सच्चे दोस्त की परख
सच्चे दोस्त की परख
एक समय की बात है। यह कहानी दोस्त की परख के लिए है । इससे बात साबित हुआ कि दोस्त कितने मतलबी होते हैं मै अपने गांव मे दसवीं मे उत्तीर्ण होने के बाद आया था । ग्यारहवीं मे नामांकन के बाद अपने घर के पास एक शिक्षण संस्थान मे पढ़ाई के लिए दाखिला लिया उसी समय मुझे अपने गांव के लड़के से दोस्ती हो गई । दोस्तो मे से किसी के पिताजी रेलवे के स्टाफ , टीचर, व्यापारी, ऑटो ड्राइवर थे । मेरे पिताजी किसान थे । मेरे दोस्त मुझे कहते थे कि तुममे समझदारी नही है । उन्होंने मुझे स्वार्थी , मतलबी का अर्थ बताया । मै अपने दोस्त की बहुत मदद करता था लेकिन वह मेरी कोई मदद नही करता था । काम आने व रहने पर वो मेरे दोस्त रहते थे , मुझे याद करते थे व खत्म होने पर मुझे भूल जाते थे पार्टी के लिए दोस्त की श्रेणी के बाहर मुझे रखा जाता था । इस साल के सरस्वती पूजा मे मेरी तबीयत ठीक नही होने पर मुझसे कोई मिलने भी नही आया । वो स्वयं को समझदार और मुझे बेवकूफ मानते थे । मै दिल का सीधा हूँ । आजकल लड़का की दोस्ती लड़की के साथ , लड़की की दोस्ती लड़का के साथ होता है । मेरे दोस्त कहते थे तुम गरीब हो इसलिए कोई लड़की तुम्हारी दोस्त नही है। और तुम्हे उनको अपनी ओर आकर्षित , बातचीत करने नही आता है । मेरे सभी दोस्त की लड़की दोस्त (प्रेमिका ) है । जिस पर वे अपने पैसे खर्च करते थे । उसके उन दोस्त से मेरा कोई विवाद था जिसके कारण वे अपने साथ मुझे नही लेकर जाते थे । वे मुझे कुछ नही बताते , लेकिन मै उनको अपने सभी बात बताता । मै जब भी उनको समझाने की कोशिश करता वे कहते तेरी कोई लड़की दोस्त नही है इसलिए तुम मुझसे ईर्ष्या करते हो । इस दुनिया,देश व समाज मे द्वापर व त्रेता युग की दोस्ती खोजी व चाही जो कि स्वार्थ हीन थी , वो नही मिला । आजकल दोस्ती का अर्थ खूब खाना खिलाना , पिलाना व घुमाना है जबकि पहले प्राचीन काल मे ऐसा नही था । उस समय सुदामा -कृष्ण व सुग्रीव-राम की जैसी मित्रता थी जो अब विलुप्त हो गया है । सच्चे दोस्त की परख दुख के वक्त पर होता है । मुझे अभी तक कोई सच्चा और मददगार मित्र नही मिला है । मै अब भी उसी की तलाश करता हूँ । मुझे लगता है कि मेरी खोज अधूरी रह जाएगी क्योंकि सच्चे दोस्त की कमी है । मेरी सच्चे दोस्त की परख हमेशा जारी थी, है और रहेगी ।