सेंटा क्लाज
सेंटा क्लाज
क्रिसमस जब भी आता है तो उत्सव के साथ साथ सेंटा क्लाज का इंतज़ार भी बढ़ जाता है। बच्चे रात में सेंटा द्वारा छोड़ कर गए गिफ्ट को लेकर बहुत उत्साहित रहते है।
बचपन में मैं जब चीजें समझने के लायक हुआ था तो मुझे भी सेंटा का इंतज़ार था। मैं और मेरा दोस्त सचिन पाँच साल के थे। क्रिसमस से पहले वाले दिन हम दोनों ने चुपके से सेंटा से विनती की थी कि हमारे लिए गिफ्ट छोड़ कर जाए।
रात में सोने से पहले मैंने एक बार फिर सेंटा को याद दिलाया कि मेरे लिए गिफ्ट छोड़ कर जाना है। उस रात मैं बहुत देर तक आँखें बंद किए जागता रहा। हर आहट पर मुझे लगता कि सेंटा क्लाज मेरे सिरहाने गिफ्ट रख कर गया है। मैं चुपचाप आँखें खोलकर देखता। कुछ ना मिलने पर फिर आँख बंद कर लेट जाता। ऐसा करते हुए मैं ना जाने कब सो गया।
सुबह उठते ही मैंने पूरा कमरा छान मारा पर कुछ नहीं मिला। मैं दुखी हो गया। तभी सचिन भागता हुआ आया। उसके हाथ में एक टॉय गन थी। मुझे दिखा कर बोला, "देखो मुझे सेंटा क्लाज ये गन दे गया। तुम्हें क्या दिया?"
मैं उसकी टॉय गन देखकर और उदास हो गया। सचिन अपनी गन लेकर चला गया। मैं फिर बिस्तर पर लेट गया। मम्मी ने आकर पूछा कि मैं बिस्तर पर क्यों लेटा हूँ तो मैंने सारी बात बता दी। मम्मी ने मुझे मनाने की कोशिश की पर मैं नहीं माना। पापा ने समझाया कि हो सकता है कि सेंटा क्लाज तुम्हारे लिए और अच्छा गिफ्ट लेकर फिर आए। पर मैं नहीं माना। अब मैंने रोना शुरू कर दिया।
मैं ना खा रहा था ना पी रहा था बस रो रहा था। अचानक घंटी बजी। मम्मी ने दरवाज़ा खोला। एक बूढ़ा आदमी लाल चोगा पहने अंदर आया। उसने मुझे एक गिफ्ट दिया। मैंने खोल कर देखा कि एक गन थी। सचिन से भी बड़ी। मैं हंस दिया।
वो सेंटा पापा थे। आज भी उस दिन को याद कर मैं हंस देता हूँ।