anuradha nazeer

Classics

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रंग रंगोली होली

रंग रंगोली होली

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माम् क्या राधा कैसे है। तुमारे ससुराल के क्या हाल चाल है ?

तुम्हें पता है क्या भारत में मनाये जाने वाले पर्वों में फाल्गुन में मनाया जाने वाला होली का त्योहार अपने आप में अनूठा है| इनका प्रभाव क्या जानते है क्या ?कितना

फायदेमंद है ?

राधा:माम् मुजे भी भधावो ?

में भी उस फायदा को उटालूम !

माम्:तो सुनलो !

होलिका दहन के पूर्व स्नान कर शुद्ध, स्वच्छ वस्त्र धारण कर एक श्रीफल अपने एवं परिवार के सदस्यों के ऊपर से 7 बार घड़ी की सुई की दिशा में उतारें। यदि किसी सदस्य को अधिक परेशानी है तो उनके लिए अलग से श्रीफल उतारें। अब अपने अभीष्ट देवता का ध्यान करके अपनी समस्या को उन्हें बताकर श्रीफल होलिका में डाल दें एवं होलिका की 7 प्रदक्षिणा करके परेशानी दूर करने की प्रार्थना करें एवं अपने एवं ‍परिवार के लिए स्वास्थ्य, यश, दीर्घायु, धन, लाभ आदि की कामना करके हाथ जोड़कर प्रणाम करें ।

 घर आकर अपने ईष्टदेव को प्रणाम करें तथा घर के सभी बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद लें। भगवान को फल‍, मिष्ठान्न आदि का यथाशक्ति भोग लगाकर स्वयं ग्रहण करें। 

इस प्रयोग के कर्ता को उस दिन किसी प्रकार का नशा एवं मांसाहार का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

इस प्रयोग के कर्ता को उस दिन किसी प्रकार का नशा या मांसाहार का प्रयोग नहीं करना चाहिए। 

 प्रभाव 

 इस प्रयोग के प्रभाव एवं भगवान की कृपा से सारी समस्याएं जो आपके जीवन में हैं, वह होली की अग्नि में स्वाहा हो जाएगी तथा आपका जीवन सरल, सुगम एवं समृद्धिशाली हो जाएगा।

पुराणों में एक प्रचलित कथा के अनुसार राजा हिरण्यकश्यप ईश्वर-विरोधी थे किंतु उनका पुत्र प्रहलाद ईश्वर का अनन्य भक्त था। पिता के मना करने पर भी वह भगवान में आस्था रखता था अत: उसे मरवाने के लिए राजा ने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र को गोद में लेकर जलती लकड़ियों पर बैठ प्रहलाद को भस्म करने के लिए कहा।  

होलिका को देवताओं से वरदान मिला था कि वह आग से नहीं जल सकती, किंतु भगवान ने भक्त प्रहलाद की रक्षा की और गलत कार्य करने वाली होलिका अग्नि में जल गई। तब से प्रतिवर्ष होलिका दहन किया जाता है एवं एक-दूसरे को रंग लगाकर प्रसन्नता व्यक्त की ‍जाती है।


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