सड़क
सड़क
सड़क गुलजार हो गई, फिर भी खामोश रहती है
उदासी हाल पूछो तो कहानी फिर वही कहती ,
ना पूछो हाल मेरा तुम, उदासी का सबब तुमसे ,
जंहा बीता तुम्हारा मन, जंहा खेला तुम्हारा तन।
वही अब भीड़ होती है, तुम्हारी याद होती है,
ना मेरी शाम होती है ना मेरी रात होती है ।
गुज़रते लोग मुझसे है, और मेरी आह होती है
सड़क गुलजार हो गई, फिर भी खामोश रहती है।