Abhishek Kumar Srivastava

Abstract

4.8  

Abhishek Kumar Srivastava

Abstract

सड़क

सड़क

1 min
713


सड़क गुलजार हो गई, फिर भी खामोश रहती है

उदासी हाल पूछो तो कहानी फिर वही कहती ,

ना पूछो हाल मेरा तुम, उदासी का सबब तुमसे ,

जंहा बीता तुम्हारा मन, जंहा खेला तुम्हारा तन।

वही अब भीड़ होती है, तुम्हारी याद होती है, 

ना मेरी शाम होती है ना मेरी रात होती है ।

गुज़रते लोग मुझसे है, और मेरी आह होती है 

सड़क गुलजार हो गई, फिर भी खामोश रहती है। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract