साहित्य सेवा
साहित्य सेवा
"और बेटे साहित्य सेवा कैसी चल रही है ? सुना है सेवा के बदले मेवा अकेले-अकेले खा रहा है ?"
"यही तो खोट है तुम लोगो में, कुछ न करो तो टर्र-टर्र, कुछ करो तो टर्र-टर्र, अबे मैं खालिश साहित्य सेवा करता हूँ, ये मेवा-सेवा तो और लोग खाते होंगे।"
"अबे तू और साहित्य सेवा, अपनी मक्कारियों की वजह से थाना-कचहरी से फुरसत मिल गई जो अब ये साहित्य सेवा का स्वांग करने लगा। मैं भी बेटे पूरी जानकारी जुटा कर लाया हूँ तेरी करतूतों की, या तो अपने मुँह से बता दे नहीं तो मैं खोलता हूँ तेरा कच्चा चिटठा।"
"ये मुँह और मसूर की दाल, तू क्या खोलेगा मेरा कच्चा चिटठा ला तुझे तेरी करतूत बताता हूँ, उस दिन पंद्रह भद्र महिला पुरुष इकट्ठे कर कौन सा साहित्य सम्मेलन तूने किया था उसकी सब खबर है मुझे, दिखाऊँ फोटो और वीडियो उस सम्मेलन के।"
"अबे क्या गजब करता है, वो तो एक दो लोग शराब पी कर बहक गए थे..........वैसे दिखा तो सही कौन से फोटो-वीडियो है तेरे पास ?"
"ले देख........"
"अबे मार डाला; तुझे कहाँ से मिले ये फोटो, वीडियो ?"
"अबे उस सम्मेलन में एक बंदा अपना भी था, तुम लोगो ने उसे नाराज कर दिया तो उसने वीडियो बना डाली……..वो तो इसे वायरल करने पर तुला था, बड़ी मुश्किल से समझा बुझा कर रोका……..लेकिन रुका सिर्फ कुछ दिन के लिए ही है; १० लाख की जिद पकड़े था मैंने समझाया तब पाँच पर मुश्किल से राजी हुआ।"
"ये तो ब्लैकमेलिंग हो गई, मेरे पास तो पाँच भी नहीं है…….."
"अब इतना भोला मत बन, सम्मेलन में जितने लोग थे उन्हें ये फोटो, वीडियो दिखा दे और वसूल ले पैसा…….विश्वास कर, उनमे से कोई साहित्यकार नहीं था, सब मस्ती करने ही आये थे, आराम से दे देंगे नहीं तो जेल की हवा खाएंगे।"
"कह तो सही रहा है, बेटे मस्ती तो तू भी कर रहा है, फँसेगा तू भी किसी दिन।"
"नहीं फसूँगा बेटे, मैं चिड़िया के सामने दाना ही ऐसा डालता हूँ कि चिड़िया चारों खाने चित्त।"
"कोई गुर मुझे भी बता दे………"
"बेटे साहित्यिक वीडियो बनाने का धंधा जोरो पर है, तू अब ये सम्मेलन-फम्मेलन छोड़कर इसकी टोपी उसके सिर वाला काम चालू कर, चिड़िया उड़-उड़ कर तेरे जाल में खुद चली आएगी।"
"कुछ समझा नहीं, जरा डिटेल में बता।"
"तो सुन बेटे, आजकल फटीचर कहानी-कविता लिखने वाले साहित्यकारों की कमी नहीं है, उन्हें नेम-फेम की बड़ी चाह होती है, उन्ही का फायदा उठा।"
"फटीचर साहित्यकार.......?"
"अबे जिनका लेखन से कोई रिश्ता नहीं है, अपनी बकवास कविता, कहानियों को पैसा देकर कचरा वीकली अखबारों और कौड़िल्ला छाप पत्रिकाओं में छपवाते है, जिन्हे कोई पढता तक नहीं है, ऐसे ही लोगो का फायदा उठा....."
"अबे और क्लियर कर।"
"अबे मूर्ख, आजकल फटीचर साहित्यकार अपनी फटीचर रचना का प्रचार चाहते है, कुछ ऐसे अक्ल से पैदल है जो प्रचार करने को राजी है। दोनों का यूज कर, एक की कहानी ले दूसरे से उस कहानी के नरेशन का वीडियो बनवा और डाल दे वीडियो चैनल पर। मिल गया न ऑनलाइन जॉब अक्ल के अन्धो को।"
"इसमें मेरा क्या फायदा ?"
"बेटे फटीचर कहानी/कविता को कोई पढता तक नहीं है तो उसका वीडियो कौन देखेगा, लेकिन तेरी ये हवा-हवाई कंपनी अक्ल के अंधे लोगों को हवा-हवाई ऑनलाइन जॉब देगी।"
"इस हवा-हवाई कंपनी से हासिल क्या होगा मुझे ?"
"देख बेटे अगर तू सोच रहा है वीडियो अपलोड करके तेरी कोई आमदनी होगी ? ये तो तू भूल जा, वीडियो से आमदनी के लिए वीडियो चैनल पर एड सेंस एक्टिव होना चाहिए, वीडियो पर लाखों व्यू चाहिए और उन फटीचर वीडियो को ५० लोग भी देख ले तो चमत्कार होगा। हाँ लेकिन इस हवा-हवाई कंपनी का हवा-हवाई सी ई ओ बनकर अपने अक्ल के अंधे लिखने वालो और वीडियो बनाने वाले ऑनलाइन वर्कर को नेम-फेम दिलाने के बहाने बहुत कुछ वसूल सकता है।"
"समझ गया गजब आईडिया दिया तूने आज ही लगता हूँ इसपर; लेकिन ये पाँच लाख वाले से पिंड छुड़ा।"
"उसे भी अपने वीडियो बनाने वाले धंधे में लगा ले, पाँच के बजाय चार में काम चलवा दूँगा……लेकिन……."
"अब लेकिन क्या ?"
"अबे इतना अच्छा गुरु ज्ञान दिया है, कभी-कभी इस बहते नाले में एक डुबकी मुझे भी लगाने देना।"
"कैसी बात कर दी, ये धंधा भी तेरा सारे ऑनलाइन वर्कर भी तेरे।"