शादी के लड्डू
शादी के लड्डू
आज दोपहर से ही मौसम बहुत सुहाना हो रहा था सो मैंने सोचा कि आज शाम को काम जल्दी निपटाकर कोई मूवी देखेंगे।
वैसे भी जबसे फायर केबल लगाया था, हमें इकट्ठे फ़िल्म देखने का कोई मौका ही नहीं मिला था। एक तो लॉकडाउन की वजह से सब घर में ही रहते थे, दूसरे नेटफ्लिक्स वगैरह तो अम्मा बाबूजी के सामने देखने का सोच भी नहीं सकते थे।
घर में एक ही टी. वी. था और दिन भर बाबूजी उसमें न्यूज़ चलाए रखते, शाम को अम्मा सीरियल देखतीं और अक्सर तो मेरा पाँच साल का बेटा अंशु कार्टून देखता रहता था। मतलब ये कि मुझ दुःखियारी को बड़े स्क्रीन पर कुछ देखने को नहीं मिल पाता था। और किसी तरह मोबाइल पर छुप छुपके ही देखकर काम चलाना पड़ता था।
पिछले दिनों मेरी इकलौती मेरी जान की प्यासी (जी, आपने सही पढ़ा, सबके सामने तो जान से प्यारी बोलती हूँ, पर अकेले में तो जान की प्यासी ही बोलूँगी मैं अपनी इकलौती ननद को ) ननद काव्या आई हुई थी सो सब दिन में अपना डेरा डंगर ऊपर उसके कमरे में ही लगाते थे।
उस दिन भी सब ऊपर काव्या के कमरे में थे तो मैंने मूवी देखने के लिए टाटा स्काई का प्लग हटाकर फायर केबल लगाना चाहा तो सबसे छुपाकर रखने के चक्कर में मुझे ही याद नहीं आया कि रखा कहाँ है।
इतने में मेरे आज्ञाकारी पतिदेव एक्टु पोपकॉर्न से पोपकॉर्न बनाकर एक बड़े से कटोरे में लेकर हाजिर हो गए थे। वैसे मुझे तो "मोतीचूर चकनाचूर " मूवी तो इतनी पसंद थी कि मैं उसे कितनी बार देख चुकी थी, पर आज पति के साथ देखूंगी सोचकर मैं बहुत रोमांचित थी।
मैंने सोच लिया था कि मूवी देखते हुए कभी उनके हाथ में अपने हाथ रख दूँगी तो बीच बीच में उनके कांधे पर सर टिका दूँगी और अगर जो वो मेरी तरफ मुस्कुराकर देखेंगे तो थोड़ी अदा से शरमाकर उनके सीने से लग जाऊँगी। मैं ऐसी रोमांटिक शाम की कल्पना करके पागल हुई जा रही थी।
इधर जबसे कोरोना महामारी काल में पतिदेव घर में (डब्ल्यू एफ एच) पर थे मतलब "वर्क फ्रॉम होम " तो उन्हें कुक से लेकर महरी तक के सारे रोल में देख चुकी थी और एक तरह से अब वह मुझे
घर की मुर्गी दाल बराबर....ही लगने लगे थे।
(घर का मुर्गा किस बराबर होगा पता नहीं )
बहरहाल.... सोचा इस रोमांटिक शाम और रोमांस से भरपूर मूवी देखकर शायद.....
राज और सिमरन मतलब मैं और मेरे पतिदेव की याददाश्त वापस आ जाए कि हम कितने रोमांटिक हुआ करते थे।
पर....इधर केबल का प्लग ज़ब नहीं मिला तो मैंने टी. वी. को अपने मोबाइल से कनेक्ट करने का सोचा और मूवी लगाकर ज़ब तक शुरू का कास्टिंग चल रहा था, सोचा थोड़ा लिपस्टिक लगाए आऊँ। पति बीच बीच में अगर फ़िल्म की हीरोइन को देखकर रिझने लगेंगे तो कहीं बगल में मुझे देखकर अफ़सोस ना करें कि,
हाई, कितनी सुंदर हीरोइन है और एक ये है मेरे बगल में.....
सो अपने साजन को बड़े अंदाज़ से कहा,
"ठाड़े रहियो ओ बांके यार रे
मैं तो कर आऊँ सोलह श्रृंगार रे!"
पर मेरे रोमांटिक मूड का कबाड़ा करते हुए पतिदेव ने कहा,
"मैं उतनी देर खड़ा नहीं रह सकता, बहुत थक गया हूँ!"
बोलकर वहीं सोफे पर धम्म से बैठ गए।
"हाउ अनरोमांटिक, बोरिंग"
मैं बड़बड़ाई और लिपस्टिक के साथ थोड़ा काज़ल पाउडर भी पोत लिया। सोचा, अच्छा रहेगा.... अब इतने पास बैठूँगी तो कहीं मेरे साँवरे की नज़र मेरे चेहरे के दाग धब्बे पर ना चली जाए।
आईने में खुद को संवारते हुए मैं बोल पड़ी,
"आईना देखकर बोले संवरने वाले
अब तो बेमौत मरेंगे मेरे मरनेवाले "
"देखना, आज काजल की तिरछी धार से ऐसा घायल कर दूँगी। बच्चू आज रोमांटिक मूवी और सुन्दर बीवी देखकर सारी थकान भूल जायेंगे!"
सोचकर ज़ब मैं ड्राइंगरूम में आई तो जो देखा तो मेरे मुँह से निकला,
"ये क्या...
ये क्या आलतू फालतू देख रहे हो?"
मैंने देखा, सामने में स्क्रीन पर मैं हूँ और रेखाजी के स्टाइल में जो डांस का एक वीडियो बनाया था, "इन आँखों की मस्ती में " वो चल रहा था। पतिदेव बड़े ही गौर से देख रहे थे और खुश हो रहे थे। इस वक़्त उनके चेहरे पर जो कौतुहल और मेरे लिए प्रशंसा के भाव थे, सच कहूँ तो आज सात साल के वैवाहिक काल में कभी नहीं देखा था। मुझे तो बहुत शर्म आ रही थी कसम से।
दरअसल हुआ ये था कि मूवी शुरू हो चुकी थी तो उन्होंने सोचा कि शुरुआत से सेट कर दें ताकि दोनों एकसाथ देख सकें। उसी चक्कर में मोबाइल से चैनल लगाते हुए गलती से उनसे मेरे फोन की वीडियो गैलरी खुल गई थी।
और..... और.....
ये जो मैं इतने गानों पर
"हाई हील पे नचे से पाक़ीज़ा के चलते चलते मुझे कोई मिल गया था " गानों पर नाचकर अपनी अदाकारी के ज़लवे दिखाए थे उसे मेरे पतिदेव मन्त्रमुग्ध होकर देखे जा रहे थे। उनके हावभाव से लग रहा था कि वह मेरे इस टैलेंट से बहुत प्रभावित हो रहे थे और कुछ कुछ मेरी खूबसूरती भी उनको आकर्षित कर रही थी।
इस स्थिति की तो मैंने कल्पना ही नहीं की थी।
वह तो उन गानों की वीडियो बनाने के लिए मैंने स्पेशल मेकअप किया था। अब आगे के वीडियोस मेरे यूँ ही इधर उधर के थे और उनमें मेरा असली चेहरा इनके सामने आ जाता तो यह समझ जाते कि मैं कोई सुन्दर वुन्दर नहीं हूँ.... बस सब मेकअप का कमाल है। सो अपनी खूबसूरती और मेकअप का राज ना खुलने के डर से मैंने उन्हें वीडियो बंद करने को कहा,
पर....
पतिदेव मेरी वो रेखाजी के उमरावजान अंदाज़ में
"इन आँखों की मस्ती में "
के डांसवाला मेरा वीडियो देखने में इतने तल्लीन थे कि इन्हें बेटे अंशु के आने का भी पता नहीं चला। अंशु के पीछे काव्या भी आई। वो लोग ऊपर से पानी लेने आए थे कि टी. वी. पर मुझे नाचता देखकर आश्चर्यचकित थे और खुश भी।
मैं पतिदेव से बार बार मेरा वीडियो बंद करने का आग्रह कर रही थी उधर मुझे पता ही नहीं चला कि कब अंशु दादा दादी को भी बुला लाया था। अब सब मेरी नाच का मज़ा ले रहे थे और मैं किसी तरह पति से अपना मोबाइल छीनने की कोशिश कर रही थी।
बड़ी मिन्नतों के बाद उन्होंने मेरा असली चेहरा (मतलब बिना मेकअप के )टी. वी.स्क्रीन पर आने से पहले ही मेरा मोबाइल मुझे लौटा दिया और फिर मैंने नेटफ्लिक्स हटाकर पुनः टाटास्काई से कनेक्ट करके समाचार लगा दिया।
उस दिन मेरे वीडियो की खूबसूरती से पतिदेव तो प्रभावित हो गए पर साथ साथ रोमांस करते हुए मूवी देखने के मेरे सपने मोतीचूर चकनाचूर हो गए।
इस पूरे प्रकरण में मेरा एक छोटा सा नुकसान हुआ.......
वह ये कि अपनी जान की प्यासी ननद काव्या को भी मेकअप करके लगभग मेरे जैसा ही वीडियो बनवाना था सो मैंने अपना मेकअप और कपड़े दिए, उसका वीडियो भी बनाया। वैसे एक बात सच्ची कहूँ.... वो चाहे मेरी कितनी भी नकल कर ले मेरे जैसी कातिल हसीना तो बिल्कुल भी नहीं लग रही थी। नकलची है ना... इसलिए।
हाँ, एक फायदा भी ज़रूर हुआ...
मेरे पतिदेव कभी कभी मुझे प्यार से उमरावजान कहकर ज़रूर बुला लेते हैं और मैं थोड़ा सा शरमा जाती हूँ।
उनके प्यार के आगे फायदा नुकसान सब बराबर...नोट बैड। आखिर वो बिना मेकअप के भी मुझे खूबसूरत मानने लगे हैं और मल्टी टैलेंटेड भी।
तो प्रिय सखियों, यह थी मेरी एक रोमांटिक शाम की कहानी जिसने मुझे एकदम से पति की नज़रों में "सुनती हो से उमरावजान" बना दिया।
(समाप्त )