साहसी विष्णु
साहसी विष्णु


एक छोटा बच्चा किशन अचानक खेलते खेलते कुएँ में गिर गया। छपाक की आवाज़ सुनते ही उसकी बहन घबरा गई और उसने शोर मचाना शुरू कर दिया।
उसका शोर सुनकर आसपास के लोग दौड़े, मगर किसी के कुछ समझ में ना आया कि क्या करें। तभी एक राहगीर विष्णु ने एक पल भी गंवाएं बिना कुएँ में छलांग लगा दी, और डूबते हुए किशन को अपनी पीठ पर बिठा कर तैरने लगा। तब तक अड़ोसी-पड़ोसी सभी इकट्ठा हो चुके थे।
उधर किशन की माँ अपने पुत्र के कुएँ में गिरने पर बिलख बिलख कर रो रही थी..! लेकिन पड़ोसियों ने किशन की माँ को ढांढस बंधाया और अति शीघ्र कुएँ में रस्सी गिरा कर विष्णु और किशन दोनों को सकुशल कुएँ से बाहर निकाल लिया..!
दोस्तों, ये वो समय होता है, जब एक पल की देरी इंसान को मौत के मुंह में धकेल देती है..! अगर विष्णु ने अपनी जान जोखिम में डाल कर तुरंत कुएँ में छलांग न लगाया होता, तो किशन को जीवित निकाल पाना शायद नामुमकिन होता..!
विष्णु के इस साहस भरे कारनामे की गूँज जब विधानसभा तक पहुंची, तब मुख्यमंत्री उसकी बहादुरी से बहुत प्रभावित हुए और उसे बहादुरी का पुरस्कार देकर सम्मानित किया।