सासु मां की लड़ाई।
सासु मां की लड़ाई।
"ऐसे फेंका मैंने" भारी भारी बाल्टियों को खाली करके अम्मा जी गुस्से में जमीन पर पटके ही जा रही थी। नीचे से आवाज आनी बिल्कुल बंद हो गई थी। नीता भी अंदर को जा ही रही थी कि माताजी की नजर उस पर पड़ गई, और उसे देखते ही गुस्से की अतिरेक में वह उस पर बरस पड़ी, तू घर कैसे बसाएगी? दब्बू कहीं की! अगर मैं तेरी तरह होती तो विनय के पिता के गुजरने के बाद 5 बच्चों की पढ़ाई , खेती-बाड़ी, ढोर -डंगर यूंं ही संभाल लेती? आज सासु मां का डांटना भी नीता को बहुत अच्छा लग रहा था।
दिल्ली में इस फ्लैट में शिफ्ट करे हुए अभी 6 महीने भी नहीं हुए थे। जब पति ने अम्मा जी को दिल्ली में अपना फ्लैट खरीदने के बाद बच्चों की पाँचवीं से आगे की पढ़ाई शहर में ले जाकर करवाने की इजाजत मांगी तो, सासु मां की ताने मारती हुई कर्कश आवाज से मुक्ति पाने की खुशी वह बयान नहीं कर सकती। घर में सब कुछ अम्मा जी के कहे अनुसार ही होता था? बाहर भी लोग उनसे उलझने से डरते थे अगर वह एक बार भी किसी पर फट पड़ीं तो उसका तो बचना मुश्किल ही जानो।
शहर में वह छोटा सा दो कमरों का दूसरी मंजिल पर फ्लैट, छोटी सी बालकनी, नीचे ढेर सारे खेलते हुए बच्चे, अपने घर में आने की , और आजादी की सुगंध ही कुछ और है। यह उसने पहली बार महसूस किया था
बच्चों का स्कूल में पहले ही एडमिशन करवा दिया गया था, दूसरे दिन पति और बच्चों के जाने के बाद दोपहर को डोर बेल बजने पर जब उसने दरवाजा खोला तो छूटते ही तपाक से आवाज आई, कल ही तुम लोग आए हो और हम पूरी रात सोने भी ना पाए। जी ,आप कौन ? ---- मैं तुम्हारे घर के नीचे वाले घर में रहती हूं। पूरी रात सामान खिसका के हमारे सर में दर्द कर दिया। जी ,गलती हो गई । नीता के इतना कहने पर वह बड़बड़ाती हुई नीचे चली गई।
यह क्या था?, नीता सोच में डूबी ही थी कि साथ वाले फ्लैट का दरवाजा खुला उसमें से भी एक महिला निकली और उन्होंने बताया कि यह मिसिज़ भसीन थीं।" यहां की सबसे लड़ाकी औरत," इन्हीं के कारण, तुम्हारे घर में रहने वाली मिसेज गुप्ता को अपना मकान बेचकर जाना पड़ा। कुछ लोग लड़े बिना जी नहीं सकते। उन्हें अगर खाली घर में भी छोड़ दिया जाए तो वह अपना सर ही दीवार में मारकर तोड़ लेंगे, यह उसी प्रकार की हैं।
"आसमान से गिरे और खजूर में अटके" नीता का लगभग यही हाल हो गया था। बाहर कपड़े सुखाते हुए जरा सा भी पानी नीचे गिर जाए तो नीचे से रिकॉर्ड शुरू हो जाता था। बच्चे नीचे जाकर साइकिल चलाना चाहे तो मिसिज भसीन के लगभग नीता के बच्चों की उम्र के ही बच्चे या तो उसके बच्चों को धक्का दे देते या साइकिल की हवा निकाल देते। गेंद से खिड़कियों के शीशे तोड़ना तो उनका शौक ही था। मिसिज़ भसीन से शिकायत पर एक ही जवाब मिलता मेरे छोटे और बहुत मुश्किलों के बच्चे हैं। बहस करने की नीता की तो हिम्मत होती नहीं थी या तो वह अपने बच्चों को डांट देती या उनके साथ खुद ही रो देती थी। पति को कुछ भी कहने पर एक ही जवाब मिलता, यहां तुम्हारा अपना घर है, वह भी अलग , तुम उनसे उलझती ही क्यों हो ?बच्चों को लेकर पीछे पार्क में चली जाया करो।
दीपावली पर तो हद ही हो गई साथ वाले घरों के शायद किसी बच्चे ने अपनी बालकनी से ही अनार चलाया, जिससे अचानक नीता के घर में बाहर सूख रहे कपड़ों में आग लग गई, जल्दी जल्दी नीता ने पानी डाला तो पानी मिसेज भसीन की बालकनी में गिरते ही उन्होंने चिल्लाना शुरू करा। नीता के कहने पर कि आग लग गई थी जिसको बुझाने के लिए पानी डालना पड़ा। जवाब मिला, आग तुम्हारे घर में लगी! पानी मेरे घर में क्यों डाला?
दिवाली पर विनय अपने घर ना जा सका तो अम्मा जी ही बच्चों से मिलने शहर आ गईं। वह शायद पहला दिन था कि बच्चों ने साइकिल घर के नीचे ही चलाई थी। इससे पहले कि मिसिज़ भसीन कुछ भी बोलती या घर के सामने कुछ भी सुखाकर पूरी जगह घेरतीं, ऊपर से कुर्सी मंगवा कर अम्माजी ही नीचे बैठ जातीं। वाद प्रतिवाद चलता रहता। सड़क तेरी है क्या? अगर तेरे छोटे बच्चे हैं, और मुश्किलों के हैं ,तो मेरे भी आसमान से नहीं टपके हैं! अंत में विजयी अम्मा जी ही होतीं। घर के शीशों का टूटना तो अब लगभग बंद ही हो गया था। सेर को सवा सेर मिल चुका था।
ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने की आवाजें सुनने के कारण नीता बरामदे की ओर भागी, क्योंकि अम्मा जी को सूर्य को जल चढ़ाने का मन हुआ और बरामदे से पिछले 2 दिन से सूर्य की बजाए वह मिस्टर भसीन पर ही जल चढ़ा रही थी। शायद इसी कारण वह नीचे से चिल्ला रहीं थी और लगभग उसी अनुपात में अम्मा जी ऊपर से? गुस्से में मिसेज भसीन के पूछने पर कि तुमने नीचे पानी फेंका कैसे? अम्माजी बाल्टी भर भर कर ला रही थी और नीचे फेंक रही थीं। ऐसे फेंका मैंने! अब बोल?
पाठकगण, सच मानिए अम्मा जी तो अपने घर वापस चली गई लेकिन नीता और बच्चे अब बेधड़क घर में और घर के बाहर घूम सकते हैं। मिसिज भसीन अब नीता को देखकर कभी मुस्कुरा भी देतीं है। क्या जीने के लिए लड़ाई सीखना जरूरी है? आपका क्या ख्याल है?
