शासक तुलाचंद
शासक तुलाचंद
प्रेमापुर राज्य का शासक तुलाचंद बहुत ही न्याय प्रिय था। उस के दरबार में जो भी फरियादी आता उसको उचित न्याय मिलता, प्रजा बहुत खुश थी।
एक बार एक ऐसा फरियादी आया कि उसको उचित न्याय नहीं मिला। कई विद्वान मंत्रियों ने शासक को समझाया कि फरियादी की कोई गलती नहीं है। लेकिन उसके चाटुकारों की भी कमी नहीं थी। उन चाटुकारों ने शासक से कहा आपने उचित न्याय किया है।
फिर क्या था शासक तुलाचंद ने फैसला किया। एक दिन व्यापारी का रूप बनाकर गुप्त रूप से फरियादी से मिलेगा। दूसरे दिन वह व्यापारी बनकर फरियादी मोहब्बतां के पास गया।
उस शासक ने मोहब्बतां से पूछा:-
" क्या हुआ भैया? बहुत परेशान हो ?"
मोहब्बतां व्यापारी (शासक) से बोला:-"मेरा दिल चुरा लिया है, मेरी रातों की नींद और दिन का चैन चुरा लिया है।"
शासक तुलाचंद:- "किसने चुराया है तुम्हारा दिल?"
मोहब्बतां:- "आप के दरबार में रहने वाले मंत्री मुंडा की लड़की ने।"
शासक तुलाचंद:- "लेकिन मंत्री मुंडा का कहना है तुम उसके घर में चोरी करने के इरादे से घुसे थे।"
मोहब्बतां:- "यह बात नहीं है। मैं मिलने के लिए तड़प रहा था इसलिए मैं मंत्री मुंडा की लड़की सनहां से मिलने गया था। वह भी मेरे से मिलने को तड़प रही थी।"
शासक तुलाचंद:- "इस बात का क्या सबूत है कि वह तुमसे मिलने को तड़प रही थी।"
मोहब्बतां:- "यह देखो उसके हाथ का लिखा हुआ खत।"
उस व्यापारी (तुलाचंद) ने खत पढ़ा उसमें लिखा था:-
आ जाओ मेरे सैयां फैलाकर बइंया,
छत पर करेंगे नैन मिलइंय़ा।
आगोश में ले लेना मुझे अपने,
तेरी बाहों में लिपटकर देखूंगी सपने।
अब देर न करो मैं मिलन को तड़प रही हूं,
मैं प्यासी हूं प्यार की तेरी गलियों में भटक रही हूं।"
दूसरे दिन शासक तुलाचंद ने दरबार लगाया शासक ने कहा फरियादी मोहब्बतां को बुलाया जाए। आज हम उचित न्याय करेंगे।कुछ देर बाद फरयादी मोहब्बतां आया।
शासक ने निर्णय सुनाया:- "हमें दोनों का प्यार भाया हम चाहते हैं दोनों का विवाह जाए रचाया।"
फिर शासक ने मंत्री मुंडा की लड़की को बुलाया।दोनों का दरबार में विवाह रचाया।सब ने धूमधाम से हर्ष मनाया। जय हो....प्यार की जीत हुई।सबने यह नारा बार-बार दोहराया।
Prompt 23

