कभी कोई हमसे मतलब ही नहीं रहा हो, जहन्नुम में जाओ... अब, सड़ो-मरो कभी कोई हमसे मतलब ही नहीं रहा हो, जहन्नुम में जाओ... अब, सड़ो-मरो
मन करता है पूछूँ कि अगर यह हाथ खींच लेगीं तो कहॉ जाओगी कोई जबाब नही है उसके पास मन करता है पूछूँ कि अगर यह हाथ खींच लेगीं तो कहॉ जाओगी कोई जबाब नही है उसके पास
मुझे अभी तक कोई सच्चा और मददगार मित्र नही मिला है । मै अब भी उसी की तलाश करता हूँ । मुझे अभी तक कोई सच्चा और मददगार मित्र नही मिला है । मै अब भी उसी की तलाश करता हू...
नन्ही परी खुद को रोक नहीं पाई और अपने असली रूप में युक्ता के सामने पहुंच गई। नन्ही परी खुद को रोक नहीं पाई और अपने असली रूप में युक्ता के सामने पहुंच गई।
रोज-रोज के झगड़ों से और तानो से तंग आकर आखिर सुनील ने अलग रहने का फैसला कर लिया। रोज-रोज के झगड़ों से और तानो से तंग आकर आखिर सुनील ने अलग रहने का फैसला कर लिया।