Sonia Goyal

Fantasy

4.5  

Sonia Goyal

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सच्ची मित्रता

सच्ची मित्रता

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ये कहानी है लुधियाना शहर में रहने वाले दो दोस्तों रोहित और करण की। रोहित और करण दोनों बचपन के दोस्त हैं। उनकी पहली मुलाकात स्कूल में हुई थी। करण अपने स्कूल के प्रथम दिन में बहुत रो रहा था और अपने पापा से बोल रहा था...

करण:- पापा मुझे घर ले चलो, मुझे नहीं रहना जहां। मुझे मम्मी के पास जाना है।

संजय जी (करण के पापा):- रो मत बेटा, देख यहां तेरे कितने सारे दोस्त हैं और तेरे मैम भी कितने अच्छे है, वो तुझे चाॅकलेट देंगे। मैं भी तुझे बहुत सारे नये खिलौने लाकर दूंगा।

इस तरह करण को समझा बुझाकर उसके पापा वहां से चले गए। कुछ देर बाद करण फिर से रोने लगा और कहने लगा...

करण:- मुझे मम्मी के पास जाना है।

   तभी उसकी उम्र का एक बच्चा उसके पास आया। ये बच्चा कोई और नहीं बल्कि रोहित था।

रोहित:- अरे तुम क्यूं रो रहे हो??

करण:- मुझे यहां नहीं रहना। मुझे घर जाना है मम्मी के पास।

रोहित:- देख मैं भी तो नहीं रो रहा तू भी मत रो। हम जल्द ही अपनी अपनी मम्मी के पास जाएंगे।

     रोहित के कहने पर करण चुप हो गया और उसके साथ खेलने लग गया। छुट्टी के बाद उसके पापा उसे उसको लेने आए तो वो घर चला गया। घर जाकर वो उछल कूद करने लग गया।

करण:- मम्मी- मम्मी मुझे नया दोस्त मिल गया। आपको पता है मेरा नया दोस्त रोहित बहुत अच्छा है। अब से मैं रोज स्कूल जाऊंगा और बिल्कुल भी नहीं रोऊंगा।

करण के मम्मी पापा भी बहुत खुश थे कि चलो अच्छा है करण का स्कूल में दिल लगने लग गया।

उधर रोहित भी अपने मम्मी पापा को स्कूल की बातें बता रहा था और उसने भी उन्हें करण के बारे में बताया। इस तरह रात हो गई और सब खाना खाकर सो गए।

अगले दिन करण स्कूल जाने पर बिल्कुल भी नहीं रोया। अब ऐसा ही रोज़ चलने लगा और दोनों एक दूसरे के पक्के दोस्त बन गए। दोनों के घर वालों में भी अच्छी दोस्ती हो गई। अब तो दोनों छुट्टी वाले दिन एक दूसरे के घर भी चले जाते थे। समय बीतता गया और दोनों बड़े होते गए, पर दोनों की दोस्ती में कोई कमी नहीं आई। दोनों ही एक दूसरे पर जान देते थे। उनके सहपाठी तो उनको प्रेमी-प्रेमिका कहकर उनका मज़ाक उड़ाया करते थे, क्यूंकि दोनों एक-दूसरे के बिना बिल्कुल भी नहीं रह सकते थे। कोई भी काम हो, चाहे कहीं घूमने जाना हो या पढ़ाई करना हो दोनों साथ में ही करते थे। दोनों के मम्मी पापा को भी उन दोनों की दोस्ती से कभी कोई ऐतराज नहीं था। देखते ही देखते दोनों दोस्त बाहरवी कक्षा में आ गए। दोनों ने ही काॅमर्स ली।

करण के मम्मी पापा चाहते थे कि वो मेडिकल की पढ़ाई करके डाॅक्टर बने। पर इसके लिए करण को दूसरे शहर जाना पड़ता और रोहित के पेरेंट्स उसको बाहर नहीं भेजना चाहते थे, तो करण ने भी मेडिकल लेने से मना कर दिया और काॅमर्स लेने का ही इरादा कर लिया। हांलांकि ये इतना आसान नहीं था।

करण के पेरेंट्स काॅमर्स के लिए मान ही नहीं रहे थे और मेडिकल के लिए ही उसको समझा रहे थे। पर करण ने साफ बोल दिया कि यहां रोहित रहेगा वहीं वह रहेगा। सबने उसे बहुत समझाया, यहां तक कि रोहित ने भी उसे बहुत समझाया पर वह नहीं माना। सबके दबाव के कारण और रोहित से दूर होने के डर के कारण उसकी तबीयत खराब हो गई। करण के मम्मी पापा ने उसे काफी डाॅक्टरों को दिखाया, पर कोई फायदा नहीं हुआ। आखिरकार सबको उसकी बात माननी पड़ी। रोहित ने भी दिन रात करण की सेवा की। जिस कारण वह कुछ दिनों में ही बिल्कुल ठीक हो गया। उसके ठीक होते ही दोनों ने अपनी पढ़ाई शुरू कर दी। दोनों के बाॅर्ड के एग्जाम थे तो दोनों ने पूरा दिल लगाकर साथ में पढ़ाई की और एग्जाम दिए। जब एग्जाम का परिणाम घोषित हुआ तो दोनों ने ही टाॅप किया था।

     अच्छे अंक आने के कारण दोनों को अच्छे काॅलेज में एक साथ दाखिला मिल गया। काॅलेज में भी दोनों एक साथ ही रहते थे। दोनों को किसी और से कोई मतलब नहीं था। उनकी ही क्लास में एक लडक़ी थी, "पूजा" वो मन ही मन करण को बहुत पसंद करती थी। पर करण को तो रोहित के इलावा कोई और दिखता ही नहीं था। पूजा ने बहुत कोशिश की करण को अपने दिल की बात बताने की, पर कोई फायदा नहीं हुआ। करण तो उसकी तरफ देखता तक नहीं था। पर ये बात रोहित को पता लग गई और उसने करण से कहा...

रोहित:- अरे करण, हमारी क्लास में जो लड़की है ना पूजा। मुझे लगता है वो तुझे पसंद करती है। मैंने काफी बार नोटिस किया है।

करण:- कौन पूजा मुझे नहीं पता और तूं भी इन बेकार की बातों पर ध्यान देना छोड़ दे। मुझे तेरे इलावा किसी से कोई मतलब नहीं।

रोहित:- पर मैं तो तेरे साथ ही रहूंगा ना, मैं थोड़े न तुझे छोड़ कर कहीं जा रहा हूं।

करण:- बस रोहित मुझे अब इस बारे में कोई बात नहीं करनी। मैं नहीं चाहता कि किसी भी वजह से हम दोनों की दोस्ती में कभी कोई फर्क पड़े। मैं तेरे जैसा दोस्त पाकर ही बहुत खुश हूं, मुझे किसी और की कोई जरूरत नहीं।

     रोहित उसकी बात सुनकर चुप होकर रह जाता है। उधर पूजा भी करण को अपने दिल की बात बताने का मौका ढूंढ रही होती है और एक दिन उसको वो मौका मिल ही जाता है। करण और रोहित लाइब्रेरी जा रहें होते हैं कि तभी करण को घर से काॅल आ जाती है। करण रोहित को कहता है...

करण:- रोहित पापा की काॅल है। मैं बात करके आता हूं, तूं चल।

रोहित:- ठीक है, जल्दी आना।

    करण अभी बात कर ही रहा होता है कि पूजा वहां आ जाती है। जैसे ही करण काॅल कट करके लाइब्रेरी की तरफ जाने लगता है तो पूजा उससे कहती है....

पूजा:- हैलो करण, आई एम पूजा

करण:- हैलो

    इतना कहकर वो वहां से फिर जाने लगता है, पर पूजा उसे रोक लेती है।

पूजा:- करण मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।

करण:- साॅरी पूजा पर मेरा दोस्त मेरा इंतजार कर रहा है तो मुझे जाना होगा।

पूजा:- प्लीज़ करण बस दो मिनट।

करण:- ठीक है जल्दी बोलो क्या बात करनी है??

पूजा:- करण वो..... वो मैं कहना चाहती हूं कि.... कि आई लव यू

करण:- देखो पूजा मैं इस प्रपोजल को स्वीकार नहीं कर सकता।

पूजा:- पर क्यूं करण, क्या मैं अच्छी नहीं हूं??

करण:- ऐसी बात नहीं है पूजा।

पूजा:- तो कैसी बात है??

करण:- बात ये है कि मेरे लिए मेरा सब कुछ मेरा दोस्त रोहित ही है। मुझे किसी और की कोई जरूरत नहीं है।

पूजा:- पर मैंने कब बोला कि वो तुम्हारा दोस्त नहीं रहेगा। तुम दोनों जैसे अब रहते हो वैसे ही रहना। मैं कभी भी कुछ नहीं बोलूंगी।

करण:- पूजा जब हमारी लाइफ में कोई आता है तो वो चाहता है कि हम उसके साथ ही सारा समय बिताए और मैं मेरे दोस्त का समय किसी के साथ नहीं बांट सकता।

पूजा:- पर करण मुझे तुम बहुत अच्छे लगते हो। बड़ी हिम्मत करके आज मैंने तुम्हें ये बात बताई है। प्लीज़ मान जाओ।

करण:- साॅरी पूजा पर मैं मजबूर हूं। मेरे लिए रोहित ही मेरा सब कुछ है।

पूजा:- ये क्या तुमने रोहित रोहित लगा रखा है। रोहित के इलावा तुम्हें कोई और दिखता भी है या नहीं। मैं कब से तुम्हें पसंद करती हूं।

करण:- खबरदार पूजा जो तुमने मेरे दोस्त के बारे में कुछ बोला तो, तुम जानती ही कितना हो उसके बारे में। अरे वो तो खुद मुझे कह रहा था कि मैं तुम्हें अपनी जिंदगी में शामिल कर लूं।

पूजा:- साॅरी करण, मेरा वो मतलब नहीं था। प्लीज़ गुस्सा मत करो। मुझे पता है कि रोहित तुम्हारे लिए क्या मायने रखता है और यकीन मानो मैं तुम दोनों की दोस्ती के बीच कभी नहीं आउंगी।

करण:- अगर ऐसा है तो चली जाओ यहां से।

पूजा बिना कुछ बोले वहां से चली जाती है। रोहित ने भी उन दोनों की सारी बातें सुन ली थी। पर उस समय उसने चुप रहना ही बेहतर समझा।

    कुछ दिनों तक पूजा काॅलेज नहीं आती। काफी दिनों बाद जब वो काॅलेज आती है तो रोहित करण से बचते बचाते पूजा के पास गया और बोला....

रोहित:- हैलो पूजा आई एम रोहित

पूजा:- हैलो... अब क्यूं आए हो तुम यहां??

रोहित:- मुझे पता है पूजा कि तुम मुझसे गुस्सा होगी कि मेरी वजह से करण ने तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार किया। पर मेरा यकीन करो मैं करण को तुम्हारी जिंदगी में लाकर रहूंगा। क्यूंकि मैंने तुम्हारी आंखों में उसके लिए सच्चा प्यार देखा है। बस मुझे कुछ समय दो।

    ये सुनकर पूजा की आंखों से आंसू आ जाते हैं। वो रोहित से बोलती है...

पूजा:- मुझे माफ़ कर दो भैय्या। मैंने आपको कितना गलत समझा और आप मेरी मदद करना चाहते हैं।

रोहित:- कोई बात नहीं, देवर भाभी में तो ये सब चलता ही रहता है।

इतना सुनकर पूजा शर्मा जाती है और फिर दोनों हंसने लगते हैं। उधर रोहित भी पूजा और करण को एक करने का अभियान शुरू कर देता है।

    एक दिन रोहित मौका देखकर करण से पूछता है...

रोहित:- करण क्या तूं मुझे सच में अपना दोस्त मानता है??

करण:- ये क्या पूछ रहा है तूं, आज तेरे दिमाग में ये बात कहां से आ गई। तुझे नहीं पता क्या इसका जवाब??

रोहित:- नहीं करण वो मैं सोच रहा था कि अगर मैं तुझसे कुछ मांगू तो तूं वो मुझे देगा या नहीं।

करण:- अरे यार तेरे लिए तो जान भी हाजिर है। तूं बस बोल क्या चाहिए तुझे??

रोहित:- नहीं रहने दे, तेरे बस की बात नहीं है।

करण:- बोल ना रोहित। अच्छा चल तेरी कसम जो भी तूं मांगेगा मैं दे दूंगा।

रोहित:- पक्का ना??

करण:- हां बाबा पक्का, बोल अब।

रोहित:- ठीक है तो पूजा को अपनी जिंदगी में शामिल कर ले।

करण:- ये क्या बोल रहा है तूं, ये कभी नहीं हो सकता।

रोहित:- देख तूने मेरी कसम खाई है अब तूं मना नहीं कर सकता।

करण:- ये तो गलत बात है ना

रोहित:- गलत तो गलत ही सही। मुझे पता है तूं भी पूजा को पसंद करता है। जब वो काॅलेज नहीं आई थी तो मैंने तेरी आंखों में उसको देखने की बेचैनी देखी है। बस तूं मुझे खोने के डर से चुप है। वो अच्छी लड़की है मान जा यार।

करण:- ठीक है मैंने तेरी कसम खाई है तो मानना ही पड़ेगा। पर अगर उसने कभी भी हम दोनों की दोस्ती के बीच आने की कोशिश की तो मेरा उससे कोई रिश्ता नहीं रहेगा।

रोहित:- ऐसी नौबत नहीं आएगी। तूं चिंता मत कर।

करण:- चल देखते है।

      अगले दिन करण पूजा का प्रपोजल स्वीकार कर लेता है। पूजा रोहित को धन्यवाद करती है। आज दोनों के रिश्ते को चार साल हो गए, पर पूजा ने कभी भी उन दोनों की दोस्ती के बीच आने की कोशिश नहीं की। आखिर वो ऐसा करती भी क्यूं, आज अगर पूजा और करण साथ हैं तो वो सिर्फ रोहित की वजह से। करण भी बहुत खुश है कि उसको ऐसी पार्टनर मिली जो उनकी दोस्ती के बीच कभी नहीं आई।

समाप्त....


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