बुदबुदाया, "प्लीज़, एक मिनट दीजिये कहने के लिए.."मैं उस ऑर्डर के सिलसिले में..।"
"कॉम्रेड!" परेशान कल्सोनेर तेज़ी से आगे बढते हुए और भागते हुए करत्कोव को दूर हटाते हुए जंगलीपन से टनटनाया, "क्या आप देख नहीं रहे हैं, कि मैं व्यस्त हूँ? जा रहा हूँ! जा रहा हूँ!"
"मतलब, मैं ऑर्ड.."
"क्या आप वाकई में नहीं देख रहे हैं, कि मैं मसरूफ हूँ?".. कॉम्रेड, क्लर्क के पास जाइए।"
कल्सोनेर भागते हुए लॉबी में आया, जहाँ "अल्पिस्काया रोज़ा" का फेंका हुआ भारी भरकम ऑर्गन रखा था।
"मैं ही तो क्लर्क हूँ!" खौफ से पसीने से लथपथ, करत्कोव चीखा, "मेरी बात सुनिए, कॉम्रेड कल्सोनेर!"
"कॉम्रेड!" कुछ भी न सुनते हुए, कल्सोनेर साईरन की तरह गरजा, और जाते=जाते पंतेलिमोन की तरफ मुड़ कर चीखा, " ऐसा उपाय करो, कि मेरे रास्ते में कोई रुकावट न डाले!"
"कॉम्रेड!" घबराहट के मारे हांफते हुए पंतेलिमोन बोला, "आप क्यों उन्हें रोक रहे हैं?"
और ये न जानते हुए कि क्या उपाय करे, उसने यह किया कि दोनों हाथों से करत्कोव को गले लगा लिया और हौले से खुद से चिपका लिया, जैसे प्रिय महिला को चिपका रहा हो। उपाय कारगर साबित हुआ – कल्सोनेर फिसल गया, जैसे रोलर स्केट्स पर सीढ़ी उतर गया और उछल कर प्रमुख द्वार पर आ गया।
'पिट! पिट्ट!' शीशों के पीछे मोटरसाईकल चीखी, उसने पाँच बार जैसे गोली चलाई, और खिड़की को धुंए से ढांककर गायब हो गई। सिर्फ तभी पंतेलिमोन ने करत्कोव को छोड़ा, चेहरे का पसीना पोंछा और गरजा:
"मु-सीबत!"
"पंतेलिमोन.." थरथराती आवाज़ में करत्कोव ने पूछा, "वह कहाँ गया है? जल्दी से बताओ, वह किसी और को, समझ रहे हो ना.."
"लगता है, सपसेंट (सप्लाय सेंटर – अनु।)"
करत्कोव बवंडर की तरह सीढ़ियों से नीचे भागा, ओवरकोट सेक्शन में घुसा, लपक कर अपना ओवरकोट और कैप लिया और बाहर रास्ते पर भागा।